जन्म जन्मांतर की प्रेम कथाएं / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जन्म जन्मांतर की प्रेम कथाएं
प्रकाशन तिथि : 02 अप्रैल 2020


28 मार्च को कारगिल में एक शिशु का जन्म हुआ। पति को कोरोना का इन्फेक्शन था, लेकिन पत्नी वायरस से मुक्त थी। शिशु का परीक्षण किया गया। उसे कोरोना नहीं है। अत: हम मान लें कि जीन्स द्वारा बीमारी आगे नहीं बढ़ रही है। यह भी एक मेडिकल तथ्य है कि जीन्स सात पीढ़ियों तक यात्रा करता है। कुछ बीमारियां वंशानुगत होती हैं। कमाल अमरोही द्वारा निर्देशित फिल्म ‘महल’ में पुनर्जन्म का षड्यंत्र संपत्ति हड़पने के लिए रचा गया था। अत: अशोक कुमार द्वारा निर्मित इस फिल्म को पुनर्जन्म अवधारणा की फिल्म नहीं माना जा सकता। ज्ञातव्य है कि जयपुर में जन्मे खेमचंद प्रकाश ने फिल्म का संगीत रचा था। फिल्म का गीत ‘आएगा आने वाला..’ आज भी सुना जा रहा है। पुराने महल में तलघर और सुरंगें हैं, जिनके सहारे पात्र एक जगह, झलक दिखलाकर अगले ही क्षण दूसरी जगह नजर आता है।

अमेरिका में बनी फिल्म ‘रीइन्कारनेशन ऑफ पीटर प्राउड’ से प्रेरित सुभाष घई ने ऋषि कपूर, टीना मुनीम, सिम्मी ग्रेवाल प्राण और प्रेमनाथ अभिनीत ‘कर्ज’ बनाई। मूल फिल्म में पत्नी दूसरी बार जन्म लिए पति की हत्या करते समय कहती है कि वह जितनी बार जन्म लेगा, उतनी बार वह उसकी हत्या करेगी। चेतन आनंद ने राजकुमार, राजेश खन्ना विनोद खन्ना, हेमा मालिनी, प्रिया राजवंश और अरुणा ईरानी अभिनीत ‘कुदरत’ बनाई। यह फिल्म भी पुनर्जन्म अवधारणा से प्रेरित थी। सातवें दशक में नूतन और सुनील दत्त अभिनीत ‘मिलन’ भी इसी तरह की फिल्म थी, जिसका गीत ‘सावन का महीना, पवन करे शोर...’ लोकप्रिय हुआ था। ‘मधुमति’ पुनर्जन्म अवधारणा की पहली फिल्म मानी जा सकती है। ज्ञातव्य है कि बिमल रॉय की कुछ फिल्मों ने यथेष्ठ कमाई नहीं की थी और वे बंगाल वापसी कर विचार कर रहे थे। उनकी दुविधा को समझकर तपन सिन्हा ने ‘मधुमति’ की पटकथा लिखी और उन्हें आश्वासन दिया कि यह फिल्म खूब धन फिल्म में एक मुजरा भी है- ‘हाले दिल सुनाएंगे, सुनिए कि न सुनिए..’। कबीर की परंपरा का गीत मैं ‘नदिया फिर भी मैं प्यासी, भेद यह गहरा, बात जरा सी..’ सबसे अधिक लोकप्रिय हुआ। कुछ वर्ष पहले ही फरहा खान ने ‘ओम शांति ओम’ भी पुनर्जन्म अवधारणा प्रेरित है।

जर्मनी के डॉ. वीज ने इस क्षेत्र में बहुत काम किया है। मनुष्य को हिप्नोटाइज करके उसे विगत जन्म की यादों के गलियारे में भेजा जाता है, परंतु समय रहते ही हिप्नोटिज्म प्रक्रिया रोकना होती है। इस प्रक्रिया का उपयोग चेतन आनंद की ‘कुदरत’ में किया गया है। पश्चिम की फिल्म ‘बीइंग बोर्न अगेन’ में पत्नी की आयु तीस वर्ष है और उसका पति अपने पुनर्जन्म में सात वर्ष का है। वह विगत जन्म की सारी यादें साथ लेकर आया है, परंतु इस जन्म में आयु के अंतर के कारण पति-पत्नी साथ नहीं रह सकते। कन्नड़ भाषा के भैरप्पा के उपन्यास ‘दायरे आस्थाओं के’ में पति की मृत्यु के समय पत्नी गर्भवती थी। घटनाक्रम उस समय रोचक हो जाता है जब एक 18 वर्ष का युवक यह सिद्ध कर देता है कि वही उस विधवा का विगत जन्म का पति है। वह कस्बे के हर व्यक्ति को पहचानकर ऐसी बातें बताता है जो केवल उसी व्यक्ति को मालूम हैं। सभी लोगों को यकीन दिला देता है, परंतु पत्नी अभी भी संशय करती है। वह एकांत में पत्नी के शरीर में कहां तिल है, कहां मस्सा है, यह सब भी बता देता है। गांव की पंचायत कहती है कि अब यह 18 वर्षीय युवा अपनी 36 वर्षीय पत्नी के साथ दाम्पत्य जीवन प्ररंभ कर सकता है।

घटनाक्रम उस समय और अधिक रोचक हो जाता है, जब स्त्री का पति की मृत्यु के बाद जन्मा 18 वर्षीय पुत्र लौट आता है। उसे अपनी मां का इस 18 वर्षीय युवा के साथ दाम्पत्य जीवन बिताना स्वीकार नहीं है। उस बस्ती में राधा-कृष्ण का एक पुराना मंदिर है, जिसमें मूर्तियों में हीरे जड़े हैं। कुछ पर्ष पहले चोर मूर्तियां लेकर भाग रहे थे और युवा उनसे मूर्तियां छीन लेता है। चोर उसका पीछा करते हैं। वह मूर्तियों को एक कुएं में फेंक देता है। चोर उसे पकड़कर मूर्तियों के बारे में पूछते हैं और उसके इनकार करने पर उसे मार देते हैं। यही युवा अपने नए जन्म में अपने से दोगुनी आयु की स्त्री के साथ दाम्पत्य जीवन जीता है। यह बताना कठिन है कि कोरोना पीड़ित व्यक्ति की संतान को भी यह रोग होगा या नहीं। बहरहाल, चेतन आनंद की ‘कुदरत’ में राहुल देव बर्मन का संगीत था। एक गीत परवीन सुल्ताना ने गाया था। उसी गीत को अन्य गायिका ने भी गाया, परंतु वह कशिश नहीं बनी। बहरहाल फिल्म में कतील शिफाई का लिखा गीत इस तरह है- खुद को छिपाने वालों का पल-पल पीछा ये करे, जहां भी हों, मिट्‌टी के निशां, वहीं जाकर पांव यह धरे, फिर दिल का हरेक घाव, अश्कों से यह धोती है, सुख-दु:ख की हर एक माला कुदरत ही पिरोती है, हाथों की लकीरों में यह जागती-सोती है।