चार्ली चैपलिन धारा के राजकुमार हिरानी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 19 नवम्बर 2019
फिल्म उद्योग में खबर है कि राजकुमार हिरानी की अगली फिल्म में शाहरुख खान अभिनय करेंगे। अभी तक किसी पक्ष ने इसकी पुष्टि नहीं की है। राजकुमार हिरानी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं। शाहरुख खान भी आजकल खामोश रहना पसंद करते हैं। 'रईस' और आनंद एल रॉय की 'जीरो' के हादसों के बाद 'किंग खान' को एक अदद सफल फिल्म की सख्त जरूरत है। उम्र के रास्ते 54 मील की दौड़ की थकान भी कम नहीं होती। उनके समकालीन आमिर खान और सलमान खान फिल्मी दंगल में अभी भी दबंगई कर रहे हैं। राजकुमार हिरानी की अब तक बनाई सभी फिल्में सफल रही हैं। राजकुमार हिरानी ने पूना फिल्म संस्थान से फिल्म संपादन में विशेष योग्यता अर्जित करने के बाद विधु विनोद चोपड़ा से प्रार्थना की कि उन्हें अपना सहायक नियुक्त करें। पूना फिल्म संस्थान में अध्ययन करते समय राजकुमार हिरानी ने एक पटकथा लिखी थी, जिसमें आईआईटी संस्थान के 3 छात्रों की महत्वाकांक्षाएं और डर अभिव्यक्त किए गए थे, परंतु उन्हें ऐसा लगता था कि पटकथा में दर्शक को बांधे रखने वाले एक पेंच की कमी है। पटकथा लिखना किसी मशीन के नट-बोल्ट कसने का काम नहीं है, परंतु दर्शक को बांधे रखने के लिए पेंच जरूरी है। दर्शक की पसंद का हव्वा सभी फिल्मकारों के सिर पर सवार रहता है।
विधु विनोद चोपड़ा के साथ काम करते हुए राजकुमार हिरानी ने मुन्ना भाई एमबीबीएस की पटकथा लिखी और चोपड़ा साहब को सुनाई। वे तुरंत ही इस फिल्म के निर्माण के लिए तैयार हो गए। राजकुमार हिरानी और विधु विनोद चोपड़ा ने शाहरुख खान को पटकथा सुनाई। उन्होंने समय नहीं होने के सुविधाजनक बहाने से काम नहीं करने का फैसला किया, परंतु अपने नजदीकी मित्रों से कहा कि मुन्ना भाई अवश्य ही सार्थक सफल फिल्म होगी। परंतु उन्होंने इनकार इसलिए किया कि विधु विनोद चोपड़ा और उनके मिजाज अलग-अलग हैं, अतः फिल्म निर्माण के समय उनके बीच विवाद होने की संभावना है, जिस कारण युवा राजकुमार हिरानी की पहली फिल्म अटक सकती है। राजकुमार हिरानी संभवत: इस बात से अनभिज्ञ हैं कि मुन्नाभाई के अरसे पहले किशोर कुमार अभिनीत एक फिल्म में किशोर कुमार एक अस्पताल में धुले हुए कपड़े लेकर जाते हैं और कभी-कभी वहां पड़ा स्टेथेस्कोप यूं ही पहन लेते हैं। एक मरीज उन्हें डॉक्टर समझता है और अपने रोग का इलाज करवाना चाहता है। यह एक हास्य फिल्म थी। बहरहाल राजकुमार हिरानी को हमेशा ही शिक्षा प्रणाली और परीक्षा प्रणाली के विषय में चिंता रही है। सच तो यह है कि शिक्षा व्यवस्था और परीक्षा में सुधार ही भारत को समस्याओं से निजात दिला सकता है। ज्ञातव्य है कि प्रकाश मेहरा के सहयोगी सत्येंद्र पॉल चौधरी का पुत्र परीक्षा में फेल हो गया और उसने आत्महत्या कर ली। उसकी शवयात्रा के दौरान विश्वविद्यालय का एक अफसर यह बताने आया कि वह छात्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ था, परंतु परीक्षाफल की घोषणा में त्रुटि हो गई। इस तरह की घटनाओं के सभी प्रकरण प्रकाशित नहीं होते। ज्ञातव्य है कि राजकुमार हिरानी की 'थ्री ईडियट्स' में भी शिक्षा समस्याओं पर ही प्रकाश डाला गया था। उनकी फिल्म 'पीके' में भी इस विषय की ओर संकेत किया गया है। अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ वे हमेशा लड़ते रहे हैं। दरअसल फिल्म बनाने की जो धारा चार्ली चैपलिन से प्रारंभ होकर राज कपूर और ऋषिकेश मुखर्जी को संचालित करती रही है, उसी नदी की एक उत्तुंग लहर राजकुमार हिरानी भी हैं। चैपलिन प्रभावित फिल्मकारों में कुंदन शाह और अजीज मिर्जा के नाम भी महत्वपूर्ण हैं। तर्कहीनता का उत्सव मनाती हुई 'बाहुबली' ने नए किस्म की मायथोलॉजी रची है और वर्तमान में मिथ मेकर ही तख्त पर भी विराजमान है। कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा जानने के लिए दर्शक को फिल्म के भाग-2 का इंतजार करना पड़ा। विश्व के अनेक देशों में भाग-2 ही चल रहा है, परंतु डोनाल्ड ट्रंप को पद से हटाए जाने की मुहिम जोरों से चल रही है और इस प्रक्रिया में विलंब पैदा करने के लिए वे किसी छोटे देश पर आक्रमण का स्वांग रच सकते हैं। हर तानाशाह जानता है कि पलटवार ही श्रेष्ठ रक्षा होती है।
बहरहाल राजकुमार हिरानी और शाहरुख खान की जुगलबंदी रोचक हो सकती है। शाहरुख खान अपनी 'दिलवाले' अदाओं से मुक्त होकर एक कमजोर आम आदमी की जद्दोजहद को अभिनीत करते हुए स्वयं को ठीक से जानने का अवसर मिलेगा। उन्हें अजीज मिर्जा के चैपलिनिस्क सिनेमा की ओर लौटना होगा।