जब वी मेट के दस साल और इम्तियाज / नवल किशोर व्यास
करीना कपूर और शाहिद कपूर अभिनीत जब वी मेट को आज दस साल पूरे हो चुके है। इम्तियाज अली की सबसे ज्यादा पसंद की गई फिल्म है और आज भी टीवी पर अच्छी टीआरपी फिल्म को मिलती है। इम्तियाज अली सोशल मीडिया पर इससे जुड़े फोटो और किस्से साझा कर इसे याद कर रहे है। एक प्रमुख अखबार से बात करते हुए इम्तियाज ने कहा कि वैसे तो जब वी मेट के कई सीन ऐसे हैं, जिनसे वो संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन एक सीन तो ऐसा है जिसे वो हर हाल में बदलना चाहते हैं। फिल्म में एक सीन आता है, जब शाहिद करीना को उनकी ट्रेन तक पहुंचाने के लिए तेजी से कार ड्राइव करते हैं। इस सीन में मिनिएचर ट्रेन्स का एक शॉट इस्तेमाल किया गया था। उसे अब देखकर उन्हें काफी झेंप महसूस होती है। दरअसल इस सीन में मिनिएचर सीन के शॉट का इस्तेमाल ट्रेन दिखाने के लिए किया गया था। जब वी मेट मनोरंजक है। अजीब इत्तेफाक है कि फिल्म की शूटिंग से एकदम पहले करीना और शाहिद अलग हुए और फिल्म मिली जब वी मेट। इम्तियाज़ की शुरूआती दोनो फिल्मो सोचा ना था और जब वी मेट में कहानी को सीधे साधे शिल्प के साथ बनाया था जिससे कथ्य खुद ही फिलोसॉफी के रूप में उभर कर सामने आया था। लव आजकल के साथ इम्तियाज़ ने अपने कथ्य के शिल्प को दर्शन से जोड़ने का जो प्रयास शुरू किया वो आज तक जारी है। रॉकस्टार तक ये शिल्प भी फिल्म की यूएसपी था पर तमाशा में शिल्प के घुमावदार मोड़ से कथ्य भटकता रहता है जो इम्तियाज सभी को अपने अपने कयास लगाने के लिए छोड़ देते है। जब वी मेट का प्रभाव इम्तियाज पर आज तक है इसीलिए के बाद बाद में आई सभी फिल्मो के किरदार गीत-आदित्य की याद दिलाते है। वैसे भी इम्तियाज मन की भीतरी कंदराओं में प्यार के अहसासो को खोजते फिल्मकार है। उनकी फिल्मो के कथ्य के मूल में प्रेम है, प्रेम का अहसास है पर ये प्रेम और प्रेम का अहसास चिर परिचित भारतीय फिल्मो के आम किरदारों जैसा नही है। उनके किरदार प्रेम में आकंठ भी नही होते बल्कि प्रेम में आकंठ होने के कारणों को तलाशते किरदार होते है। इम्तियाज की फिल्मो में बहुत बार प्रेम के 'होने' की तात्कालिक स्थिति के बाद वापिस उसी प्रेम को फिर से खोजने और जानने की यात्रा होती है। उनकी फिल्मो के किरदार प्रेम में प्रेमिल होने से ज्यादा प्रेम के स्फुटित होने की प्रक्रिया के यात्री होते है। इस फिल्म में भी ठीक क्लाइमैक्स से पहले गीत को पता लगता है कि उसे क्या चाहिए। फिल्म में करीना कपूर का कैरेक्टर गीत दिल्ली की एक लड़की से प्रेरित है जिससे इम्तियाज एक बस में मिले थे। वो लगातार बोलती जा रही है और अंत इस बात से कर रही थी कि में इतना बोल रही हूं इसका मतलब ये नही आप मुझे गलत समझो। लड़कियों के ज्यादा बोलने और एक्सप्रेसिव होने पर गलत क्यों समझा जाता है इस पर बात होनी चाहिए। यही से इम्तियाज को गीत का विचार आया। जब वी मेट के लिए शाहिद कपूर और करीना कपूर इम्तियाज की पहली पसंद नही थे। गीत और आदित्य के रोल के लिए बॉबी दिओल और आयशा टाकिया को तय किया गया था पर शूटिंग से ऐन पहले इम्तियाज ने को बदल दिया गया। बॉबी दिओल इस बात से काफी नाराज हुए थे। इम्तियाज दिल्ली के हिन्दू कॉलेज से पढ़े है और आज भी ट्रेन में, और ऑटो में सफर करते, परांठा वाली गली में खाना खाते हुए दिख जाते है। जिंदगी के ये तमाम अनुभव उनके सिनेमा में दिखते है। प्रेम उनका पसन्दीदा विषय है और इस पर लंबे शोध जैसा काम कर दिया है। उसकी बाकी सभी फिल्मो के मुकाबले जब वी मेट जितनी सतही और कमर्शियल फिल्म दिखती है, उतनी है नही। प्रेम जटिल है, फिल्म सरल। जैसे प्रेम अपने सरलतम रूप में मिलता है, फिल्म भी वैसी ही है पर प्रेम का बीज अचानक जैसे प्रस्फुटित होता है और वो अंतिम भी नही होता है, इस बात की और भी फिल्म का इशारा है। बहरहाल इम्तियाज हैरी मेट सेजल के दुखांत से जल्दी बाहर आएंगे, ऐसी उम्मीद है।