जकड़न / अशोक भाटिया
1.
गली में सब्जीवाला हांक लगा रहा था। वर्मा जी आज सब्जी लेने बाहर नहीं आए, तो उसने बेल बजा दी- सब्जी!
वर्मा जी बाहर आए और बोले, भइया ऐसा है कि अब हमने शौपिंग मॉल से सब्जी लेनी शुरू कर दी है.....
-साहब, ऐसी ताज़ा सब्जी आपको कहीं नहीं मिल सकती।
-कल हम लेकर आए हें। एकदम ताज़ा। ए.सी. में तो एकदम ताज़ा रहती है। फिर दाम इससे भी कम हैं।‘ कहकर वर्मा जी ने दरवाजा बंद कर लिया।
सब्जीवाले ने सिर पकड़ लिया। दाम भी कम और एकदम ताज़ा सब्जी-यह कैसे?
2.
अगले ही दिन उन्होंने शॉपिंग मॉल का फिर से रुख किया।वहां वे हबड़-तबड़ में सामान देखते रहे।इस बार वे काफी पैसे लेकर गए थे। पत्नी की निगाहें एक क्रीम कार्नर पर पड़ीं। देशी-विदेशी दुनिया भर की क्रीमें वहां मौजूद थीं।वे दोनों थोड़ी देर मन्त्र-मुग्ध होकर देखते रहे। तभी एक युवती आ गई।
-आपको किस तरह की क्रीम चाहिए?
-अभी डिसाइड नहीं किया, पहले देख लें।
युवती ने एक-एक क्रीम का पैक उठाकर दिखाना शुरू किया- यह चेहरे को गोरा बनाने की है, यह झुरियाँ मिटाने की है, यह कील-मुहांसों को हटाने की है, यह वाली क्रीम आपको धूप से बचाएगी–बताइये।’ कहकर युवती उनकी तरफ देखकर रुकी।
-अभी देखते हैं।
-यह सर्दियों से खुश्की से बचाने वाली क्रीम भी है।
इनके अलावा आल-पर्पस क्रीम भी है, इसकी ख़ुशबू देखिए।‘ कहकर युवती ने उसके साथ की एक खुली डिबिया का ढक्कन खोला और उनके मुंह के पास कर दिया।
दबाव बढ़ता देखकर पत्नी ने कह दिया-यह एक दे दीजिये।‘
युवती ने उत्साह में फिर कहना शुरू किया-हमारे पास हर तरह की क्रीम है। यह देखिए फटी बिवाइयां हटाने की है, और यह प्रेगनेंसी के बाद पेट की झुरियों के निशान हटाने की है.....
पति ने ‘न‘ का महीन इशारा कर दिया था।
जब वे घर लौटे तो उनके साथ बिस्कुटों की तीन-चार किस्में, कपों के दो सेट, दर्जन- भर सुंदर हैंगर, नई किस्म की सुंदर महंगी दो झाड़ू वगैरा थे।
वे थक चुके थे। लेकिन पत्नी चाय बनाकर ले आई और कहने लगी- ‘शॉपिंग अच्छी रही न...लेकिन अभी ‘हेयर केयर‘ वाला कोना तो देख ही नहीं पाए, वह कल देखेंगे। सुपर मार्किट जो है।‘ कहकर वह हंसी।
लेकिन यह सुनकर पति गंभीर हो गया था....
3.
- सुनो, हमारे दोनों पड़ोसियों ने नई गाड़ी ले ली है। अब तो हमें भी लेनी पड़ेगी। इसके बिना हम पिछड़े लगते हैं।‘ पति ने कहा।
- हमारा काम स्कूटर से फस्क्लास चल रहा है। एक स्कूटर बिट्टू के पास है, एक आपके पास। हमें जेब भी देखनी पड़ेगी।‘
- अरे, गाड़ी के लिए लोन मिल रहा है न! वह भी आराम से और आसान किश्तों पर।
- पर किश्तें भरनी तो हमें ही हैं। ऐसा करो, ‘सैकिंड हैंड’ गाड़ी ले लो। गाड़ी तो गाड़ी है।‘ पत्नी ने जिद की।
मजबूरी में सैकिंड हैंड गाड़ी घर के बाहर टिका दी गई। मार्किट से लोन मिल गया था। अब जरूरत हो या न हो, बच्चे सुबह- शाम गाड़ी स्टार्ट करके दो-चार बार किसी बहाने हॉर्न बजाते, गाड़ी के दरवाजे खोलते-बंद करते, ताकि पड़ोसी सुन लें।
उसकी पत्नी पुरानी गाड़ी से बहुत खुश हुई। लेकिन उसका अपना सपना अभी अधूरा था। पड़ोस में नई गाड़ी खड़ी थी, जो उसे ओनिडा टी.वी. के विज्ञापन वाली गिरगिट-सी लगती थी। लिजलिजी। पर वह वैसी ही गाड़ी चाहता था।
4.
उसका बेटा बड़ा हो चला था। एक दिन कहने लगा- पापा, अब मैं ये खटारा स्कूटर नहीं चला सकता। सब लड़के मोटर साइकिल पर पढ़ने आते हैं। वे मुझे चिढ़ाते हें। मुझे तब बड़ी शर्म महसूस होती है।
- बेटे, नई मोटर साइकिल ले सकने की हमारी हैसियत नहीं है।
- पापा, इतनी आसान किश्तों पर पूरा का पूरा लोन मिल जाता है।
मेरा दोस्त राघव एक घंटे मे ही फाइनेंस कराके मोटर साइकिल ले आया था। साथ में रिस्ट वाच भी मिलती है।
-पर किश्तें तो हमें ही चुकानी होंगी?
-पापा, बड़ी आसान किश्तों पर लोन मिलता है। मैं अब मोटर साइकिल नहीं चलाऊंगा तो फिर कब चलाऊंगा?
पापा को चुप देखकर वह उमंग से भर गया। बाजार जाकर नए ब्रांड की मोटर साइकिल का बड़ा-सा पोस्टर ले आया और उसे गांधी की तस्वीर के ऊपर ही चिपका दिया।
5.
-‘सुनो, हमारी गली के चावला औरों ने एक प्लाट बुक कराया है। डेढ़ सौ गज़ का है।‘ पति ने कहा।
-पर हम कहां से लेंगे प्लाट? इस मकान का किराया ही मुश्किल से निकाल पा रहे हैं।
-ओ हो, भई ‘दिल मांगे मोर‘ प्रापर्टी डीलर पूरा लोन कराके देता है। हल्का-सा खर्चा लेता है।
-लोन की किश्तें कहां से भरेंगे? पल्ले नहीं धेला, करेंदी मेला मेला।
-‘आसान किश्तों पर करा लेंगे। सब हो जाता है।‘ पति बजिद था।
-पर भरनी तो हमें ही पड़ेंगी। घर की हालत आपसे छिपी नहीं है। दुनिया-भर का खर्च हम टालते आ रहें हैं। और फिर किश्तें ही नहीं, उनका ब्याज भी तो भरना होगा, कहां से भरेंगे?
-‘अगर दिक्कत हुई तो ब्याज भरने के लिए और लोन ले लेंगे। उधार मिले तो घी पीना भी मुनासिब होता है।‘ पति ने कहा।
पत्नी को लगा कि कोई अदृश्य हाथ उन्हें अपनी जकड़न में लिए जा रहा है।