जंगल का शेर, चिड़ियाघर का शेर व सर्कस का शेर / जयप्रकाश चौकसे

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जंगल का शेर, चिड़ियाघर का शेर व सर्कस का शेर
प्रकाशन तिथि :06 जनवरी 2016


अब प्रचार की आंधी और आय के आंकड़ों की आपाधापी के बाद शांति से सोचते समय संभव है कि शाहरुख खान सोचें कि उनकी अपनी खोज दीपिका पादुकोण उनके लिए दो बार भाग्यवान सिद्ध हुईं और अब विरोधी के रूप में भी उसकी 'बाजीराव मस्तानी' उनकी 'दिलवाले' से आगे निकल गई है। ज्ञातव्य है कि जब प्रदर्शन के पूर्व दीपिका ने 'बाजीराव मस्तानी' के प्रति अपनी शुभकामना दी थी तब शाहरुख खान के उनसे खफा होने की बात सामने आई थी, जिसे आप इस तरह समझ सकते हैं कि 'हमारी बिल्ली और हमी से म्याऊं।' हर सीनियर को यह भ्रम बना रहता है कि बिल्ली सदैव बिल्ली ही रहेगी। उसे पता भी नहीं चलता कि कब वह शेरनी हो गई है।

इस शेरनी के 'मुंह तो लहू लग गया।' बॉक्स ऑफिस के जंगल में कभी-कभी शेरनी भी महारानी बन जाती है। 'मुंह में लहू लगा हो' तो वह मारक वार भी कर सकती है। शेर को बहुत बाद में अहसास होता है कि वह बूढ़ा हो चला है। दरअसल, उम्र का शेर सबसे अधिक शक्तिशाली होता है। आप समय के साथ नए काम, नए अंदाज में करते रहें तो इसका प्रथम दर्शक उम्र का शेर कुछ समय के लिए सिहर जाता है और वह अपने बढ़ते कदम रोक लेता है। मनोरंजन जगत में खुद को नए रूप में रोज संवारना होता है वरना आप बासे हो जाते हैं।

इस बाजार में नया माल सतत आता रहता है। साधनों की विपुलता प्रतिभा का पर्याय नहीं है। हर क्षेत्र में अवसर देने वाले 'हमारी बिल्ली हमी से म्याऊं' विचार शैली से पिटते रहते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि स्वयं के पुत्र व पुत्रियों को शेर या शेरनी देखना उन्हें अच्छा लगता है परंतु यही नियम जाने कैसे वे दूसरों पर नहीं लगाते! राजनीति में प्राय: शागिर्द के साथ उस्ताद की पिटाई हो जाती है। जिस सीढ़ी पर कदम रखकर लोग ऊपर जाते हैं, ऊपर पहुंचते ही उसी सीढ़ी को लात मार देते हैं। इससे अधिक गहरा और दार्शनिक खेल है 'सांप और सीढ़ी' जिस नाम का उपन्यास गुलशेर शानी ने अर्से पहले लिखा था। सितारों पर बहुत दबाव रहते हैं, जिनके कारण उनके लिए संतुलन बनाए रखना कठिन होता है। एक चैनल पर चमचा कहता है कि फलां साल शाहरुख खान ने अपनी दोनों बाहों को फैलाने की अदा का 'आविष्कार' किया। यह उस शैली में कहा जाता है, जिसमें एक वैज्ञानिक अपने बाथ टब से 'यूरेका' कहते हुए सड़कों पर दौड़ गया था। हर तरह का अतिरेक यहां होता है। बहरहाल, इस वर्ष शाहरुख की फरहान अख़्तर और आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्मित दो फिल्में प्रदर्शित होंगी। पहली की पटकथा अहमदाबाद के टाइम्स संपादक ने लिखी है। पत्रकार की पटकथा रोचक होने की संभावना है। सुना है कि यह गुजरात के अवैध शराब के अपराध सरगना की कहानी है। यह भी सुना है कि किसी जमाने में गुजरात में अवैध शराब के दो व्यवसायी अलग-अलग धर्मों के लोग थे और वे प्राय: अपने धर्म की छत्रछाया में यह धंधा करते थे। यह यथार्थ संभवत: इस फिल्म का हिस्सा नहीं है। आदित्य चोपड़ा की फिल्म में शाहरुख 45 वर्षीय सितारा है और उनका हमशक्ल 22 वर्षीय उनका फैन है। इस रोचक स्थिति को कई दिशाओं में ले जाया जा सकता है। मान लें कि उम्रदराज सितारा अपनी जगह अपने फैन को भेजता है ताकि जनता उसके अभी भी युवा होने पर यकीन करती रहे। अब यह फैन महत्वाकांक्षी होकर अपने उम्रदराज सितारे को उसी के घर में कैद करके उसकी सितारा हैसियत के मजे लेने लगता है।

बहरहाल, हर सितारा अपने को शेर ही समझता है। अब शेर के जीवन में भी तीन चरण हो सकते हैं। एक जंगल का राजा शेर, जो अपनी स्वाभाविक दशा में रहता है। यह सितारे के शिखर के दिनों की तरह है। दूसरा यह कि जंगल का शेर पकड़कर चिड़ियाघर में डाल दिया जाए, जहां उसे खुराक में तैयार गोश्त मिलता है, तो वह आलसी हो जाता है। यह सितारे के फिसलन का दौर होता है। तीसरी दशा यह वह सर्कस का शेर है, जिसे रिंग मास्टर के को़ड़े पर तरह-तरह के नाच दिखाने पड़ते है। यह उम्रदराज सितारे के जीवन की तरह है, जहां वह जीवन यापन के लिए 'लाइफ टाइम' इनाम लेने जाता है। बहरहाल, यह किसी एक सितारे के बारे में नहीं है और यह तो राजनेता के साथ भी होता है। अभी तो उम्रदराज नेता हाशिये पर धकेल दिए गए हैं। राजनेता की तीसरी देशा वह है ज उसे किसी प्रदेश का राज्यपाल बना देते हैं।