चुनावी खेती की तीसरी फसल / जयप्रकाश चौकसे

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चुनावी खेती की तीसरी फसल
प्रकाशन तिथि : 24 नवम्बर 2018


फसलों को खरीफ और रबी कहा जाता है। 12 महीने में किसान दो फसल उगा लेता है। जहां नदियों पर बांध बनाए गए हैं और सिंचाई की सुविधा प्राप्त है, वहां किसान तीन फसल भी प्राप्त करते हैं। आजकल फसल पाने की अतिरिक्त सुविधा मिल रही है। एक नए मौसम ने यह संभव किया है कि चुनाव के मौसम में नेता मतदाताओं को भांति-भांति के प्रलोभन देते हैं। चुनावी वादों ने एक नई फसल का रूप ले लिया है। अ‌वाम भी कम नहीं है। चुनाव के मौसम में वह नई मांग उठाता है। महाराष्ट्र के किसान मोर्चा लेकर मुंबई की ओर चल पड़े और सरकार ने तुरंत मांगे स्वीकार कर लीं। लुभावने वादों का एलान करने के पहले अपने साधन व देने की क्षमता की कोई जांच पड़ताल नहीं की जाती। हर नागरिक के खाते में 15 लाख जमा करने के वादे ने चुनावी फसल काटकर सीधे सिंहासन पर बैठा दिया। यह तो सिंहासन की फितरत है कि हुक्मरान की स्मृति का आंशिक लोप हो जाता है। हमारे पवित्र आख्यान में भी तो सिंहासन पर बैठा व्यक्ति यह भूल गया है कि अपने वनवास में उसने एक स्त्री से प्रेम किया था और वह गर्भवती है। उसी शिशु के नाम पर राष्ट्र का नाम रखकर हमने अपनी कुंडली में सुविधाजनक स्मृति लोप को दर्ज कर दिया। कर्ज लेने वाले चतुर किसानों ने भी अपनी कर्ज आदाएगी की किश्तें देना बंद कर दिया। परिणाम यह है कि बैंकों का दिवाला निकल चुका है परंतु वे अपनी बैलेंस शीट मेें अनेक दशक पूर्व बनाई गईं अपनी इमारतों को आज बढ़े हुए भावों से जोड़ते हुए काल्पनिक लाभ की बैलेंस शीट बना देते हैं।

बैलेंस शीट बनाने का काम चार्टड अकाउंटेंट की सहायता से किया जाता है। पहले इस कठिन परीक्षा को पास करने वालों को प्रतिशत मात्र सात होता था परंतु वर्तमान में यह बढ़ गया है, क्योंकि 'खपत' देखकर ही 'उत्पादन' बढ़ाया जाता है। हमारे हुक्मरान ने ताजपोशी होते ही जीडीपी के मानदंड बदल दिए। पहले उत्पाद की खपत होने के बाद प्राप्त मुनाफा निर्णायक घटक था। अब उत्पाद होते ही उसे बिका हुआ मानकर काल्पनिक मुनाफे को यथार्थ का मुनाफा मान लिया जाता है

फिल्म व्यवसाय में भी तीसरी फसल होती है। प्रथम प्रदर्शन के बाद सैटेलाइट अधिकार बेचे जाते हैं। संगीत अधिकार बेचे जाते हैं। प्रदर्शन के 5 वर्ष पश्चात पुनः सैटेलाइट द्वारा टीवी के प्रदर्शन अधिकार बेचे जाते हैं। 5 वर्ष बाद तीसरी फसल काटी जाती है। निर्माता का लाभ कायम रहता है परंतु वितरक और प्रदर्शक के पास कोई तीसरी फसल नहीं होती।

तीव्र विकास करती टेक्नोलॉजी निर्माता के लिए नए बाजार पैदा कर देती है। अब यू-ट्यूब के लिए भी अधिकार बेचने के रास्ते खुल गए हैं। एक शराब निर्माण करने वाली कंपनी तो यू-ट्यूब के लिए फिल्म बनाने का अग्रिम धन भी देती है। सारे खेल नियम निर्माता की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं। क्रिकेट खेल के सारे नियम बल्लेबाज के हित में बनाए गए हैं। यहां तक कि जब किसी फैसले के लिए तीसरे अम्पायर से अपील की जाती है तब वहां बैठा विशेषज्ञ अलग-अलग कोण से लिए चित्र देखता है और सब कुछ देखकर भी उसकी दुविधा बनी रहती है तो वह निर्णय बल्लेबाज के पक्ष में देता है। क्रिकेट में पिच डॉक्टरिंग भी की जाती है और घरेलू टीम को लाभ पहुंचाने वाली पिच बनाई जाती है तथा देर रात जल के छिड़काव से पिच के मिजाज को बदलने की चेष्ठा भी की जाती है। पिच बोल नहीं सकती, उसे इसका अधिकार नहीं है।

इस तरह जिस जमीन पर युद्ध लड़े जाते हैं, उस जख्मी जमीन का बयान कभी दर्ज नहीं किया जाता। हजारों वर्ष बीत गए और हमने कुरुक्षेत्र से नहीं पूछा कि उसका हाल क्या है। कुरुक्षेत्र की जमीन पर सूखा हुआ रक्त कैसे बताएं कि यह कौरव पक्ष के लिए लड़ने वाले में से किसका रक्त है? युद्ध की फसल पर हथियार बनाने वाले तीन फसल काटते हैं। अमेरिका का तो यह स्थायी व्यापार है और चतुर अमेरिका अपनी जमीन पर कभी युद्ध नहीं होने देता। वह बेगाने युद्ध का अब्दुल्ला दीवाना बना रहता है। बहरहाल बारहमासी चुनाव अब भारत का सबसे लाभप्रद व्यवसाय बन चुका है। यह निरंतर तीन फसल काटने का अवसर दे रहा है। कपास के खेत में फसल काटने के बाद छोड़े गए डंठलों पर कुछ दिन बाद कुछ कपास उग जाती है। इसे सर्वे की कपास माना जाता है। यह भी तीसरी फसल ही है। चुनावी तीसरी फसल खाने वाले अपने अभी तक अजन्मे शिशु का हाहाकार नहीं सुन पा रहे हैं।