जनता में हलचल / सहजानन्द सरस्वती

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इसके सिवा मुल्क में एक व्यापक जागरण है ─युवकों, छात्रों, स्त्रियों और दूसरे लोगों में-और सभी क्रियाशील हैं, संगठित हो रहे हैं, संघर्षपरायण हैं। सबों की दृष्टि एक ही दिशा में लगी है कि समस्त सत्ता और अधिकार उत्पादन करनेवाले जन समूह के हाथों में आ जाए और इस प्रकार वह जनता अपने लक्ष्य और भविष्य, जीवन के बारे में निर्णय एवं कार्य करने में पूर्ण स्वतंत्र हो जाए।