चौड़े माथे पर बड़ा तिलक / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 18 सितम्बर 2019
राजपाल यादव तिहाड़ जेल में तीन वर्ष की सजा काटकर रिहा हो चुके हैं। उन्होंने कर्ज लिया था और महाजन को दिए उनके चेक खाते में रकम नहीं होने के कारण लौटा दिए गए। उनके निकट के लोगों का कहना है कि अभिनय क्षेत्र में सफलता पाते ही उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने गुरु के लिए आश्रम बनाया था और इसीलिए कर्ज लिया था। उनका विश्वास है कि गुरु कृपा से ही उन्हें सफलता मिली है। जब कोई भी व्यक्ति अपनी प्रतिभा और परिश्रम से पाई सफलता का श्रेय भाग्य को देने लगता है तब वह परेशानी में पड़ जाता है।
इस प्रक्रिया में उसका आत्म-विश्वास घटने लगता है। मराठी भाषा में बनी एक फिल्म में मध्यम वर्ग की एक महिला से मिलने उसकी सहेली आती है। वह अपने बचपन की सहेली को बताती है उसके पति और पुत्र अपने मन की बात सुनते हैं और उनके लिए गए गलत फैसलों से परिवार की आर्थिक हालत नाजुक हो गई है। उसकी सहेली उसे एक ताबीज देती है कि इसे बांह पर बांधने के बाद बहुत सुधार होगा।
उसका पति किराए की दुकान में एक छोटी प्रिंटिंग मशीन चलाना चाहता था। वह अपने घर में एक कमरा खाली करती है और पति की मशीन वहां लगवाती है। इसी तरह वह अपने पुत्र को कहती है कि विज्ञान की पढ़ाई उसे पसंद नहीं है तो वह वाणिज्य कॉलेज में अध्ययन करें। ताबीज धारण करने के बाद वह अपनी बात इतने प्रभावशाली ढंग से रखती है कि उसके पति और पुत्र उसके कहे अनुसार काम करते हैं। कुछ समय बाद परिवार की आर्थिक दशा में सुधार आ जाता है। सहेली लौटती है और स्पष्ट करती है कि वह कोई अिभमंत्रित ताबीज नहीं था। अत्यंत साधारण-सी चीज थी। उसने केवल आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए यह किया। संभवत: मराठी भाषा में बनी इस फिल्म का नाम ही 'आत्म-विश्वास' था। प्रारंभिक सफलता मिलने पर राजपाल यादव आत्म-विश्वास की अधिकता के शिकार हुए। संजय दत्त भी जेल जा चुके हैं। उन पर आतंकियों से सांठगांठ और बारूद से भरे टेम्पो को अपने घर के अहाते में रखने का आरोप था। उनके पिता के राजनीतिक रसूख और मुंबई के अघोषित राजा की सहायता से संजय दत्त को कम सजा हुई। संजय दत्त को मादक पदार्थों की लत थी और उनका इलाज अमेरिका में कराया गया था। उनके द्वारा निर्मित 'प्रस्थानम' का प्रदर्शन होने वाला है। सलमान खान भी जेल जा चुके हैं। हाईकोर्ट ने उन्हें निर्दोष करार दिया है। अमेरिका में खेल क्षेत्र के एक सितारे पर गंभीर आरोप लगाया गया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वे बच गए परंतु अमेरिका का अवाम उन्हें दोषी मानता था। जब यह सितारा अपने घर गया तो उसके तमाम सेवक उसकी नौकरी छोड़ चुके थे। उसने रेस्तरां में भोजन के लिए जगह के आरक्षण की मांग की तो रेस्तरां ने उन्हें इनकार कर दिया। इस तरह अदालत के फैसले के परे अवाम भी अपने ढंग से सजा देता है। हाल ही में प्रदर्शित फिल्म 'सेक्शन 375' में भी अपराधी छूट जाता है। सरकारी वकील और बचाव पक्ष का वकील फैसले के बाद मिलते हैं और दोनों ही स्वीकार करते हैं कि न्याय नहीं हो सका। हर देश की जेल उस देश के अवाम के स्वभाव के अनुरूप कार्य करती है। 'शाशैंक रिडम्पशन' फिल्म में सजायाफ्ता व्यक्ति ने लूट की रकम एक जगह छिपाई है और जेल कक्ष के अपने साथी को वह यह बात बताता है। हमारे देश की जेलों में उन कैदियों को सारी सुविधाएं मिलती हैं, जिनके रिश्तेदार जेल अधीक्षक को रकम पहुंचाते रहते हैं। हमारी भ्रष्ट व्यवस्था की जेलें भ्रष्टाचार से कैसे अछूती रह सकती है? इस सबके बावजूद मानना होगा कि अवाम आज भी अदालत का सम्मान करता है।
आज भी दो लोगों के बीच विवाद होने पर कहा जाता है कि अदालत में देख लेंगे। दशकों पूर्व अभिनेता बलराज साहनी को अपने साम्यवाद पर विश्वास के कारण जेल भेजा गया। उनकी निर्माणाधीन फिल्म के निर्माता ने अदालत से यह आज्ञा प्राप्त की कि वे प्रतिदिन जेल से आकर शूटिंग करेंगे और रात जेल में ही काटेंगे।
गौरतलब यह है कि क्या अब राजपाल यादव को अभिनय के अवसर मिलेंगे? हमारा समाज अपने ही ढंग से काम करता है। सलमान खान और संजय दत्त निरंतर कार्य कर रहे हैं। राजपाल यादव का सितारा कद कभी बड़ा नहीं रहा। अत: उन्हें काम मिलने की संभावना कम है। हम तो माथा देखकर ही तिलक लगाते हैं।