चिकित्सा शास्त्र से लोप होता संगीत / जयप्रकाश चौकसे

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चिकित्सा शास्त्र से लोप होता संगीत
प्रकाशन तिथि : 20 मई 2014


सुजीत सरकार जो अपनी फिल्म 'मद्रास कैफे' के लिए प्रसिद्ध हैं, अस्पतालों में हो रही लूट और अनैतिक आचरण पर फिल्म लिख रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कामचोरी और अव्यवस्था के कारण प्राइवेट अस्पतालों की विश्वसनीयता बढ़ी और आर्थिक रूप से समर्थ लोग सरकारी अस्पतालों से विमुख हो गए। आर्थिक उदारवाद ने पांच सितारा अस्पतालों के लिए रास्ता बनाया जहां इलाज बहुत महंगा है। दरअसल यह 'शाइनिंग इंडिया' के लिए बने थे और 'भारत' इन्हें दूर से ही देख सकता था। दवा बनाने वाली कंपनियों ने अपनी दवा के प्रचार के लिए डॉक्टरों को महंगे तोहफे देना प्रारंभ किया, सारे पायथोलॉजी लैब ने डॉक्टरों के मांगे बिना ही उनके घर कमीशन भेजना प्रारंभ किया। इन सब चीजों का मिला-जुला असर यह हुआ कि इलाज महंगा हो गया जो इस नए विकास का ही हिस्सा है। आजकल रोग विशेष का प्रवीणता से इलाज करने के लिए कुछ अद्भुत अस्पतालों का निर्माण हुआ है जहां शर्तिया लोगों को निरोग कर दिया जाता है। परन्तु उनके द्वारा दिए गए पैकेज से 25 प्रतिशत अधिक बिल बन जाता है। मात्र एक दिन आईसीयू में अधिक रखने से ही बिल बढ़ जाता है।

इन पांच सितारा अस्पतालों में हर मेडिकल निर्णय लैब से आई रिपोर्ट के आधार पर लिया जाता है और इस तरह की जांच हर पांच घंटों में होती है। इसमें कोई शक नहीं है कि इस प्रक्रिया में गलती की कोई संभावना नहीं है परन्तु डॉक्टर की अपनी समझ और वैज्ञानिक इंस्टीट्यूशन का क्षेत्र समाप्त कर दिया गया है। सबसे बड़ी बात कि इन अस्पतालों में सुविधा के लिहाज से अलग-अलग श्रेणी के कमरे हैं और उनके चुनाव पर अन्य सेवाओं के रेट में अंतर आता है। मसलन सुपर डीलक्स कमरे चुनने पर सर्जन से लेकर एनेस्थिटिक और नर्सिंग स्टॉफ तक के रेट बढ़ जाते हैं। अपेक्षाकृत सस्ता कमरा या शेयरिंग रूम लेने पर कम खर्च आता है परन्तु इलाज समान रूप से किया जाता है।

रविवार को हुई आपातकालीन सर्जरी के लिए अतिरिक्त धन लगता है। दुनिया में सबसे पुराना व्यवसाय वेश्यावृति माना जाता है और सबसे गरिमामय उदात्त धारणा वाला व्यवसाय चिकित्सा माना जाता है। परन्तु आर्थिक उदारवाद के बाद वेश्यावृत्ति की हल्की सी छाया उदात्त व्यवसाय में प्रवेश कर चुकी है। यहां इस महान व्यवसाय पर कोई दाग लगाने की मंशा नहीं है क्योंकि मैं स्वयं अत्यंत बीमार रहा हूं और मेरे प्राण डॉक्टरों ने ही बचाए हैं और उनसे विनम्र निवेदन है कि इस लेख को पढ़कर वे यह न कहें 'यू टू बू्रटस' पीठ पर छुरा मार रहे हो। यह केवल तथाकथित विकास के एक अंग की सड़ांध को उजागर करने का प्रयास है, या यह कहें कि सूजीत सरकार की 'अस्पताल' का पूर्वानुमान का प्रयास है।

चिकित्सा व्यवसाय पर अंग्रेजी भाषा में सैकड़ों उपन्यास हैं परन्तु एक विरल किताब का जिक्र कर रहा हूं 'आइलेस इन गेजा'। इस टाइटिल में बाइबिल की एक कथा का संकेत है। जॉन मिल्टन 'पेराडाइज लास्ट' के लिए प्रसिद्ध हैं परन्तु उनकी 'सैमसन एगोनिस्टिक' भी महान है जिसमें उदात्त नायक को प्रेमजाल में फंसाकर अंधा और गंजा कर दिया जाता है और बाल फिर बढऩे पर वह अपनी खोई शक्ति को पाकर दुष्टों का विनाश करता है- इसे ही 'आइलेस इन गेजा' कहा जाता है। बहरहाल इस उपन्यास में एक सीनेटर कार दुर्घटना में मर जाता है, पत्नी घायल है और एकमात्र कमसिन पुत्री की एक आंख बुरी तरह जख्मी होती है।

पत्नी उसे पास के अस्पताल की जगह दूर के अस्पताल में ले जाती है जहां आंख विशेषज्ञ डॉक्टर वह व्यक्ति है जिसने इस महिला के प्रेम निवेदन को अर्से पहले ठुकराया था। अस्पताल में वह जानकर उस डॉक्टर पर अपना मोह जाल फेंकती है और वह यह जानती है कि घायल आंख को समय रहते निकाला नहीं गया तो दूसरी आंख काम करना बंद कर देगी जिसे 'सिम्पेथेटिक ऑप्थेलेमिया' कहते हैं, यह आंखों के बीच आपसी प्रेम भाव का साहित्यिक पक्ष है और वैज्ञानिक तथ्य यह है कि खून का प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है।

दरअसल पूरा चिकित्सा शास्त्र ही साहित्य स्पर्श से भरा हुआ है और इसीलिए हमारे यहां वैद्यों को 'कविराज' कहा जाता था। दरअसल यह व्यवसाय ही साहित्य, संगीत और कलाओं का संगम है क्योंकि शरीर ही एक साज है, उसका संगीत है। हर श्वास एक कथा है, हर धड़कन एक अफसाना है। बहरहाल उस सीनेटर पत्नी को न केवल प्रेम में दुतकारे जाने का बदला लेना है वरन् अपने जुआरी सीनेटर पति द्वारा संपत्ति के नाश की भरपाई भी करनी है, अत: वह डॉक्टर पर दस मिलियन डॉलर का मुकदमा ठोंकती है। अब इस उपनयास में एक भयावह सत्य उभरकर आता है।

अमेरिका के डॉक्टरों के बीच एक अलिखित खामोशी की करारनामा है- कॉन्सपेरेसी ऑफ साइलेंस, जिसके तहत एक डॉक्टर दूसरे के खिलाफ गवाही नहीं देता। अमेरिका का पूरा चिकित्सा क्षेत्र मेडिकल इंश्योरेंस की गिरफ्त में है और इसका श्रीगणेश भारत में हो चुका है। चिकित्सा से संगीत और कविता चली गई। उदारवाद का हर चरण क्रूरता लाता है।