जटायु, खण्ड-18 / अमरेन्द्र
विधातां आपनोॅ आँख मुनी लै छै आरो आपनोॅ सबटा ध्यान वही रूप स्वरूप पर केन्द्रित करी केॅ ओकरा सम्पूर्ण रूप सें देखै लेॅ चाहै छै। अजगुत रूप छै, पराग के वस्त्रा पिन्हनें, देखनाही हवा के चाल में कोय दस कदम ओकरे दिश आवी केॅ रुकी जाय छै। जूड़ा में माधवी के फूल गूँथलोॅ, कखनियो फुल्लोॅ कचनार के पीछू छुपी जाय छै। वही सें आवाज आवै छै कोकिल के पंचम राग। विधाता आरो ध्यान लगाय केॅ पहचानै के कोशिश करै छै, आखिर ई आवाज केकरोॅ छेकै। कोयल के? तेॅ ऊ सुन्दरी कहाँ गेलै जे अभी-अभी ओकरोॅ दिश बढ़ी रहलोॅ छेलै। की वही कचनारी के पीछू छुपी गेलोॅ छै। विधाता आँख खोली केॅ देखै छै, वहाँ कचनार के गाछ नें छै, एगो चन्दन के गाछ छै। एकदम महमह। ओकरा लागै छै, जेना चन्दन के सौंसे गंध ओकरो रोआं-रोआं में सनेलोॅ जाय रहलोॅ छै...वै फेनू आँख फाड़ी केॅ निरयासै छै। अजगुत, एकदम अजगुत। ऊ चन्दन की भेलै। वहाँ तेॅ लाल, नीला आरो सोनाली रँग के अशोक गाछ उगी ऐलोॅ छै। कामदेव के तीन अचूक वाण, तीन लोक के बान्हैवाला...नैं ओकरा भ्रम नें होय रहलोॅ छै, आखिर ऊ गाछ की भेलै। विधाता आँख मुनी लै छै। वही चंदन के खुशबू, एकदम नगीच। नगीच सें नगीच। फेनू ओकरो लागै छै, ऊ खुद्दे चन्दन के गाछ बनी गेलोॅ छै। ओकरोॅ कानी में सुग्गा, मैना, पपीहा, हारिल के आवाज गूंजै छै आरो ओकरा लागतें रहै छै, जेना कोय कानोॅ में 'हुआ' कही केॅ खिलखिलाय केॅ हाँसी पड़लोॅ छै-बिना रुकले। एक साँस, कत्तेॅ देर। के छेकै ई, है रँ हाँसैवाली? ई तेॅ दीपा छेकै। अरे दीपा! दीपा! दीपा!
आय सें नें, पाँच रोजोॅ सें विधाता के हेने लागी रहलोॅ छै। हेने लागै छै। हेनोॅ सपना आखिर कैन्हें। कभियो तेॅ हेनोॅ सपना नें आवै छेलै। ई वृक्ष, ई फूल, ई पंक्षी, कभियो तेॅ आँखी में है रँ नें नाँचै छेलै...मतरकि नें, दीपा भले चन्दन, पपीहा, कचनार रहेॅ, ओकरा तेॅ बस यही सें मतलब होना चाहियोॅ कि हमरोॅ ई गाँव, हमरोॅ ई समाज, हमरोॅ ई देश-वहेॅ सुगंध, रूप, रस संगीत सें भरेॅ सकेॅ-जे चीजोॅ सें दीपां विधाता के जिनगी केॅ भरी देलेॅ छै। मतरकि दीपा बिना की है हुएॅ पारतै। हरगिज नें। यही लेॅ हर वक्त विधाता के मन दीपा के साथ चाहै छै, दीपा संग डेग-डेग चलै छै। जेना दीपे विधाता के आँख, दिमाग, हाथ, पाँव हृदय रहेॅ-ओकरोॅ वास्तें स्वर्ग। ओकरा सें बढ़ी केॅ कोय नें। विधाता सोचै छै, ओकरा है कि होय गेलोॅ छै, जेना कोय जादू के डोरी सें बन्हाय केॅ रही गेलोॅ रहेॅ।