जंगल / सुरेश सौरभ

Gadya Kosh से
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कहीं से एक पंछी उड़ता हुआ एक जंगल में दाखिल हुआ और एक पेड़ की डाल पर बैठकर जय श्रीराम जय श्रीराम बोलने लगा। उसकी आवाज को सुनकर जंगल के तमाम दूसरे पंछी आश्चर्यचकित रह गए और उस पर यकायक हमला बोल कर मार दिया।

कुछ दिनों बाद उस जंगल में एक पंछी फिर आया और अल्लाह-हू-अकबर कहने लगा उसे देख कर जंगल के सारे पक्षी फिर आश्चर्यचकित हो गए और सोचने लगे, यह कौन पक्षी है जो अजीबो-गरीब तरह से बोल रहा है, ऐसा न हो हमारी जान जोखिम में पड़ जाए. उसे अपने लिए खतरा समझा और फौरन हमला बोलकर खत्म कर दिया। इस जंगल में इंसानों की भाषा, ईश्वर की भक्ति और नाम को समझने वाला कोई न था। इसलिए जो भी गलती से इंसानों का रटाया पंक्षी यहॉ पहुंचता उसे मार दिया जााता, क्योंकि यह जंगल था। शहरी भाषा और संस्कारों को यह जंगल न समझता था।