चाटुकारिता के बदले / राजकिशोर
कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय में राहुल गांधी पार्टी के काम-काज में मशगूल थे। बाईं ओर की दीवार पर तरह-तरह के रंगे-बिरंगे चार्ट लग हुए थे। एक चार्ट में लोक सभा के चुनाव क्षेत्रों का नक्शा था। दूसरे चार्ट में पिछले दो चुनावों में कांग्रेस पार्टी के हारने-जीतने का ब्यौरा था। तीसरे चार्ट पर कुछ नारे लिखे हुए थे, जैसे झोंपड़ियों में जाएँगे, भारत नया बनाएँगे; दलित जगेगा देश जगेगा, बेशक इसमें वक्त लगेगा; काम करेंगे, नाम करेंगे, चाटुकार आराम करेंगे आदि-आदि। सामने तीन लैपटॉप खुले हुए थे। राहुल गांधी कभी इस लैपटॉप पर, कभी उस लैपटॉप पर काम करने लगते। मेज पर दो मोबाइल फोन रखे हुए थे। तीसरा उनकी जेब में था। हर चार-पाँच मिनट पर कोई न कोई मोबाइल बज उठता। काम करते-करते राहुल गांधी मोबाइल पर बात भी करते जाते थे। वे सुनते ज्यादा थे, बोलने के नाम पर हाँ, हूँ, क्यों, कैसे, कब, अच्छा कहते जाते थे। चेहरे पर मुसकराहट कभी आती, कभी चली जाती।
तभी इंटरकॉम बज उठा। उधर से आवाज आई - सर, एक नौजवान आपसे मिलना चाहता है। राहुल गांधी - कह दो, इस समय मैं किसी से नहीं मिल सकता। उधर से - सर, मैं कई बार कह चुका हूँ। पर मानता ही नहीं है। राहुल गाँधी - नो वे। इस वक्त बहुत बिजी हूँ। उधर से - सर, इसे दो मिनट टाइम दे दें। नहीं तो यह यहीं पर सत्याग्रह पर बैठ जाएगा। प्रेसवाले इधर-उधर घूमते ही रहते हैं...राहुल गांधी - ओके, ओके, भेज दो। पर दो मिनट से ज्यादा नहीं।
दरवाजा खटखटा कर नौजवान ने कमरे में प्रवेश किया। देखने से ही छँटा हुआ गुंडा लग रहा था। झक्क सफेद खादी का कुरता-पाजामा। गले में सोने की चेन। कलाई पर महँगी घड़ी। चप्पलें ऐसी मानो अभी-अभी कारखाने से आई हों। नौजवान ने पहले राहुल गांधी को सैल्यूट जैसा किया और मेज पर फूलों का गुलदस्ता रख दिया। राहुल गांधी सिर उठा कर एकटक देखे जा रहे थे।
नौजवान कुछ बोल नहीं रहा था। उसकी नजर राहुल के सौम्य चेहरे पर टँगी हुई थी, जैसे वह आह्लाद के आधिक्य से चित्र-खचित हो गया हो। इसके पहले उसने किसी बड़े नेता को इतनी नजदीकी से नहीं देखा था। एक मिनट इसी में बीत गया।
राहुल ने मुसकरा कर पूछा - टिकट चाहिए? कहाँ के हो?
नौजवान - अब मुझे कुछ नहीं चाहिए। आपके दर्शन पाने के बाद मेरी हर इच्छा पूरी हो गई।
राहुल - चापलूसी कहाँ से सीखी? क्या तुम्हारा परिवार पुराना कांग्रेसी है?
नौजवान - सर, हम लोग तीन पुश्तों से कांग्रेसी है। मेरे दादा ने साल्ट मार्च में हिस्सा लिया था।
राहुल - साल्ट मार्च? यह कब की बात है?
नौजवान - सर, द फेमस दांडी मार्च...
राहुल - ओह। अब तुम जा सकते हो। दो मिनट हो गए।
नौजवान - थैंक्यू सर। लेकिन असली बात तो रह ही गई।
राहुल - तीस सेकेंड में बोलो और चलते बनो। मैं बहुत बिजी हूँ।
नौजवान - सर, मैं अपने क्षेत्र की तरफ से आपको बधाई देने आया हूँ
कि...
राहुल - किस बात की बधाई?
नौजवान - कि आपने चापलूसी कल्चर के खिलाफ आह्वान कर एक क्रांतिकारी काम किया है। यह तो महात्मा गांधी भी नहीं कर सके।
राहुल - तो तुम्हें यह बात पसंद आई?
नौजवान - बहुत, बहुत ज्यादा पसंद आई। मैं तो शुरू से ही आपकी रिस्पेक्ट करता आया हूँ। लोक सभा में आपका भाषण सुनने के बाद तो मैं आपका मुरीद हो गया। सर, आपका भाषण सबसे डिफरेंट रहा। मैंने तो उसका वीडियो बनवा कर रख लिया है।
राहुल - हूँ...
नौजवान - सर, आप एकदम नई लाइन पर जा रहे हैं। दलितों की झोंपड़ियों में जाना, वहाँ खाना खाना, रात भर सोना...कांग्रेस में नई जान फूँक दी है आपने।
राहुल गांधी असमंजस में पड़ जाते हैं। कभी दीवार पर लगे चार्टों को देखते हैं कभी सामने पड़े लैपटॉप पर।
नौजवान - सर, चापलूसी खत्म करने की आपकी बात तो एकदम निराली है। आज तक किसी भी दल के नेता ने इतनी ओरिजिनल बात नहीं कही है। देश से चापलूसी का कल्चर खत्म हो जाए, तो हम देखते-देखते अमेरिका और जापान से कंपीट कर सकते हैं।
राहुल - तुम्हारा मतलब है, आम जनता को मेरा यह मेसेज अपील कर
रहा है?
नौजवान - अपील? सर, एव्रीबॉडी इज हैप्पी। चापलूसी के चलते ही हमारा देश आगे नहीं बढ़ पा रहा है। जैसे खोटा सिक्का अच्छे सिक्के को चलन से बाहर कर देता है, वैसे ही चापलूस लोग योग्य आदमियों को पीछे धकेल देते हैं। ऐसे में तरक्की कैसे होगी?
राहुल - अच्छा, ठीक है। अब तुम...
नौजवान - नो सर, इस मामले में आपको लीड लेना ही होगा। आप ही कांग्रेस से चापलूसी का कल्चर खत्म कर सकते हैं। देश का यूथ आपके साथ है। आप सिर्फ नेतृत्व दीजिए। काम करने के लिए हम लोग हैं न।
राहुल - यू आर राइट। यूथ को एक्टिव किए बिना कुछ नहीं होगा।
नौजवान - सर...
राहुल - ओके, योर टाइम इज ओवर।
नौजवान राहुल के पाँवों की धूल लेने के लिए गुंजाइश खोजता है। पर राहुल जहाँ बैठे हैं, उसे देखते हुए यह मुश्किल लगता है। सो वह प्रणाम-सा करते हुए दरवाजे की ओर मुड़ता है।
राहुल - बाइ द वे, तुम अपना सीवी सेक्रेटरी के पास छोड़ते जाना। देखता
हूँ...
नौजवान पहले से अधिक आत्म-विभोर हो जाता है। कार्यालय के बाहर उसके दोस्त-यार उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। नौजवान अपनी दो उँगलियों की वी की शक्ल में उन्हें प्रदर्शित करता है। सभी एक बड़ी गाड़ी में बैठते हैं। नौजवान ड्राइवर को आदेश देता है - होटल अशोका।