छमिया / दीपक मशाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नए शहर में पहले दिन बाज़ार से कुछ खरीदने गई थी रमा कि तेज धूप में अचानक सड़क पर गिरते उस लड़के को देख वो भी अपनी स्कूटी ले उसकी तरफ बढ़ गई। १०-१२ लोग लड़के को घेर कर खड़े हो गए, मगर सभी उसे देख केवल उसकी बीमारी के बारे में कयास लगाए जा रहे थे। कोई उसको हस्पताल पहुँचाने को राजी ना था। उसका मन उन इंसानी मशीनों को देख नफरत से भर आया।

शॉपिंग का विचार छोड़ एक साइकिल वाले की मदद से सड़क पर पड़े उस अधबेहोश लड़के को उसने किसी तरह अपनी स्कूटी पर बिठाया और धीरे-धीरे स्कूटी चलाते हुए उसे पास के एक क्लीनिक तक ले गई।

डॉक्टर ने ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई और कमजोरी बता कर कुछ टोनिक और हफ्ते भर का आराम लिख दिया।

थोड़ी देर में जब लड़के को होश आया तो डॉक्टर का शुक्रिया अदा करने लगा। तब डॉक्टर ने ही बताया कि रमा ही उसे वहाँ लेकर आयी थी।

“बहुत-बहुत धन्यवाद रमा जी। मैं आपका अहसान कभी नहीं भूल सकता, आपका जो पूरा दिन ख़राब किया वो तो नहीं लौटा सकता पर अभी घर पहुँच कर जो भी खर्च हुआ वो आपको देता हूँ।” आभार प्रकट करते हुए उसने कहा

“अरे नहीं। उसकी कोई जरूरत नहीं है, आखिर इंसान ही इंसान के काम आता है” रमा ने विनम्रता से कहा

“वैसे मेरा नाम समीर है और यहाँ से थोड़ी दूर राईट हैण्ड पर जो नारायण कॉलोनी पड़ती है ना। बस उसी के ब्लॉक-सी में रहता हूँ। पता नहीं कैसे अचानक चक्कर आ गया। शायद सुबह घर से कुछ खा-पीकर नहीं निकला और आज धूप भी तेज़ थी इसलिए।”

“अरे वाह। मैंने भी उसी कॉलोनी के ब्लॉक-बी में फ़्लैट लिया है, चलिए फिर आपको घर भी छोड़ देती हूँ।” रमा ने कहा तो समीर मना ना कर पाया।

३ दिन बाद रमा को ब्लॉक-सी में कुछ काम था तो सोचा 'यहाँ तक आई हूँ तो समीर का हाल लेती चलूँ'। रास्ते से कुछ फल लेकर उसके घर पहुँची और उसका हाल-चाल लेकर वापस जाने के लिए जैसे ही स्कूटी स्टार्ट करने लगी कि घर से थोड़ी दूर खड़े ३ लड़कों की फुसफुसाहट ने उसके कान खड़े कर दिए।

“ओये देख। समीर की 'छमिया' “ एक बोला

“ओये रहिन दे, फेंक मत” दूसरा बोला। पहले ने विश्वास दिलाते हुए कहा,”हाँ बे कसम से। समीर भाई ने ही बताया। यही तो उस दिन उनको हस्पताल से लाई थी, कहते थे बड़ा मज़ा आया चिपक के बैठने में”

अब तीसरा कैसे चुप रहता,”हायssssss... उस दिन मैं क्यों ना गिरा सड़क पर।”

गुस्से से भरी रमा स्कूटी स्टार्ट कर चुपचाप वहाँ से निकल गई।

आज फिर कहीं जाते हुए रमा ने किसी आदमी का एक्सिडेंट होते देखा। पर अबकी उसकी स्कूटी नहीं रुकी।