चाबी / लिली पोतपरा / आफ़ताब अहमद

Gadya Kosh से
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इमारत में सबसे ऊपरी मंज़िल की छत का बरामदा सबसे अच्छी जगह है। उस पर से आप दूर तक देख सकते हैं। उस पर बाथरूम भी है। वहाँ जाकर ऐसा लगता है जैसे हम समुद्र तट पर हों। हमको वहाँ खेलना सबसे ज़्यादा पसंद है। तीन अपार्टमेंट हैं। जब घर पर कोई नहीं होता तो कभी-कभी हम खिड़कियों से झाँकते हैं।

आप ऊपर बरामदे में चार रास्तों से, और सबसे ऊंची मंज़िल के दरवाज़े से होकर पहुँच सकते हैं। लिफ़्ट सिर्फ़ पांचवीं मंज़िल तक जाती है और छठी मंज़िल पर चलकर जाना होता है। वहाँ से बरामदा कुछ ही क़दम पर है।

दरवाज़े से लगी एक छोटी सी खिड़की है। अगर दरवाज़े में ताला लगा हो तो आप उसे पूरा खोल सकते हैं। चाबियाँ माँ-बाप के पास होती हैं। लेकिन उन्हें हमारा बरामदे में खेलना पसंद नहीं। इसीलिए हम चुपके से खिड़की से निकलकर जाते हैं। अगर आप छोटे हैं तो आप खिड़की से निकल सकते हैं। हम सब छोटे हैं: ऐलेन, ब्रानका, जोलांडा और मैं।

एक दिन हम बरामदे में डॉक्टर-डॉक्टर खेलना चाहते हैं। जोलांडा के पास रूई और इंजेक्शन है। ब्रानका के पास फ़र्स्ट-एड बॉक्स की पट्टियाँ हैं, ऐलेन के पास छोटे बैंडएड हैं। मेरे पास काँच के कुछ टुकड़े हैं। “तुम काँच के इन टुकड़ों का क्या करोगी?” जोलांडा पूछती है।

“डॉक्टर लोग खून की जाँच के समय लैब में माइक्रोस्कोप से देखते हैं, ये उसके लिए हैं,” मैं कहती हूँ।

“लेकिन हमारे पास लैब तो है नहीं, और हमारे पास माइक्रोस्कोप भी नहीं है। जब हमारे पास इंजेक्शन ही नहीं है तो ख़ून कौन निकालेगा?”

जोलांडा की बात में दम है। लेकिन आज मेरे पास बस यही काँच के टुकड़े हैं। मुझे मालूम है कि कैसे कल्पना करनी है कि मेरे पास माइक्रोस्कोप भी है, जिनसे हमारे ख़ून में तैरने वाली सब चीज़ों को मैं देख सकती हूँ। वो चीज़ें जिन्हें हम कोशिका कहते हैं।

बरामदे के दवाज़े में ताला लगा हुआ है। आम तौर पर इसमें ताला लगा होता है। लेकिन आज चाबी ताले में लगी रह गई है। हम एक दूसरे को देखते हैं।

“कोई चाबी भूल गया,” ऐलेन कहता है।

“हमें इसे वापस कर देना चाहिए,” मैं कहती हूँ।

“लेकिन किसको देंगे जब हमें मालूम ही नहीं कि किसकी है,” जोलांडा कहती है।

“ऐना इसे तुम ले लो,” ब्रानका मुझसे कहती है।

मैं ताला खोलती हूँ और हम बरामदे में जाते हैं। फिर मैं दरवाज़े में ताला लगाकर चाबी अपनी जीन्स की जेब में रख लेती हूँ। हम खेलते हैं। सब मेरे काँच के टुकड़ों का मज़ाक़ उड़ाते हैं। मुझे ग़ुस्सा नहीं आता। जब मैं डॉक्टर बनती हूँ तो मैं ज़ख्मों पर पट्टी बांधती हूँ, और जब मरीज़ बनती हूँ तो लेटकर कराहती हूँ। फिर हम ऊब जाते हैं।

मैं दरवाज़ा खोलकर फिर से ताला लगा देती हूँ। चाबी अपनी जीन्स की जेब में रख लेती हूँ। फिर मैं आँगन में जाती हूँ और सीढ़ी के पास जिससे स्कूल को रास्ता जाता है, एक छोटा सा गड्ढा खोदती हूँ, चाबी उस में रखती हूँ, उसको एक छोटी तस्वीर से ढँक देती हूँ, जो मुझे बबलगम रैपर के अन्दर मिली थी। और उसके ऊपर काँच का एक टुकड़ा रख देती हूँ। यह चाबी के गड्ढे को याद रखने की निशानी है। फिर इन सब को मिट्टी से ढँक देती हूँ। सिर्फ़ मुझे मालूम है कि चाबी कहाँ दफ़न है।

अगले दिन मिस्टर कोवाक हमें आँगन के पास ढूँढते हैं:

“तुममें किसी को यहाँ बरामदे में हमारी चाबी तो नहीं मिली,” वे पूछते हैं। उस समय हम मिट्टी पर दुनिया का नक़्शा बनाकर “देश लूटने” का खेल खेल रहे थे।”

“ नहीं हमें नहीं मिली,” हम एक साथ कहते हैं।

“ अच्छा, मुझे याद नहीं कि कहाँ रख दी। मैंने सोचा कि…,” मिस्टर कोवाक कहते हैं।

मेरे गाल शर्म से लाल हो जाते हैं। उनमें ऐसी जलन होती है कि जोलांडा मुझसे आधा अफ्रीका लूट लेती है। फिर मैं जल्दी से घर भाग जाती हूँ।

लंच के बाद जब आँगन में कोई नहीं होता तो मैं चाबी के गड्ढे की निशानी को ढूँढने जाती हूँ। कल जहाँ मैंने चीज़ें गाड़ी थीं उस जगह कुछ नज़र नहीं आता, या ज़्यादा कुछ नज़र नहीं आता। मैं सोचती हूँ कि क्या मुझे चाबी निकालकर मिस्टर कोवाक के मेल बॉक्स में रख देनी चाहिए? फिर सोचती हूँ कि क्या इसके बारे में मुझे जोलांडा से पूछना चाहिए? आख़िर मैं उसे वहीं रहने देती हूँ।

तबसे बहुत साल बीत गए। अब जब मैं आँगन में जाती हूँ तो वह मुझे बहुत छोटा लगता है। सीढ़ियों के ऊपर स्कूल जाने वाले रास्ते को पक्का कर दिया गया है। मुझे मालूम है कि अब मैं ऊपर बरामदे में कभी नहीं जाऊँगी और यह भी कि मैं अब इतनी बड़ी हूँ कि खिड़कियों से निकल नहीं सकती।

खैर, मेरे पास चाबी नहीं है। मेरे पास सिर्फ़ चाबी वाले गड्ढे की निशानी की याद बाक़ी है। आज भी मेरी इच्छा होती है कि काश मैंने चाबी मिस्टर कोवाक के मेल बॉक्स में रख दी होती।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : आफ़ताब अहमद