चलो एक बार फिर से अजनबी... / जयप्रकाश चौकसे
चलो एक बार फिर से अजनबी...
प्रकाशन तिथि : 17 फरवरी 2011
फिल्म उद्योग में प्रेम कहानियों पर फिल्में बनाई जाती हैं और सितारों के बीच यथार्थ जीवन में भी प्रेम उत्पन्न होता है। यह कहानियां भी चटखारे लेकर सुनी और सुनाई जाती हैं। सारा समय यह उद्योग प्रेम की बात करते-करते हिंसा की फिल्में बनाता रहता है। आजकल तो प्रेम और हिंसा दोनों पर ही फूहड़ और हास्य फिल्में भारी पड़ रही हैं। खबरें कुछ इस तरह हैं कि विद्या बालन को एक कॉर्पोरेट कंपनी के आला अफसर से प्यार हो गया है। यह भी बताया जा रहा है कि 'बैंड बाजा बारात' के सितारों के बीच भी प्रेम पनप रहा है। अब इस मैदान में सैफ-करीना या रणबीर-कैटरीना की कहानियां पुरानी हो चुकी हैं। इस तरह की अफवाहें भी सामने आ रही हैं कि इस तथाकथित प्रेम में पगे फिल्म उद्योग में एक दस साल पुराना रिश्ता लगभग टूट चुका है। परंतु इस तरह के बिखराव की आधिकारिक घोषणाएं कभी नहीं की जातीं। जॉन अब्राहम और बिपाशा बसु का प्रेम प्रकरण दस साल पुराना है और सुना जाता है कि दोनों के बीच अब मनमुटाव हो चुका है और कुछ पुराने अनुबंधों को पूरा करने के लिए समय-समय पर वे साथ भी देखे जा सकेंगे। सवाल यह है कि अगर इनका घोषित प्रेम प्रकरण और साथ में की गई बातें सच हैं, तो क्या विवाह के बंधन में बंधे होने पर यह रिश्ता इतनी आसानी से टूट जाता?
आजकल महानगरों में गैर फिल्मी युवा लोग भी विवाह किए बगैर एक साथ रहने लगते हैं और मनमुटाव होने पर अलग भी हो जाते हैं। क्या इस तरह का रिश्ता इसीलिए ईजाद किया गया है कि इसके टूटने पर विवाह के टूटते समय सामने आने वाली कानूनी अड़चनों का सामना नहीं करना पड़ता। दरअसल तमाम पुराने रिश्तों को नया रूप इसीलिए दिया जा रहा है कि टूटने पर कानूनी अड़चनें और सामाजिक लांछन से बचा जा सके। कुछ समय पूर्व यह खबर थी कि एक शिखर फिल्म संस्थान के छोटे साहबजादे एक तारिका से प्रेम करते थे। परंतु शादी केवल इसलिए नहीं हो पाई कि साहबजादे के सफल पिता ने अपनी होने वाली बहू के सामने यह प्रस्ताव रखा कि वह इस तरह के दस्तावेज बनाए कि भविष्य में दोनों के बीच तलाक होने की परिस्थिति में वह केवल एक निश्चित रकम का ही मुआवजा मांगेगी। वह परिवार की पूरी संपदा में से हिस्सा नहीं मांगेगी। इसी शिखर परिवार के ज्येष्ठ पुत्र के तलाक में भारी-भरकम रकम चुकाई गई, उस तारिका ने इस अभद्र प्रस्ताव के कारण रिश्ता ही तोड़ लिया। उस युवा तारिका के आत्मसम्मान को यह गंवारा न था कि विवाह के पहले तलाक का मुआवजा तय हो जाए।
बहरहाल आजकल तमाम रिश्तों में लोग सुविधाएं देखते हैं और किसी तरह के कानूनी विवाद में वह नहीं पडऩा चाहते। अनेक अमीर टेनिस खिलाड़ी और सितारे तलाक की राशि चुकाने में बरबाद हो गए हैं। सुना है कि एक टेनिस खिलाड़ी को अपनी विंबल्डन की ट्रॉफियां भी बेचनी पड़ी थीं। अभी हाल ही में गोल्फ प्लेयर टाइगर वुड्स की काफी संपदा तलाक के कारण चली गई। इसी प्रकरण का दूसरा पहलू यह है कि विवाह के बंधन में लंबे अरसे तक बंधे रहने के बाद अगर पति-पत्नी के बीच गहरा मतभेद है और प्रेम भी नष्ट हो चुका है, तब केवल विवाहित होने के कारण रिश्ते को तोडऩा कठिन हो जाता है और इस अनचाहे असबाब को ढोना पड़ता है। इस मौके पर साहिर लुधियानवी रचित गीत याद आता है-'चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों...'।
दरअसल प्रेम के रिश्तों को निभाने के लिए आपको उसमें लगातार अपने समय, ऊर्जा और भावना का निवेश करना पड़ता है। कई रिश्ते हृदय में प्रेम होते हुए भी बिखराव की कगार पर पहुंच जाते हैं। क्योंकि जीवन की आपाधापी के कारण भावना का निरंतर निवेश नहीं हो पाता। मनुष्य को रिश्तों को संभालने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है और यह मानवीय रिश्ते ही हैं जो बाहरी आपदा के समय मनुष्य को बिखरने से बचाते हैं। रिश्ते एक तरह की बीमा पॉलिसी हैं, जिनमें भावना का प्रीमियम लगातार देते रहना चाहिए।