चित्रा मुद्गल / परिचय

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 चित्रा मुद्गल की रचनाएँ     
गद्य कोश में चित्रा मुद्गल का परिचय
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दलित शेाषित संवर्ग की आवाज को मुखर करती चित्रा मुद्गल ! आठवे दशक की चर्चित कथाकार सुश्री चित्रा मुद्गल ! का जन्म 10 दिसम्बर सन् 1944 को सामंती मुल्यों की दारज में बंद गाँव निहालीखेड़ा जिला उन्नाव (उत्तर प्रदेश) में एक ठाकुर परिवार में हुआ। आपके पिता जनपद उन्नाव के निहालीखेड़ा निवासी संभ्रांत क्षत्रिय थे तथा भारतीय जल सेना में अधिकारी थे। शाब्दिक अर्थों में यदि जन्म स्थान बताया जाय तो चित्रा मुद्गल का जन्म स्थान मद्रास (अब चेन्नई) है क्योकि चित्रा के जन्म के समय उनके पिता की तैनाती मद्रास में थी और वे परिवार सहित उस समय मद्रास में ही थे। दि टाइम्स आफ इन्डिया समूह के यशस्वी पत्र नवभारत टाइम्स के सम्पादक श्री अवध नारायण मुद्गल के साथ इनका विवाह हुआ।

चित्रा मुद्गल जी के लेखन में जहाँ एक ओर निरंतर रीती होती जा रही मानवीय संवेदनाओं का चित्रण होता है वहीं दूसरी ओर नए जमाने की रफ्तार में फँसी जिंदगी की मजबूरियों का चित्रण भी बड़े सलीके से हुआ है। इनके पात्र समाज के निम्न वर्ग के होते हैं और उनकी जिंदगी के समूचे दायरे के अंदर तक घुसकर अध्ययन करते हुये आगे बढ़ते हैं। इनकी रचनाओं में दलित शेाषित संवर्ग को विशेष स्थान मिला है।

मामला आगे बढ़ेगा अभी (कहानी संग्रह) के प्रकाशन के अवसर पर समर्पण में उन्होंने इस प्रकार लिखा हैः-

‘मैं,
नागों की भीड़ में
यज्ञ के सारे मंत्र भूल गया हूँ
तिल भर जगह नहीं
जहाँ मैं
अपना हवनकुड़ स्थापित कर लूँ।
-अवध की इन पंक्तियों के नाम’’

इनके एक कथा संग्रह में सम्मिलित रचनाओं के बारे में अश्कजी ने ‘वर्तमान साहित्य’ के महाकथा विशेषांक में विस्तार से लिखते हुये कहानी के शीर्षक में कुछ परिवर्तन का सुझाव दिया तो चित्रा जी ने कहानी संग्रह की भूमिका में अपनी बात इस प्रकार कही थी ‘‘...व्यवस्था से लड़ने को तत्पर किशोर मोट्या की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुयी हैं खत्म होगी भी नहीं क्योंकि वह एक ही रूप में नहीं छला जा रहां उसकी दैहिक और मानसिक भूख की नब्ज उनके हाथों में है। और वे जानते हैं कि किस समय उसे किस की भूख हो सकती है और क्या दें,दिखा असे बहलया, फुसलाया,,इस्तेमाल किया जा सकता है।’


अब तक इनके तेरह कहानी संग्रह, चार बाल कथा संग्रह, तीन उपन्यास और तीन बाल उपन्यास प्रकाशित हुये हैं। इनकी रचनाओं मंे ‘तहखानों में बन्द आइनों के अक्स’(उपन्यास), ‘जंगल का राज’(उपन्यास), ‘आंवां’(उपन्यास), ‘दूसरी औरत की कहानियां’ (कहानी-संग्रह), ‘असफल दांपत्य की कहानियां (कहानी-संग्रह), ‘ टूटते परिवारोें की कहानियां’ (कहानी-संग्रह),‘देश की लोक कथायें’ (लोक-कथा संग्रह), आदि प्रमुख हैं।

इनके उपन्यास ‘आंवां’ पर इंग्लैन्ड का इन्दु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार, बिड़ला फाउण्डेशन का व्यास सम्मान और दिल्ली अकादमी का हिन्दी साहित्यकार सम्मान पुरस्कार, सहित अनेक सम्मान भी प्राप्त हुये हैं। संप्रति दिल्ली में निवासित होकर सतत साहित्य सृजन में लगी हैं।

संपर्क सूत्रः-बी-105, बर्धमान अपार्टमेण्ट, मयूर विहार, फेस-1, दिल्ली।

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » संकलनकर्ता » अशोक कुमार शुक्ला  »