छोटी-सी बात / गोवर्धन यादव
मैं अपने मित्र की प्रतीक्षा में बहुत देर से खड़ा था, उसके न आने से मेरी खीज लगातार बढ़ती जा रही थी, उसे दो-तीन बार फ़ोन लगाया, लेकिन हर बार नाकामी ही हाथ लगी, बड़ी देर तक कोशिश करते रहने के बाद मुश्किल से संपर्क हो पाया, उसने बतलाया के भीड़ ने रोड जाम कर रखा है, अतः उसे आने में कठिनाई हो रही है, जैसी ही स्थिति सामान्य होती है, मैं पहुँच जाऊँगा, तुम चिंता मत करो,
मन में कई बार विचार आया कि पैदल ही निकल जाना चाहिए, लेकिन मुझे जहाँ जाना था, वह स्थान दस किमी दूर था, जाम के चलते इधर टैक्सी वाले भी नहीं आ पा रहे थे,
उसे आता हुआ देखकर मन का बोझ कुछ कम हुआ, उसने मोटरसाइकिल रोका और मुझे बैठ जाने का ईशारा किया, मेरे बैठते ही उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी,
" ऐसा क्या हुआ था कि लोगों ने सड़क जाम कर दिया? मैंने कारण जानना चाहा,
"नहीं, नहीं ऐसी कोई विशेष बात नहीं थी, तुम जो जानते हो यार, आजकल लोग-बाग छोटी-छोटी बातों को लेकर तैश में आ जाते हैं और जब चाहें जाम लगा देते हैं, जाम की वज़ह से को दूसरों की कितनी परेशानियाँ झेलनी पड़ती है, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता, जाम लगाकर ऐसे बैठ जाते हैं जैसे सड़क उनके बाप की हो, यहाँ तक कि वे एम्बुलेंस को भी निकल जाने का रास्ता तक नहीं देते" ,
"सो तो ठीक है, लेकिन ये बताओ आख़िर माजर क्या था, लोग यूंहि जाम लगाकर नहीं बैठते" मैं अपनी जिज्ञासा नहीं दबा पा रहा था,
"यार, बात बहुत छोटी-सी थी, किसी बदमाश ने अंधेरी रात का फ़ायदा उठाकर एक जवान लड़की से बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या करके भाग खड़ा हुआ, लोगों ने उसकी लाश बीच सड़क में रखकर जाम लगा दिया, अब ऐसे लोगों को क्या समझाया जाए कि ऐसी घटनाएँ तो आए दिन होती ही रहती है, इसमें जाम लगाने की क्या ज़रूरत थी, पुलिस को सूचना दे देते, उसे जो आवश्यक कार्यवाही करना होता, वे अपने स्तर पर करते" ,
उसकी इस घटिया सोच पर मुझे कोफ़्त होने लगी थी, मैंने उससे कहा-"अभी और इसी समय मोटरसाइकिल रोक दो" ,
उसने ब्रेक लगाते हुए पूछा-" क्यों क्या हुआ, तुम्हें तो अभी बहुत दूर जाना है, कोई विशेष बात?
" हाँ, विशेष बात है, जिस आदमी के लिए एक जवान लड़की पर हुआ बलात्कार और फिर उसकी जघन्य हत्या महज़ एक छॊटी-सी बात हो, मेरी नजरों में वह आदमी भी बलात्कारी और हत्यारा जैसा ही होता है, ऐसे आदमी के साथ मोटरसाइकिल पर सवारी करने की बजाय, मैं पैदल यात्रा करना ज़्यादा पसंद करूँगा, ´ ऐसा कहते हुए मैं मोटर साइकिल से उतरकर पैदल चल पड़ा।