छोटी छोटी बातें / ज्योत्स्ना शर्मा
आज नए विद्यालय में सुरभि का दूसरा दिन था। कक्षा में उसके एक-दो मित्र भी बन गए थे। सभी के साथ वह भी अपनी कक्षाध्यापिका मिस रंजना की प्रतीक्षा कर रही थी। वही उनकी हिन्दी की अध्यापिका भी थीं और सभी बच्चे अपनी शिक्षिका की बेहद प्रशंसा कर रहे थे। तभी कक्षा में मिस ने प्रवेश किया। बच्चों ने खड़े होकर उनका अभिवादन किया और उन्होंने बच्चो को बैठने का इशारा किया। सभी बच्चों को नई कक्षा में आने पर बधाइयाँ और शुभ कामनाएँ देकर उन्होंने नए बच्चों का परिचय लिया। सुरभि को उनका बोलने का ढंग बहुत अच्छा लगा।
मिस रंजना ने बताया कि आज वही मध्यावकाश तक कक्षा में बैठने वाली हैं तो क्यों न कुछ हिन्दी का पठन-पाठन हो जाए, लेकिन बच्चे बोले कि आज सबके पास पाठ्य पुस्तकें नहीं हैं। इस पर मिस ने अपने पास रखी पुस्तक में से दोहों का सस्वर पाठ कराया। पहले वह गातीं और फिर बच्चे दोहराते। सुरभि को तो याद भी हो चले थे दोहे ...कितने मधुर!
अब मिस ने कहा चलो कुछ नया करते हैं। अपनी आलमारी से पुरानी नोटबुक निकाल कुछ पेपर सभी बच्चों को बाँट दिए और कहा, "सभी अपने नाम के साथ इस पर इस वर्ष आप क्या अच्छा कार्य करेंगे, 2 मिनिट में लिख कर दीजिए"। सभी बच्चे बहुत उत्साहित थे। उन्होंने प्रसन्न मन जल्दी-जल्दी लिख कर अपने-अपने पेपर मिस को दे दिए और ध्यान से उनकी ओर देखने लगे। मिस मुस्कुराते हुए पढ़ रहीं थीं और उन्होंने पाँच पेपर अपने पास रख लिए. मिस ने कहा, "मेरे बच्चो मुझे आप पर गर्व है, आप सभी ने बहुत अच्छा लिखा, लेकिन आज जो पाँच बहुत ही अच्छे हैं वह मैं आपको सुनाऊँगी"।
उन्होंने पहला पेपर उठाया यह दीपक का था, उसने लिखा, "जल ही जीवन है वह इसे व्यर्थ नहीं होने देगा और सबको जल बचाने के लिए समझाएगा"। अब मिस ने कहा बहुत ही सही बात दीपक ने रखी है। जल-संरक्षण आज बहुत बड़ी आवश्यकता है। घर तथा मार्ग में खुली पड़ी टंकियाँ कितना पीने योग्य जल बर्बाद कर देती हैं यह नहीं होने देना चाहिए. उपयोग किए गए जल को पुनः संशोधित कर सिंचाई तथा साफ़-सफाई के कार्य में लिया जा सकता है। ऊँची इमारतों तथा खेतों के आस-पास वर्षा के जल को एकत्रित किए जाने की योजना पर भी उन्होंने बताया। सभी ने दीपक के लिए तालियाँ बजाईं।
दूसरा पेपर निधि का था। निधि ने लिखा कि वह विद्युत, पेट्रोल तथा डीजल के सदुपयोग के विषय में सबको जागरूक करेगी। वाह निधि! मिस ने कहा तो निधि का मुख खुशी से चमक उठा। मिस ने बताया कि इस विषय में बच्चे बहुत कुछ कर सकते हैं। कभी अनावश्यक रूप से बिजली के पंखे, बल्ब या अन्य उपकरण चले न छोड़ें। टी. वी. एक साथ मिलकर देखें और डीजल, पेट्रोल ...तो भाई साइकिल जिंदाबाद! यह व्यायाम का भी अच्छा साधन है। यदि आवश्यक हो तो एक स्थान पर जाने के लिए अनेक लोग एक ही वाहन का उपयोग करें। सभी बच्चे बोल उठे, "निधि, जिंदाबाद" !
अब विषय था राष्ट्रीय संपत्ति के रख रखाव का। राहुल ने लिखा था कि वह कभी ट्रेन, बस अथवा पार्क आदि किसी सार्वजनिक स्थान पर लगे नलों, सीटों, बिजली के स्विच आदि को न स्वयं नुकसान पँहुचाएगा और न किसी को पँहुचाने देगा। मिस ने बहुत प्रशंसा के साथ राहुल को देखा और कहा, "बहुत सही राहुल! ऐसे लोग थोड़े से स्वार्थ और बेवकूफी भरे आनंद के लिए कितनी असुविधा उत्पन्न कर देते हैं इसका उन्हें अनुमान भी नहीं। शाबाश बच्चा!" और तालियाँ बज उठीं।
मधुरिमा ने स्वच्छता को विषय बनाया था। उसने लिखा कि जैसे घर वैसे ही अपने विद्यालय, सडकों और शहर को साफ़ रखना भी हमारा कर्त्तव्य है। उसने मिस को यह भी बताया कि वह कभी घर का कचरा सड़क पर नहीं डालने देती। कहीं आते-जाते वेफर्स के खाली पैकेट, चाकलेट के रैपर या माजा आदि के केन अपने साथ रखे थैले में डालती है और पॉलीथीन का प्रयोग बिल्कुल नहीं करती। मिस ने बहुत गंभीरता से बताया कि कैसे पॉलीथीन धीरे-धीरे जमीन को बंजर बनाती हुई एक विकट समस्या बनती जा रही है।
पांचवा और अंतिम पेपर सुरभि का था उसने लिखा कि वह शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करेगी। मिस मुस्कुराई और बोली यह तो टीचर बनेगी। फिर कहा शिक्षा जीवन को सही ढंग से जीने का सलीका सिखाती है। उन्होंने सही समय पर बीमारियों से बचने के लिए लगाए जाने वाले टीकों की आवश्यकता पर भी बल दिया। अंत में कहा मेरे बच्चो आप सभी भारत माता के नन्हें सिपाही हो। अपने–अपने कार्य को पूरी लगन और मन से करते हुए देश की उन्नति में अपना योगदान कर सकते हो और गर्व से कह सकते हो, "भारत माता की," जय" सभी बच्चे समवेत स्वर में बोल उठे!
मध्यावकाश हो चुका था।