जंगल है तो सब मंगल है / जयप्रकाश चौकसे

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जंगल है तो सब मंगल है
प्रकाशन तिथि : 16 अप्रैल 2020

कोरोना कालखंड का असर मवेशियों पर पड़ रहा है। उनकी देखभाल नहीं की जा रही है। घर के बाहर दो रोटी गाय के लिए छोड़े जाने की परंपरा है। गाय के साथ ही कुत्तों के लिए भी कुछ रखा जाता था। कल रात खाकसार के कम्पाउंड में एक कुत्ता घुस आया। उसे भगाने का कोई भी प्रयास सफल नहीं हो रहा था। जब उसे खाने के लिए कुछ भोजन दिया गया तब वह कम्पाउंड से बाहर गया। राज कपूर की ‘आवारा’ के एक दृश्य में बेरोजगार नायक स्ट्रीट लैम्प के नीचे बैठ जाता है। एक कुत्ता उसके पास आता है, जिसे वह अपनी गोद में बिठाकर कहता है- ‘दोस्त तुम्हें देने के लिए मेरे पास प्यार के अतिरिक्त कुछ नहीं है। सुविधाओं से वंचित मनुष्य को समाज का ‘अंडरडॉग’ कहा जाता है। इस तरह एक ही बिंब में फिल्मकार ने समानता विहीन समाज का दर्द प्रस्तुत कर दिया।

फिल्मकार विकास बहल ने ऋतिक रोशन अभिनीत ‘सुपर 30’ बनाई थी। इसके पूर्व वे ‘क्वीन’ बना चुके थे। उनकी फिल्म ‘चिल्लर पार्टी’ में एक रहवासी कम्पाउंड में एक अनाथ बालक अपने कुत्ते के साथ आता है। रहवासी साधन संपन्न परिवार के बच्चों और अनाथ बालक तथा उसके कुत्ते के बीच आपसी प्रेम और करुणा का रिश्ता बन जाता है। एक मंत्री फतवा जारी करता है कि आवारा पशुओं को पकड़ा जाए। मंत्र जी को स्वच्छता अभियान चलाए रखना है। दरअसल उनके हर कार्य के पीछे एक मात्र उद्देश्य अपनी लोकप्रियता को बढ़ाना मात्र है।

बहरहाल, मंत्री बनाम बच्चे संग्राम रहवासी कम्पाउंड से प्रारंभ होकर सड़क से होते हुए टीवी स्टूडियो तक जा पहुंचता है। मंत्री जी कुछ प्रश्न पूछते हैं और बच्चे उनका यथेष्ठ जवाब अपनी पाठ्यक्रम की पुस्तकों की मदद से देते हैं। बच्चे मंत्री जी को उन्हीं के अखाड़े में उन्हीं के दांव से चित कर देते हैं। अनाथ बालक कहता है कि उसे इस बात से कष्ट होता है कि वह स्कूल जाकर शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाया, परंतु पढ़े-लिखे लोगों की संकीर्णता देखकर उसे लगता है कि अच्छा ही हुआ कि वह पढ़-लिख नहीं पाया। याद आती है निदा फाजली की बात, जिसका आशय यह है कि ‘दो-चार किताबें बांचकर बच्चे हमारी-तुम्हारी तरह हो जाएंगे। वे भी संकीर्णता के चक्रव्यूह में फंस जाएंगे।’

अमेरिका में एक एनिमल स्टूडियो है। फिल्मकार अपनी पटकथा स्टूडियो भेजते हैं, जहां आवश्यकता के अनुसार जानवरों को प्रशिक्षित करके शूटिंग के लिए भेजा जाता है। दक्षिण भारत में चिनप्पा देवर देवर नामक व्यक्ति भी पशुओं को प्रशिक्षित करता था। उसे मवेशियों से प्रेम था। उसने ‘हाथी मेरे साथी’ बनाई, जिसकी पटकथा पर सलीम-जावेद ने रंदा मारकर चमकाया। चिनप्पा देवर देवर ने जया बच्चन अभिनीत फिल्म ‘गाय और गौरी’ का निर्माण किया।

‘इरमा-ला-डूज’ से प्रेरित फिल्म ‘मनोरंजन’ का नायक रोजगार पाने के लिए पुलिस के कुत्ते के प्रशिक्षण में भाग लेता है। शिकारी कुत्ते उसका पीछा करते हैं। बचाव के साधन के बावजूद उसके शरीर पर खरोंच आ जाती है। उसकी प्रेमिका इन खरोंचों के कारण उस पर संदेह करने लगती है। संजीव कुमार ने इसमें प्रभावोत्पादक अभिनय किया था। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘सोल्जर इन नेवर ऑन हॉलीडे’ में नायक घायल बर्खास्त कुत्ते को पालता है। एक प्रकरण में कुत्ते की सहायता से वह अपराधियों को दंडित करता है।

राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘जंगल’ हाथी दांत को विदेशों में बेचने वाले अपराधियों की कथा थी। हीरों के बाद सबसे अधिक मूल्यवान हाथी के दांत होते हैं। ‘जंगल’ हाथी दांत तस्कर वीरप्पन का अनधिकृत बायोपिक थी। ज्ञातव्य है कि इंदौर-रतलाम मार्ग पर केसूर ग्राम के निकट संजय सिसोदिया ने सीमित क्षेत्रफल में जंगल का विकास किया है। कालांतर में रतलाम की हवा में कार्बन डाइऑक्साइड घटेगी और पूरे शहर को लाभ मिलेगा। मनुष्य के लोभ-लालच ने जंगल नष्ट कर दिए, पर्वतों को श्रीहीन कर दिया। ‘द अर्थ व्ही प्लडर्ड’। यह संभव है कि निम्न पंक्तियां सरोज कुमार के सतना के मित्र कवि अनूप अशेष ने लिखी हों। मेरी स्मृति हाथी की तरह नहीं है। मुझसे छीनकर ले गई इक्कीसवीं सदी एक जंगल, एक पहाड़ और एक बहती हुई नदी।