चेन्नई एक्सप्रेस और बॉम्बे / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 06 जुलाई 2013
फिल्म उद्योग में बॉक्स ऑफिस का अध्ययन करने वाले आजकल इस आकलन में लगे हैं कि शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण अभिनीत रोहित शेट्टी निर्देशित 'चेन्नई एक्सप्रेस' और उसके प्रदर्शन के एक सप्ताह बाद लगने वाली अक्षय कुमार, इमरान खान और सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा' में किसका व्यवसाय अधिक होगा। और ईद पर लगने वाली शाहरुख खान अभिनीत फिल्म और गत वर्ष ईद के एक दिन पूर्व पंद्रह अगस्त को प्रदर्शित 'एक था टाइगर' के पहले दिन के कलेक्शन की तुलना भी की जाएगी। 'एक था टाइगर' ने पहले दिन ३३ करोड़ रुपए कमाए थे। कुछ आंकड़ेबाज लोगों का अनुमान है कि विगत एक वर्ष में मल्टीप्लैक्स की संख्या बढऩे तथा मल्टीप्लैक्स के टिकटों की दर बढ़ाए जाने के कारण शाहरुख खान की फिल्म वह आंकड़ा पार कर लेगी और कुछ लोगों का कहना है कि वह आंकड़ा पार नहीं हो सकता। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म भी पहले दिन 15 अगस्त की छुट्टी के कारण 20 या 22 करोड़ कमा सकती है। भारत में सबसे बड़ा प्रशंसक आधार सलमान खान का है और 'एक था टाइगर' आदित्य चोपड़ा की फिल्म होने के कारण विदेश में भी औसत सलमान खान हिट से अधिक व्यवसाय कर गई, जबकि विदेश क्षेत्र शाहरुख खान का गढ़ है, जिसमें सेंध मार दी है रणबीर-दीपिका की 'ये जवानी है दीवानी' ने। बहरहाल, आकलन तो ऋतिक अभिनीत 'कृश-३' का भी किया जा रहा है, जो दिवाली पूजन के एक दिन बाद लग रही है। राकेश रोशन का ट्रेक रिकॉर्ड देखते हुए कह सकते हैं कि पहले दिन वह करीब 40 करोड़ का व्यवसाय करेगी।
बॉक्स ऑफिस के परे शाहरुख खान का रोहित शेट्टी को अनुबंधित करना थोड़ा अजीब-सा लगता है, क्योंकि रोहित शेट्टी मसालों का गरिष्ठ घोल बनाते हैं और 'चेन्नई एक्सप्रेस' के पहले अजय देवगन के साथ अनेक सफलताएं अर्जित कर चुके हैं, इसलिए यह अनुमान लगा सकते हैं कि उनकी पटकथाएं अजयनुमा हैं और अक्षय कुमार की छवि के अनुरूप भी हैं। याद कीजिए 'राउडी राठौर'। ऐसा लगता है कि 'चेन्नई एक्सप्रेस' शाहरुखनुमा फिल्म नहीं है और दूसरी ओर 'वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा' दाऊद की कहानी होने के कारण उसमें 'डॉन' शाहरुख खान बेहतर लग सकते थे। भूमिकाओं का यह उलटफेर विगत फिल्मों और रुचियों के आधार पर है। सक्षम कलाकार को हर तरह की भूमिका करना चाहिए।
यह भी संभव है कि सलमान खान और अक्षय कुमार की विगत समय में लगातार सफलताएं देखकर शाहरुख खान ने सोचा हो कि वह रोहित शेट्टी को लेकर वैसा ही खेल खेलें, क्योंकि शायद अवाम इसी तरह की फिल्में देख रहा है। अत: उन्होंने अपनी रोमांटिक छवि के खिलाफ लोकप्रिय धारा के साथ बहने का फैसला किया हो और इसी की पुष्टि इस बात में होती है कि उनकी अगली फिल्म मसाला मेकर फरहा खान कर रही हैं। उन्होंने भी देख लिया है कि उनके मसाले अक्षय कुमार के साथ नहीं चले- 'दे आर मेड फॉर शाहरुख'। बहरहाल, इस समय शाहरुख खान दोराहे पर दुविधाग्रस्त लगते हैं, क्योंकि उनके विगत प्रयास आशातीत सफलता अर्जित नहीं कर पाए। महत्वपूर्ण यह है कि ये सारे सीनियर कलाकार तेजी से बदलते हुए भारत को अनदेखा कर रहे हैं। सिनेमा में हो रहे प्रयोगों को अनदेखा कर रहे हैं। महेश भट्ट की नए कलाकारों की त्रासदी 'आशिकी-२' और 'रांझणा' चल रही हैं। 'फुकरे' भी अपनी लागत पर मुनाफा दे रही है। उधर, रणबीर कपूर लगातार जोखिम उठा रहे हैं। वे 'बर्फी' के बाद अनुराग कश्यप के साथ 'बॉम्बे वेलवेट' कर रहे हैं और अनुराग बसु के साथ उन्होंने भागीदारी कर ली है। फरहान भी 'भाग मिल्खा भाग' के साथ मुख्यधारा का सितारा बनने की पहल कर रहे हैं। अजय बहल 'बीए पास' जैसी साहसी फिल्म बना रहे हैं।
दरअसल, सीनियर कलाकारों के पास बाइस वर्षों में बनाया प्रशंसक आधार है, जो ठोस है परंतु उन्हें भी अपनी छवि में कुछ नया करना होगा, क्योंकि यही उनके प्रशंसक चाहते हैं। सीनियर कलाकार नई तारिकाओं के साथ काम कर रहे हैं, परंतु उन्हें नए लेखक और युवा फिल्मकारों के साथ काम करना चाहिए। इस तथाकथि मस्ती-मंत्र के दौर में 'आशिकी-२' और 'रांझणा' की त्रासदी का चलना क्या संकेत दे रहा है। 'काई पो छे' जैसी साहसी फिल्म एक विवादास्पद विषय पर नए कलाकारों के साथ झंडे गाड़ चुकी है। अभिषेक कपूर की 'रॉक ऑन' भी सफल फिल्म थी। आज अगर अभिषेक कपूर और हबीब फैजल सीनियर सितारों के साथ फिल्म बनाएं तो कुछ जादू हो सकता है।
इस उद्योग में हमेशा साहसी विषय चले हैं। देव आनंद ने अपनी लोकप्रिय छवि के खिलाफ जाकर 'गाइड' जैसी फिल्म की और वहीदा रहमान ने भी रोजा की भूमिका करके अद्भुत साहस दिखाया। एक तवायफ की बेटी अपने लंपट पति को छोड़कर अपना मनपसंद काम करना चाहती है। इससे अधिक गैर पारंपरिक चरित्र आज तक नहीं आया। सारांश यह कि लीक से हटकर चलना ही एकमात्र रास्ता है।