छेकड़ली सांस / सत्यनारायण सोनी
चाळीस बरस। चाळीस बरस थोड़ा को हुवै नीं। चाळीस बरसां में दोनूं भाई, हां, दोनूं मा-जाया भाई, अेकर ई को बोल्या नीं आपसरी में। पण आज! आज जद जिनगाणी रा छेकड़ला दिन, हां, छेकड़ला दिन ई है, म्हींना नीं। जद अै छेकड़ला दिन आया है तो बीती जिनगाणी रा अेक-अेक दिन उणनै चेतै आवै। रील-सी चालै। इड्डी के बात ही? कोई बात-सी बात ई कोनी ही। बस, दो बीघा खूड! दो बीघा खूडां पर दोनूं भाई भिच पड़्या। जूता-फजीती हुयी अर बोलचाल बंद। कित्ता ई कारण-अेढा काढ्या। पण मजाल है आपस में बतळाया हुवै, आवण-जावण हुयी हुवै। उणनै बाळपण में सुण्योड़ा दादी रा बोल चेतै आवै, 'बसणो भाइयां में, होवै चाये बैर ही।Ó पिछतावो समावै नीं हो भगतराम रै। बो खुद नै ई फटकारै हो, जीवड़ा! कसूर तो थारो ई हो सारो। साची बात तो आ ईज ही कै बो खुद ई अंटग्यो हो। कोनी मान्यो हो, भाई-बेलियां अर सगै-परसंगियां भी घणा ई निहोरा काढ्या हा उणरा। सागै थकां बापूजी लीनी ही जमीन, दो बीघा। अर आ दो बीघा उणरै अेकलै रै नांव ई कराय दीनी ही। आ दो बीघा भगता तेरी अर आगली साल दो बीघा और लेयस्यां जद मोहनै री।ÓÓ बोल्या हा बापूजी।आगलो साल आयो तो बापूजी कोनी हा। मां तो पैली ई जांवती रैयी ही। बाकी जमीन में सूं आधोआध कर्यो जको तो कर्यो ई। ईं दो बीघा पर अेकलै ई धणियाप जतायो भगतै अर पांती देवण सूं साव नाटग्यो हो बो। ...पण क्यूं नाट्यो बो? सेवट कांईं बणग्यो भाई रा दो बीघा खूड दाबÓर? ...कीं ई तो नीं बण सक्यो! भाई सूं बिछोड़ो तो हुयो ई। ...बीं भाई सूं जिको उण सूं घणो हेत राखतो। मान राखतो। ...उणरो ओ लाड कर्यो? ...भोत माड़ी बात! अर भूंड रो ठीकरो ई आयो उण रै सिर। पण पैलां कद सोची अै बातां? अै दो बीघा खूड कांईं म्हारै सागै चालसी? बो खुद सूं ई सवाल करै। पण सवाल रो जवाब किण कनै है? आधी रात रो वगत। सोचतो-सोचतो बो धांसी में उळझ ज्यावै। कोझी तरियां उळझै तो मूंडै सूं 'ओ रे मावड़ी अेऽÓ निसरै, पण सुणन-वाळो कोई लोवै-लवास ई नीं। बो पड़्यो है बारलै कमरै में अेकलो ई मांची पर। आंवतो पाळो अर ओ बुढापो। रिजाई नै काठी करै। कीं निवास बापरै। धांसी कीं कम हुवै, पण अळोच तो बधतो ई जावै। हाडक्यां करकै। पसवाड़ो फोरतां ई ताण आवै। जिकां सारू आं दो बीघां रो लाळच कर्यो, बै तो उणरी तिथ ई को बांचै नीं। धांसी कीं जपी। पण पिसाब री हाजत बैरण बणगी। अबार मांची सूं किण विध उतरै? कोई कनै हुवै तो उतारै। सेवट बो हिम्मत करै। पसवाड़ो फोरÓर दोनूं पग मांची सूं नीचै लटकावै। होळै-होळै उतरै। बैठ्यो-बैठ्यो ई सिरकै। सिरकतो-सिरकतो चूंतरी री कूंट पर आवै। नाड़ो खोलै। पण सुन्न में धोती रो पल्लो भीज ज्यावै। पण जोर कांईं चालै! फेर बो घींसीजतो-घींसीजतो ई पाछो मांचली तक पूगै। थक ज्यावै कोझी तरियां। डील में सुन्नपात-सी आ ज्यावै। फेर खडख़ड़ो-सो चढै। ओखी-सोखी रिजाई डील पर सरकावै। पण खडख़ड़ो क्यां रो थमै। धांसी फेर बैरण हुय ज्यावै। माथो अर हाथ-पग, डील रो अंग-अंग टूटै। लागै ज्यान निकळसी। अबार तो हरेक सांस बीं नै छेकड़ली-सी लागै। बेटो, बीनणी अर पोतो भीतर भोत दूर सूत्या है उण सूं। हेलो सुणै ई तो कुण ऊभो हुवै काची नीनां में। पण साची बात तो आ है कै उण सूं इत्तो जोरगो हेलो लागै ई तो कोनी। धांसी में उळझ्योड़ो बो तो रिणक सकै बेसी सूं बेसी। डील में पीड़ अर मन में मोहनै रो उणियारो मंडतो जावै। आं चाळीस बरसां में बण उणरो उणियारो सावळ-सर देख्यो ई तो कोनी। आज उणरै मन में आवै कै बै दो बीघा खूड मोहनै नै देÓद्यूं। उणरो लाड करद्यूं। उण सूं बांथ घाल काठो मिलूं। पण अबार तो बो खुद भी मालिक कोनी बां खूडां रो। बेबस है बो। गया उण रै हाथां सूं तो। अर अबार तो सो कीं जांवतो लागै। डील री पीड़ बधती जावै। उणरै मूंडै सूं अेकर भळै नीसरै, ओ रे मावड़ी अेऽ!ÓÓ सांस तावळी-तावळी चालै। डील टूटै। माथो फूटै। पेट में रीळा चालै। आंख्यां आडी अंधारी-सी आवै। मूंडै सूं नीसरै, ओ रे भीया, मोहना रेऽ!ÓÓ
(2007)