चेहरा / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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'माँ, आज मुझे रास्ते में बुआ मिलीं। वे गाय को चारा खिलाकर लौैट रही थीं।'

'तूने पाँव छुए कि नहीं?'

'छुए. पर पता हैं माँ, आज बुआ उदास-उदास लग रही थीं।'

'बेटा सुबह-सुबह सुस्ती रहती ही है।'

'वह सवेरे की सुस्ती नहीं थी माँ। इतना तो मुझे भी पता चलता है।'

'तो?'

'तो क्या? फूफाजी ने लड़ाई-वड़ाई की होगी और क्या?'

'तुझे ऐसा क्यों लगा?'

'जिस दिन आपसे पापा झगड़ते हैं उस दिन आपका चेहरा भी वैसा ही उतरा-उतरा होता है, इसलिए.'