चिबखाण / सत्यनारायण सोनी
अचाणचक बीं रै मूंडै मुळक सांचरी। जकी बात री म्हांनै घणा दिनां सूं उडीक ही बा ईज हुयगी। साची, म्हैं तरसग्यो हो बीं रै मूंडै रा अै भाव देखण नै। डोकरो धीमै-सी मुळक्यो। बां दोनूं छोरां कानी अेक निजर तकायो अर मुळकतो-मुळकतो ई टुर व्हीर हुयो। म्हैं बीं नै जांवतो देखै हो। लाम्बो डील। चोळो अर धोती, डील माथै खूब फबै। फीडी जूत्यां सूं आपरी पगथळी कूटतो, जीवणै हाथ मांय धोती रो पल्लो पकड़Óर कड़तू रै चिपायां, बो धीमो-धीमो चालै हो। म्हैं उणरै मूंडै माथै मुळक रै आगलै खिण नै बांचणो चावै हो। पण अबार म्हारै कानी उण री पीठ ही। म्हारै साम्हीं तो बै दोनूं छोरा मुळकै हा। हेतियो अर काÓनियो। उम्र कोई बारै-तेरै रै नेड़ै-तेड़ै। म्हारै बास रा सै सूं कुचमादी टींगर। स्कूल सूं घरां बावड़ै तो कुचमाद रै सिवाय कोई दूजो काम नीं। कदै गळी मांय रमतै टाबर नै सतावणो तो कदै गंडकां रै भाटा मारणा। कदै ट्रैक्टर री ट्राली रै लमूटणो तो कदै गळी बगतै कोई डोकरै माथै टोंट कसणो, बीं री नकल करणी। लारलै कई दिनां सूं अै कुचमादी टींगर डोकरै चेतराम रै गैल पड़्योड़ा। हां-हां, बो ई चेतराम जिकै रो जिक्र थोड़ी ताळ पैली चालर्यो हो। चेतराम नै म्हैं ताऊ कैवूं। ताऊ भण्यो तो मोकळो पण पटवारी अर मास्टरी री नौकरी बीं रै जची कोनी तो खेती रो धंधो धार लियो। लोग कैवै, ताऊ खेती करतो-करतो ई नौकरी छोडण रो पिछतावो पण करतो रैवै। म्हैं ताऊ नै घणी ई बारी नजीक सूं जाणन री कोसिस करी, पण बात ताबै नीं आई। ताऊ कदै राजनीति री मोकळी बातां करै, च्यांरूमेर सुणनियां री भीड़ लाग ज्यावै, तो कदै अेकलो ई गळियां मांय गेड़ा देवै। कोई रै साथै बोलणो तो दूर, निजर ई नीं जोड़ै। बस आप-आप मांय ईज डूब्यो रैवै। बीं रै चेÓरै माथै चिंता रा भाव दिखबो करै। कदै-कदै बो चालतो-चालतो थम ज्यावै अर ठा नीं कांईं-कांईं सोचतो रैवै। उण दिन ई ताऊ आपरो-आप मांय ई डूब्यो म्हारली गळी सूं टिपै हो कै हेतियै दो भाटां नै दोनूं हाथां मांय काठा भींचÓर अेक दूजै पर तगड़ा-सा भिड़ाया। खड़कै रै साथै ई ताऊ चिमक्यो अर जीवणैपग री जूती काढÓर टींगरां रै गैल बगाई। टींगर हड़-हड़ हांसता दड़ाछंट हुग्या। ताऊ बरड़ायो। पण कांईं बरड़ायो, ठा नीं लाग्यो। भळै बोलबालो आपरी जूती पग मांय घालÓर टुर व्हीर हुयो। ताऊ री इण हरकत सूं म्हांनै बीं दिन री बा घटना चेतै आयगी, जद ताऊ कोई गम्भीर बहस मांय उळझर्यो हो। आपरै तर्क नै सांच करण वास्तै किणी दूजै रै तर्क माथै झुंझळ-सी आवै ही उणनै। बो कदै आ सैÓन नीं करै कै कोई बीं री बात नै कूड़ी साबित करै कै बिसरावै। म्हारै हाथ मांय अेक करचो हो अर म्हैं बैठ्यो हो ताऊ रै जाबक साम्हीं। ताऊ भासण-सो दियां जावै हो अर म्हैं बीं रो मूंडो तकावै हो। करचो म्हारै अेक हाथ सूं दूजै हाथ मांय सफर करै हो। अचाणचक ताऊ म्हारै हाथ सूं करचो खोसÓर बगा दियो। थूं बात सुणै हैÓक...! अर भळै अेक गाळ ई म्हारै कानी बगायी। लोगड़ा हांस्या अर म्हारो मूंडो उतरग्यो। टींगरां भाटा भिड़ाया तो भिड़ाया ई क्यूं? बो आपरी बैठक मांय मांची माथै बैठ्यो-बैठ्यो अळोच करै। ओ ई कोई मतलब हुयो। कोई आपरी बात सोचै अर बै बिघन गेरै! कीं रा हा मादर....! ऊतरेड़ा। सोचतां-सोचतां ताऊ रो दिमाग भारी हुग्यो। पटपड़ी पाटण लागी। दादा चाऽ!ÓÓ पोती चाय ल्यायी ही। उण अेक निजर पोती नै तकाई अर भळै चाय री बाटकी झाल ली। दोनूं पग जिका अबार तांई मांची सूं नीचै हा, ऊपर कर पलाथी मार ली। चाय पींवतो-पींवतो ई बो टींगरां री हरकतां माथै किता ई विचार करतो रैयो। अेकर भळै चालूं, मादर...। भळै तो किणी नै ई तंग नीं करैला। थम ज्याओ बेटो! अर बो साच्याणी जूतियां पग मांय घालÓर चाल पड़्यो उणीÓज रस्तै। दोनूं छोरा आम्हीं-साम्हीं पग पसार्यां अेक चूंतरी माथै बैठ्या हा। जाड़ पीसतै ताऊ अेकर तो जूती फटकारण री सोची। पण भळै मतो बदळग्यो अर नजीक जायÓर खरी मीट सूं पूछ्यो, कीं रा हो लाडी?ÓÓ निजर मिलतां ई टींगर भाज्या। थम तेरी...!ÓÓ ताऊ गाळ रा आगला टप्पा मांय रा मांय ई गिटग्यो। जीवणै पग सूं निकळी जूती भी हाथ मांय ई रैयगी। पूछां तो अचाणचक बीं रै मूंडै मुळक सांचरी। जकी बात री म्हांनै घणा दिनां सूं उडीक ही बा ईज हुयगी। साची, म्हैं तरसग्यो हो बीं रै मूंडै रा अै भाव देखण नै। डोकरो धीमै-सी मुळक्यो। बां दोनूं छोरां कानी अेक निजर तकायो अर मुळकतो-मुळकतो ई टुर व्हीर हुयो। म्हैं बीं नै जांवतो देखै हो। लाम्बो डील। चोळो अर धोती, डील माथै खूब फबै। फीडी जूत्यां सूं आपरी पगथळी कूटतो, जीवणै हाथ मांय धोती रो पल्लो पकड़Óर कड़तू रै चिपायां, बो धीमो-धीमो चालै हो। म्हैं उणरै मूंडै माथै मुळक रै आगलै खिण नै बांचणो चावै हो। पण अबार म्हारै कानी उण री पीठ ही। म्हारै साम्हीं तो बै दोनूं छोरा मुळकै हा। हेतियो अर काÓनियो। उम्र कोई बारै-तेरै रै नेड़ै-तेड़ै। म्हारै बास रा सै सूं कुचमादी टींगर। स्कूल सूं घरां बावड़ै तो कुचमाद रै सिवाय कोई दूजो काम नीं। कदै गळी मांय रमतै टाबर नै सतावणो तो कदै गंडकां रै भाटा मारणा। कदै ट्रैक्टर री ट्राली रै लमूटणो तो कदै गळी बगतै कोई डोकरै माथै टोंट कसणो, बीं री नकल करणी। लारलै कई दिनां सूं अै कुचमादी टींगर डोकरै चेतराम रै गैल पड़्योड़ा। हां-हां, बो ई चेतराम जिकै रो जिक्र थोड़ी ताळ पैली चालर्यो हो। चेतराम नै म्हैं ताऊ कैवूं। ताऊ भण्यो तो मोकळो पण पटवारी अर मास्टरी री नौकरी बीं रै जची कोनी तो खेती रो धंधो धार लियो। लोग कैवै, ताऊ खेती करतो-करतो ई नौकरी छोडण रो पिछतावो पण करतो रैवै। म्हैं ताऊ नै घणी ई बारी नजीक सूं जाणन री कोसिस करी, पण बात ताबै नीं आई। ताऊ कदै राजनीति री मोकळी बातां करै, च्यांरूमेर सुणनियां री भीड़ लाग ज्यावै, तो कदै अेकलो ई गळियां मांय गेड़ा देवै। कोई रै साथै बोलणो तो दूर, निजर ई नीं जोड़ै। बस आप-आप मांय ईज डूब्यो रैवै। बीं रै चेÓरै माथै चिंता रा भाव दिखबो करै। कदै-कदै बो चालतो-चालतो थम ज्यावै अर ठा नीं कांईं-कांईं सोचतो रैवै। उण दिन ई ताऊ आपरो-आप मांय ई डूब्यो म्हारली गळी सूं टिपै हो कै हेतियै दो भाटां नै दोनूं हाथां मांय काठा भींचÓर अेक दूजै पर तगड़ा-सा भिड़ाया। खड़कै रै साथै ई ताऊ चिमक्यो अर जीवणैपग री जूती काढÓर टींगरां रै गैल बगाई। टींगर हड़-हड़ हांसता दड़ाछंट हुग्या। ताऊ बरड़ायो। पण कांईं बरड़ायो, ठा नीं लाग्यो। भळै बोलबालो आपरी जूती पग मांय घालÓर टुर व्हीर हुयो। ताऊ री इण हरकत सूं म्हांनै बीं दिन री बा घटना चेतै आयगी, जद ताऊ कोई गम्भीर बहस मांय उळझर्यो हो। आपरै तर्क नै सांच करण वास्तै किणी दूजै रै तर्क माथै झुंझळ-सी आवै ही उणनै। बो कदै आ सैÓन नीं करै कै कोई बीं री बात नै कूड़ी साबित करै कै बिसरावै। म्हारै हाथ मांय अेक करचो हो अर म्हैं बैठ्यो हो ताऊ रै जाबक साम्हीं। ताऊ भासण-सो दियां जावै हो अर म्हैं बीं रो मूंडो तकावै हो। करचो म्हारै अेक हाथ सूं दूजै हाथ मांय सफर करै हो। अचाणचक ताऊ म्हारै हाथ सूं करचो खोसÓर बगा दियो। थूं बात सुणै हैÓक...! अर भळै अेक गाळ ई म्हारै कानी बगायी। लोगड़ा हांस्या अर म्हारो मूंडो उतरग्यो। टींगरां भाटा भिड़ाया तो भिड़ाया ई क्यूं? बो आपरी बैठक मांय मांची माथै बैठ्यो-बैठ्यो अळोच करै। ओ ई कोई मतलब हुयो। कोई आपरी बात सोचै अर बै बिघन गेरै! कीं रा हा मादर....! ऊतरेड़ा। सोचतां-सोचतां ताऊ रो दिमाग भारी हुग्यो। पटपड़ी पाटण लागी। दादा चाऽ!ÓÓ पोती चाय ल्यायी ही। उण अेक निजर पोती नै तकाई अर भळै चाय री बाटकी झाल ली। दोनूं पग जिका अबार तांई मांची सूं नीचै हा, ऊपर कर पलाथी मार ली। चाय पींवतो-पींवतो ई बो टींगरां री हरकतां माथै किता ई विचार करतो रैयो। अेकर भळै चालूं, मादर...। भळै तो किणी नै ई तंग नीं करैला। थम ज्याओ बेटो! अर बो साच्याणी जूतियां पग मांय घालÓर चाल पड़्यो उणीÓज रस्तै। दोनूं छोरा आम्हीं-साम्हीं पग पसार्यां अेक चूंतरी माथै बैठ्या हा। जाड़ पीसतै ताऊ अेकर तो जूती फटकारण री सोची। पण भळै मतो बदळग्यो अर नजीक जायÓर खरी मीट सूं पूछ्यो, कीं रा हो लाडी?ÓÓ निजर मिलतां ई टींगर भाज्या। थम तेरी...!ÓÓ ताऊ गाळ रा आगला टप्पा मांय रा मांय ई गिटग्यो। जीवणै पग सूं निकळी जूती भी हाथ मांय ई रैयगी। पूछां तो सरी है कीं रा है अै ऊतरी-उतार? ताऊ इन्नै-बिन्नै तकायो, पण कोई निगै नीं आयो। बोलबालो ई आयÓर दो-च्यार ठरका देंवतो तो चोखो रैंवतो। अै लातां रा भूत बातां सूं राजी कीकर हुवै! बो पाछो मुड़्यो तो सरी पण मरण हुगी। कोई बीसेक पांवडा पूग्यो हुसी के बीं रै जाबक नजीक पाछलै पासै भळै बियां ई भाटा बाज्या। बियां ई ताऊ जूत काढ्यो अर बो टींगर बियां ई तेतीसा देयग्यो। च्यारअेक पांवडा ताऊ बीं रै गैल भाज्यो, पण सरम मरतो थमग्यो। .....बेटी रा बाप! साठ बरस खाई है टाट में। कोई देखसी तो...? पण छोड्यां तो पार नीं पड़ै। टींगरां रा तो सींग बधग्या। आं टींगरां रा सींग बो ओछा करै तो करै कीकर! बो आपरी बैठक मांय मांची माथै सूतो-सूतो इकलार छात कानी तकावै। आज आखो दिन इणी उचाट में बीतग्यो। दिनूगै उठ्यो तो भळै बै ई कुचमादी टींगर बीं री निजरां साम्हीं गेड़ा देंवता-सा लाग्या। ट्रन-ट्रन री घंटी साथै अखबार बीं री बैठक री देÓळी माथै आयÓर पड़्यो। बो मांची सूं उठ्यो। अखबार चक्यो अर भळै मांची माथै आयÓर पानका फिरोळण लाग्यो। मुखपानै री सगळी खबरां अर अेक-अेक आखर सूं बीं री आंख्यां रा भेंटा हुया, पण मजाल है कोई खबर पल्लै पड़ी हुवै। अखबार रो अेक-अेक आखर बीं नै अणखावणो-सो लागै हो। बीं री निजरां मांय तो बस भाटा भिड़ांवता, भाजता अर हड़-हड़ हांसता बै ई कुचमादी टींगर तिरै हा। बीं नै ठा ई नीं लाग्यो कै कणां बीं री निजरां मांय खून सवार हुयो, कणां जाड़ पीसीजी, मु_ी कसीजी अर अेक जबरो-सो मुक्को अखबार माथै पड़्यो। कांईं हुयो दादा!ÓÓ पोती चाय री बाटकी स्टूल माथै छोड़ती दादै रै धूजतै होठां नै तकावै ही। म्हैं बां री हाडक्यां तोड़ नाखसूं। काचां नै खा ज्यासूं।ÓÓ ताऊ आपरी पोती रो मोढो मचकांवतै, जाड़ पीसतै कैयो। कांईं बात? दादा, कांईं खबर आयगी अखबार में?ÓÓ खबर! खबर तो अब आÓसी।ÓÓ कैवण रै साथै ई उणरी आंख्यां पत्थर हुगी। बीं रै चेÓरै माथै करूणा अर क्रोध रा भाव अेक साथै तिरण लाग्या। पोती समझ नीं सकी, सेवट बात कांईं है। बा पूछणी तो चावै ही, पण दादै रै चेÓरै रै भावां नै गोखÓर हणैं ई कीं पूछणो वाजिब नीं समझ्यो। चाय ठंडी हुवै दादा!ÓÓ छोरी डरती-डरती-सी बोली। पड़ी रैवण दे, थूं जा।ÓÓ छोरी आंगण मांय गई अर ताऊ चाय री बाटकी अेक ई गुटकै मांय रीताय दीनी। भळै स्टूल माथै बाटकी रै असवाड़ै-पसवाड़ै भिणभिणाट करती माखियां नै तकावण लाग्यो। भैंऽच...माखी मान टींगर अर...थम ज्याओ थारी...। अबकाळै बच ज्याओ तो म्हानै कैय दीज्यो।ÓÓ बड़बड़ांवतो बो मांची सूं उठ्यो। जूतियां पगां मांय घाली। कूण मांय पड़ी डांग बीं नै चेतै आई। हाथ मांय झालÓर भळै उणीज रस्तै व्हीर हुयो। टींगरां री कुचमाद रा, उणरै हाथां बां री कुटाई रा कित्ता ई चितराम बीं री आंख्यां साम्हीं मंडता रैया, मिटता रैया। गळी मुड़तां ई ताऊ इन्नै-बिन्नै तकायो। बीं नै कोई निजर नीं आयो। बो कीं आगै टुर्यो। अेक कानी भींत री छियां मांय दो छोरियां गट्टा खेलै ही। थोड़ी ताळ तो बो डावै हाथ मांय डांग अर जीवणै मांय धोती रो पल्लो पकड़्यां ऊभो रैयो। भळै इन्नै-बिन्नै तकायो। चैत रो म्हींनो खेतीबाड़ी मांय कमताळी रो हुया करै। लोग-बाग झांझरकै ई हाड़ी काटण व्हीर व्है ज्यावै। भळै घरां मांय कोई टाबर कै अेक-दो लुगायां रैवै तो रैवै। मादर..., टींगरा रै भाग में स्कूल कठै, घरआळा खेत ई लेयग्या हुसी। बो ऊभो-ऊभो सोचै ई हो कै अचाणचक पाछलै पासै भाटा खड़क्या। साथै ई ताऊ री डांग हवा मांय घूमी। पण टींगर तो बो जाÓर बो जा। लारै गळी मांय खड़्यो-खड़्यो दूजो टींगर ई दांत काढै हो। इन्नै गट्टा खेलती दोनूं छोरियां री हाँसी थामी ई को थमै ही नीं। दोनूं टींगर घणी दूर भाजग्या हा अर अबार गैल भाजणै सूं कोई फायदो नीं हो। उण हाँसती छोरियां कानी घुरिया काढ्या। छोरियां आपरी हाँसी लकोवण सारू मूंडां माथै हाथ दे लिया। चुप्प!ÓÓ ताऊ दड़ूक्यो। छोरियां डरी अर चुप हुयगी। आं टींगरां नै थे जाणो हो?ÓÓ ताऊ छोरियां नै पूछ्यो। अेक तो मेरो भाई है अर अेकईं रो।ÓÓ अेक छोरी दूजी कानी आंगळी करती कैयो। थूं कीं री है?ÓÓ माड़ू री।ÓÓ अर थूं।ÓÓ ताऊ दूजी छोरी कानी डांग सीधी करी। हरजी री।ÓÓ इस्यां रै तो इस्या ई जामसी। इसी ई ईंट अर इस्या ई ईंट रा खोरा, इस्या ई आं रा मायत अर इस्या ई आं रा छोरा। ताऊ भीतर ई भीतर आं सबदां नै बरड़ाया अर भळै थूक रो अेक मोटो-सो गुटको लियो।अचाणचक बीं रै मूंडै मुळक सांचरी। जकी बात री म्हांनै घणा दिनां सूं उडीक ही बा ईज हुयगी। साची, म्हैं तरसग्यो हो बीं रै मूंडै रा अै भाव देखण नै। डोकरो धीमै-सी मुळक्यो। बां दोनूं छोरां कानी अेक निजर तकायो अर मुळकतो-मुळकतो ई टुर व्हीर हुयो। म्हैं बीं नै जांवतो देखै हो। लाम्बो डील। चोळो अर धोती, डील माथै खूब फबै। फीडी जूत्यां सूं आपरी पगथळी कूटतो, जीवणै हाथ मांय धोती रो पल्लो पकड़Óर कड़तू रै चिपायां, बो धीमो-धीमो चालै हो। म्हैं उणरै मूंडै माथै मुळक रै आगलै खिण नै बांचणो चावै हो। पण अबार म्हारै कानी उण री पीठ ही। म्हारै साम्हीं तो बै दोनूं छोरा मुळकै हा। हेतियो अर काÓनियो। उम्र कोई बारै-तेरै रै नेड़ै-तेड़ै। म्हारै बास रा सै सूं कुचमादी टींगर। स्कूल सूं घरां बावड़ै तो कुचमाद रै सिवाय कोई दूजो काम नीं। कदै गळी मांय रमतै टाबर नै सतावणो तो कदै गंडकां रै भाटा मारणा। कदै ट्रैक्टर री ट्राली रै लमूटणो तो कदै गळी बगतै कोई डोकरै माथै टोंट कसणो, बीं री नकल करणी। लारलै कई दिनां सूं अै कुचमादी टींगर डोकरै चेतराम रै गैल पड़्योड़ा। हां-हां, बो ई चेतराम जिकै रो जिक्र थोड़ी ताळ पैली चालर्यो हो। चेतराम नै म्हैं ताऊ कैवूं। ताऊ भण्यो तो मोकळो पण पटवारी अर मास्टरी री नौकरी बीं रै जची कोनी तो खेती रो धंधो धार लियो। लोग कैवै, ताऊ खेती करतो-करतो ई नौकरी छोडण रो पिछतावो पण करतो रैवै। म्हैं ताऊ नै घणी ई बारी नजीक सूं जाणन री कोसिस करी, पण बात ताबै नीं आई। ताऊ कदै राजनीति री मोकळी बातां करै, च्यांरूमेर सुणनियां री भीड़ लाग ज्यावै, तो कदै अेकलो ई गळियां मांय गेड़ा देवै। कोई रै साथै बोलणो तो दूर, निजर ई नीं जोड़ै। बस आप-आप मांय ईज डूब्यो रैवै। बीं रै चेÓरै माथै चिंता रा भाव दिखबो करै। कदै-कदै बो चालतो-चालतो थम ज्यावै अर ठा नीं कांईं-कांईं सोचतो रैवै। उण दिन ई ताऊ आपरो-आप मांय ई डूब्यो म्हारली गळी सूं टिपै हो कै हेतियै दो भाटां नै दोनूं हाथां मांय काठा भींचÓर अेक दूजै पर तगड़ा-सा भिड़ाया। खड़कै रै साथै ई ताऊ चिमक्यो अर जीवणैपग री जूती काढÓर टींगरां रै गैल बगाई। टींगर हड़-हड़ हांसता दड़ाछंट हुग्या। ताऊ बरड़ायो। पण कांईं बरड़ायो, ठा नीं लाग्यो। भळै बोलबालो आपरी जूती पग मांय घालÓर टुर व्हीर हुयो। ताऊ री इण हरकत सूं म्हांनै बीं दिन री बा घटना चेतै आयगी, जद ताऊ कोई गम्भीर बहस मांय उळझर्यो हो। आपरै तर्क नै सांच करण वास्तै किणी दूजै रै तर्क माथै झुंझळ-सी आवै ही उणनै। बो कदै आ सैÓन नीं करै कै कोई बीं री बात नै कूड़ी साबित करै कै बिसरावै। म्हारै हाथ मांय अेक करचो हो अर म्हैं बैठ्यो हो ताऊ रै जाबक साम्हीं। ताऊ भासण-सो दियां जावै हो अर म्हैं बीं रो मूंडो तकावै हो। करचो म्हारै अेक हाथ सूं दूजै हाथ मांय सफर करै हो। अचाणचक ताऊ म्हारै हाथ सूं करचो खोसÓर बगा दियो। थूं बात सुणै हैÓक...! अर भळै अेक गाळ ई म्हारै कानी बगायी। लोगड़ा हांस्या अर म्हारो मूंडो उतरग्यो। टींगरां भाटा भिड़ाया तो भिड़ाया ई क्यूं? बो आपरी बैठक मांय मांची माथै बैठ्यो-बैठ्यो अळोच करै। ओ ई कोई मतलब हुयो। कोई आपरी बात सोचै अर बै बिघन गेरै! कीं रा हा मादर....! ऊतरेड़ा। सोचतां-सोचतां ताऊ रो दिमाग भारी हुग्यो। पटपड़ी पाटण लागी। दादा चाऽ!ÓÓ पोती चाय ल्यायी ही। उण अेक निजर पोती नै तकाई अर भळै चाय री बाटकी झाल ली। दोनूं पग जिका अबार तांई मांची सूं नीचै हा, ऊपर कर पलाथी मार ली। चाय पींवतो-पींवतो ई बो टींगरां री हरकतां माथै किता ई विचार करतो रैयो। अेकर भळै चालूं, मादर...। भळै तो किणी नै ई तंग नीं करैला। थम ज्याओ बेटो! अर बो साच्याणी जूतियां पग मांय घालÓर चाल पड़्यो उणीÓज रस्तै। दोनूं छोरा आम्हीं-साम्हीं पग पसार्यां अेक चूंतरी माथै बैठ्या हा। जाड़ पीसतै ताऊ अेकर तो जूती फटकारण री सोची। पण भळै मतो बदळग्यो अर नजीक जायÓर खरी मीट सूं पूछ्यो, कीं रा हो लाडी?ÓÓ निजर मिलतां ई टींगर भाज्या। थम तेरी...!ÓÓ ताऊ गाळ रा आगला टप्पा मांय रा मांय ई गिटग्यो। जीवणै पग सूं निकळी जूती भी हाथ मांय ई रैयगी। पूछां तो सरी है कीं रा है अै ऊतरी-उतार? ताऊ इन्नै-बिन्नै तकायो, पण कोई निगै नीं आयो। बोलबालो ई आयÓर दो-च्यार ठरका देंवतो तो चोखो रैंवतो। अै लातां रा भूत बातां सूं राजी कीकर हुवै! बो पाछो मुड़्यो तो सरी पण मरण हुगी। कोई बीसेक पांवडा पूग्यो हुसी के बीं रै जाबक नजीक पाछलै पासै भळै बियां ई भाटा बाज्या। बियां ई ताऊ जूत काढ्यो अर बो टींगर बियां ई तेतीसा देयग्यो। च्यारअेक पांवडा ताऊ बीं रै गैल भाज्यो, पण सरम मरतो थमग्यो। .....बेटी रा बाप! साठ बरस खाई है टाट में। कोई देखसी तो...? पण छोड्यां तो पार नीं पड़ै। टींगरां रा तो सींग बधग्या। आं टींगरां रा सींग बो ओछा करै तो करै कीकर! बो आपरी बैठक मांय मांची माथै सूतो-सूतो इकलार छात कानी तकावै। आज आखो दिन इणी उचाट में बीतग्यो। दिनूगै उठ्यो तो भळै बै ई कुचमादी टींगर बीं री निजरां साम्हीं गेड़ा देंवता-सा लाग्या। ट्रन-ट्रन री घंटी साथै अखबार बीं री बैठक री देÓळी माथै आयÓर पड़्यो। बो मांची सूं उठ्यो। अखबार चक्यो अर भळै मांची माथै आयÓर पानका फिरोळण लाग्यो। मुखपानै री सगळी खबरां अर अेक-अेक आखर सूं बीं री आंख्यां रा भेंटा हुया, पण मजाल है कोई खबर पल्लै पड़ी हुवै। अखबार रो अेक-अेक आखर बीं नै अणखावणो-सो लागै हो। बीं री निजरां मांय तो बस भाटा भिड़ांवता, भाजता अर हड़-हड़ हांसता बै ई कुचमादी टींगर तिरै हा। बीं नै ठा ई नीं लाग्यो कै कणां बीं री निजरां मांय खून सवार हुयो, कणां जाड़ पीसीजी, मु_ी कसीजी अर अेक जबरो-सो मुक्को अखबार माथै पड़्यो। कांईं हुयो दादा!ÓÓ पोती चाय री बाटकी स्टूल माथै छोड़ती दादै रै धूजतै होठां नै तकावै ही। म्हैं बां री हाडक्यां तोड़ नाखसूं। काचां नै खा ज्यासूं।ÓÓ ताऊ आपरी पोती रो मोढो मचकांवतै, जाड़ पीसतै कैयो। कांईं बात? दादा, कांईं खबर आयगी अखबार में?ÓÓ खबर! खबर तो अब आÓसी।ÓÓ कैवण रै साथै ई उणरी आंख्यां पत्थर हुगी। बीं रै चेÓरै माथै करूणा अर क्रोध रा भाव अेक साथै तिरण लाग्या। पोती समझ नीं सकी, सेवट बात कांईं है। बा पूछणी तो चावै ही, पण दादै रै चेÓरै रै भावां नै गोखÓर हणैं ई कीं पूछणो वाजिब नीं समझ्यो। चाय ठंडी हुवै दादा!ÓÓ छोरी डरती-डरती-सी बोली। पड़ी रैवण दे, थूं जा।ÓÓ छोरी आंगण मांय गई अर ताऊ चाय री बाटकी अेक ई गुटकै मांय रीताय दीनी। भळै स्टूल माथै बाटकी रै असवाड़ै-पसवाड़ै भिणभिणाट करती माखियां नै तकावण लाग्यो। भैंऽच...माखी मान टींगर अर...थम ज्याओ थारी...। अबकाळै बच ज्याओ तो म्हानै कैय दीज्यो।ÓÓ बड़बड़ांवतो बो मांची सूं उठ्यो। जूतियां पगां मांय घाली। कूण मांय पड़ी डांग बीं नै चेतै आई। हाथ मांय झालÓर भळै उणीज रस्तै व्हीर हुयो। टींगरां री कुचमाद रा, उणरै हाथां बां री कुटाई रा कित्ता ई चितराम बीं री आंख्यां साम्हीं मंडता रैया, मिटता रैया। गळी मुड़तां ई ताऊ इन्नै-बिन्नै तकायो। बीं नै कोई निजर नीं आयो। बो कीं आगै टुर्यो। अेक कानी भींत री छियां मांय दो छोरियां गट्टा खेलै ही। थोड़ी ताळ तो बो डावै हाथ मांय डांग अर जीवणै मांय धोती रो पल्लो पकड़्यां ऊभो रैयो। भळै इन्नै-बिन्नै तकायो। चैत रो म्हींनो खेतीबाड़ी मांय कमताळी रो हुया करै। लोग-बाग झांझरकै ई हाड़ी काटण व्हीर व्है ज्यावै। भळै घरां मांय कोई टाबर कै अेक-दो लुगायां रैवै तो रैवै। मादर..., टींगरा रै भाग में स्कूल कठै, घरआळा खेत ई लेयग्या हुसी। बो ऊभो-ऊभो सोचै ई हो कै अचाणचक पाछलै पासै भाटा खड़क्या। साथै ई ताऊ री डांग हवा मांय घूमी। पण टींगर तो बो जाÓर बो जा। लारै गळी मांय खड़्यो-खड़्यो दूजो टींगर ई दांत काढै हो। इन्नै गट्टा खेलती दोनूं छोरियां री हाँसी थामी ई को थमै ही नीं। दोनूं टींगर घणी दूर भाजग्या हा अर अबार गैल भाजणै सूं कोई फायदो नीं हो। उण हाँसती छोरियां कानी घुरिया काढ्या। छोरियां आपरी हाँसी लकोवण सारू मूंडां माथै हाथ दे लिया। चुप्प!ÓÓ ताऊ दड़ूक्यो। छोरियां डरी अर चुप हुयगी। आं टींगरां नै थे जाणो हो?ÓÓ ताऊ छोरियां नै पूछ्यो। अेक तो मेरो भाई है अर अेकईं रो।ÓÓ अेक छोरी दूजी कानी आंगळी करती कैयो। थूं कीं री है?ÓÓ माड़ू री।ÓÓ अर थूं।ÓÓ ताऊ दूजी छोरी कानी डांग सीधी करी। हरजी री।ÓÓ इस्यां रै तो इस्या ई जामसी। इसी ई ईंट अर इस्या ई ईंट रा खोरा, इस्या ई आं रा मायत अर इस्या ई आं रा छोरा। ताऊ भीतर ई भीतर आं सबदां नै बरड़ाया अर भळै थूक रो अेक मोटो-सो गुटको लियो। माडिय़ो अर हरजीड़ो। अै दोनूं ई ऊतरी उतार। कोई शिकायत करै तो करै कीं नैं? आथण तो दोनूं दारू मांय धत्त मिलसी। ...पण इयां कित्ताÓक दिन जीस्यां? सोचै, बो आं टींगरां सूं सलटै तो सलटै कीकर! बो घरां आयÓर मांची माथै आडो हुग्यो। जीम-जूठÓर भळै सोयग्यो। दोपारै-दोपारै बो नींद घोट्या करै, पण आज तो नेड़ै-तेड़ै ई कोनी। टींगर अेकर हाथ तो आ ज्यावै, भळै देखूं। पण टींगर ई कोई काची गोळ्यां नीं खेल्या। चालती गाडी रो पहियो काढ लेवै। बेटी रा बाप, बड़ा उस्ताद। लगोलग तीन दिन तांईं ताऊ टींगरां नै कूटण सारू तापड़ा तोड़तो रैयो अर टींगर बियां ई आपरी बांण बरतांवता रैया। अबार तो बो जाबक आंती आयग्यो। रोटी खांवतो तो रोटी नीं भांवती, चाय पींवतो तो चाय। सूत्यो हुवै कै जागतो, हर घड़ी बीं रै दिमाग मांय बै ई टींगर भाटा खड़कांवता रंैवता। आज उण सुपनै मांय आपरै पड़ोसी रूघै आगै आपरो रोवणो रोयो हो, 'यार रूघा, साची अै टींगर ईयां ई करता रैया तो म्हनै आपघात करणो पड़सी।Ó सगळी बात सुणÓर रूघो ताळी पीट-पीटÓर हाँस्यो तो हाँसतो ई रैयो। उण आ बात रूघै नै सुपनै मांय तो कैय दी जको कैय दी, पण सांप्रतै नीं कैयसी। अठै तो घ्यारी मचरी है अर आं लोगां नै मजाक सूझै। सलटणो तो आप ई पड़सी। ...बो आखै दिन सोचतो रैयो अर भळै इण निरणै माथै पूग्यो कै बो इण गळी सूं भळै कदी नीं टिपसी। फेर कोई भाटा किण वास्तै भिड़ाÓसी। अेक कानी ताऊ उण गळी मांय आवणो-जावणो बंद कर दियो। दूजी कानी दोनूं छोरा गळी मांय पड़्या भाटां पर निजर राखता, डोकरै नै हर घड़ी उडीकता रैंवता। पण जद लगोलग पांच दिन टिपग्या तो दोनूं छोरा जाबक ई फीका हुयग्या। सोच्यो, डोकरो स्यात बीमार हुयग्यो। आ भी हुय सकै कै डोकरो कोई गांवतरै गयो हुवै। छानै सीÓक बां बेरो पाड़्यो। डोकरो तो आपरै घरां ई रैवै है। म्हैं देखÓर आयो हूं।ÓÓ हेतियै काÓनियै नै बतायो। रैवण दे, क्यूं कूड़ चेपै! लोवै लागतां ई डांग कोनी ठोकद्यै हार के?ÓÓ साची चंई, म्हनै मोरी मांखर दीखग्यो हो। ठोडी गै हात लगायां बैठ्यो हो मांची पर।ÓÓ तेरै कानी कोनी देख्यो?ÓÓ अैं हैं!ÓÓ बूढियो फीको हो नीं?ÓÓ हां, लागै तो हो।ÓÓ यार, आपां बूढियै नै सतायो घणो।ÓÓ फेर?ÓÓ फेर क्यांरी! बात चोखी कोनी।ÓÓ पाप लागसी?ÓÓ पाप-पुन्न कण देख्या, पण बूढियै बिना आवड़ै ई कोनी। गळी जाबक ई सूनी-सूनी लागै।Ó हां यार, रोजीनां तीन-च्यार गेड़ा काटतो हो।ÓÓ बात तो ठीक है।ÓÓ यार, अबकाळै कद ई बो आवै जद आपां नै भाटा कोनी भिड़ाणा।ÓÓ तो कोई और खेल्लो करस्यां?ÓÓ क्यांमीं यार, आपां इस्यो कोई काम कोनी करां जिकै सूं डोकरो चेड़ मानै।ÓÓ पक्की?ÓÓ पक्की।ÓÓ दोनूं छोरां अेक-दूजै री हथेळी पर हथेळी मारÓर ताळी बजाई। बिन्नै ताऊ ई घणो पक्को रैयो। बीं गळी कानी मूंडो ई नीं कर्यो। पण कोई दसेक दिन टिप्या हुसी कै अेक खास काम सूं उणनै उणीÓज गळी सूं टिपणो पड़्यो। टींगर तो कुचमाद करसी, उण सोच्यो। पण गिरधारी खाती रै घरां जावण खातर कोई दूजो रस्तो ई तो नीं। गळी मुड़तां ई उणनै बै दोनूं टींगर अेक चूंतरी माथै बैठ्या निगै आया। टींगरां री निजर ई डोकरै माथै पड़ी। दोनूं जणा बोलबाला सूधी गाय-सा टुरÓर साÓरली गळी मांय बड़ग्या। टींगर मानै तो कोनी, कुचमाद तो पक्कायत ई करसी। गळी सूं भाटा चकÓर गैल सूं बजासी। ताऊ रो सक विसवास में बदळग्यो। पण उण ई मन मांय पक्की धारली कै टींगरां भाटा बजाया तो बो ई कीं नीं बोलसी। जिकी गळी मांय छोरा बड़्या हा, उण बिन्नै तकायो ई कोनी। मूंडै रा भाव इण भांत बणाया जाणै उणरै तो कोई बात याद ई नीं। गिरधारी रै घरां पूग्यो जद तांईं उणनै लागतो रैयो जाणै भाटा अब बाज्या, अब बाज्या। पण भाटा तो नीं बाज्या। ताऊ पाछो मुड़्यो। आंवती बारी तो भाटा कोनी बाज्या, पण टींगर अबकाळै कोनी बगसै। आखै मारग बो होळै-होळै बगतो भाटा बाजणै री उडीक करतो रैयो। पण भाटा तो भळै ई को बाज्या नीं। बटा, छोरां भाटा बजाया क्यूं कोनी? मको, हाँस्या क्यूं कोनी? घरां आयÓर बो मांची माथै बैठ्यो-बैठ्यो किती ई देर सोचतो रैयो। अळोच करतो रैयो। भळै सोचै, चलो अळबाद सूं गैल छूटी। टींगरां मांय स्यात कीं समझ बापरी है। पण नीं... भाटा तो बाजता तो ई ठीक हा...। बीं नै लाग्यो, जाणै आज कोई चीज-सी गमगी। खालीपन-सो लखायो। दिन अलूणो-सो होग्यो। आथण तांईं उण गळी रा बो लगोलग दो गेड़ा काटग्यो, पण टींगर नजीक ई नीं आया। दो उदास मूंडा बीं रै दिमाग मांय मंडता रैया। टाबरां नै तो हाँसणो ई चाइजै। बीं नै बा गळी नीरस अर वीरान-सी लखावण लागी। भळै अेक दूजो ई उचाट बीं नै परेसान करण लाग्यो। छोरां ई देख्यो कै डोकरो लगोलग इण गळी सूं टिपै, पण उदास-उदास। बीं रो चेÓरो बां नै सागी नीं लखायो। आ उदासी तो टूटणी चाइजै। ........अर कई दिनां पछै आज वा उदासी टूटी। बां टाबरां अर बीं डोकरै री अलोप हुयी हाँसी बावडग़ी ही।
(1997)