जमाखोर / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
Gadya Kosh से
(अनुवाद :सुकेश साहनी)
एक आदमी के पास सुइयों का बहुत बड़ा भण्डार था। एक दिन पड़ोस की एक महिला ने उसके पास आकर कहा, "भैया! मेरे बेटे के कपड़े फट गए हैं। उसके मन्दिर जाने के पहले मैं कपड़े सिल देना चाहती हूँ। क्या तुम मुझे थोड़ी देर के लिए एक सुई दोगे?"
उस व्यक्ति ने महिला को सुई तो नहीं दी पर लेन-देन को लेकर भारी भरकम भाषण सुना दिया और ताकीद की कि बेटे को भी मन्दिर जाने से पहले यह भाषण अवश्य सुना दे।