चुनावी एक्सप्रेस / गोवर्धन यादव
Gadya Kosh से
"कुर्सी पर किस तरह काबिज हुआ जा सकता है" इस सोच ने सभी नेताओं को अपनी जद में ले लिया था, आखिर, नया रास्ता खोज निकला गया, समान विचारधारा वाली पार्टियों को साथ मिलाकर एक नया दल बनाया गया और उसे एक नाम दिया गया, वे जानते थे कि लोकसभा कि सीढियाँ चढने के लिए दो तिहाई बहुमत का होना ज़रूरी है, उन्होंने यह भी तयकर रखा था कि जिस दल में सदस्यों की संख्या ज़्यादा होगी, उसी में से कोई एक प्रधानमंत्री बना दिया जाएगा,
चुनाव हुये और गठजोड करने वाली पार्टी, चुनाव-एक्सप्रेस में सवार होकर चुनाव जीत गई, जिस दल में संख्या बल ज़्यादा था, उसका व्यक्ति प्रधान मंत्री की कुर्सी पर आसीन हो गया और शेष सदस्यॊं ने अपने-अपने दल-बल के आधार पर मंत्री पद हथिया लिए.