छोटी मछली बड़ी मछली / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
एक दिन छोटी मछली ने बड़ी मछली को खा लिया| मत्स्य जगत में हड़कंप मच गया| विशेष बात यह हुई की छोटी मछली ने खाने के बाद डकार तक नहीं ली|
समुद्र में लोकतंत्र है,हर बड़ी मछली छोटी मछली को खाने को स्वतंत्र है| हर बड़ा जीव छोटे जीव को बिना किसी अवरोध या इजाजत से खा सकता है,कोई कानूनी बाध्यता भी नहीं है प्रजातंत्र जो ठहरा| फिर भारतीय लोकतंत्र तो दुनियां का सबसे बड़ा लोक तंत्र है यहां डर कैसा| प्रत्येक बलवान कमजोर को अपना शिकार बना सकता है| समुद्र के संविधान में भी ऐसा ही कुछ लिखा हुआ है| किंतु जब गंगा
उल्टी बहने लगे तो आश्चर्य तो होना ही था|
समुद्रदेव ने एक जांच आयोग बिठा दिया| आखिर मालूम तो पड़े कि छोटी मछली में इतनी शक्ति कहां से आ गई| आयोग ने जांच में पाया कि छोटी मछली विदेशी थी| अमेरिका के तटवर्ती इलाके से भटककर इंडिया के क्षेत्र में आ गई थी| और जो बड़ी मछली शिकार हुई थी वह इंडियन याने कि भारतीय थी शुद्ध भारतीय| मतलब भारतीय तट के समुद्र की स्थाई निवासी थी|
मत्स्य जगत के सभ्य जीवों को जब आयोग की यह रिपोर्ट मालूम पड़ी तो सबने राहत की सांस ली| यह तो साधारण सी बात थी भारतीय संस्कृति में तो ऐसा होता ही रहता है सदियों से हो रहा है| और सब अपने अपने काम में लग गये|