जयप्रकाश चौकसे / परिचय
जयप्रकाश चौकसे की रचनाएँ |
वरिष्ठ पत्रकार और फ़िल्म समीक्षक। आपको सिनेमा का एनसाइक्लोपीडिया माना जाता है।
विषय सूची
जन्म
जन्म: 01 सितम्बर 1939 स्थान बुरहानपुर, मध्य प्रदेश, भारत
कृतियाँ
- परदे के पीछे / जयप्रकाश चौकसे (लेखमाला)
- दराबा / जयप्रकाश चौकसे (उपन्यास);
- ताज बेकरारी का बयान / जयप्रकाश चौकसे (उपन्यास);
- राज कपूर: सृजन प्रक्रिया / जयप्रकाश चौकसे (पुस्तक)
फिल्मी समीक्षा
चौकसे जी की समीक्षायें आम फिल्मी समीक्षाओं की भाषा और 'गॉसिपबाज़ी' से हट कर है । जयप्रकाश जी मे दायित्व-बोध भी है इसी लिये वे पसन्द किये जाते है । फिल्मों पर जयप्रकाश चौकसे का लेख भी किसी दायित्वबोधिय दबावो से मुक्त लगता है। चौकसे जी हर दिन इसी तरह के लेख लिखते हैं। उनके लेख का एक अंश -
विगत दशकों में सुपरमैन,बैटमैन इत्यादि फिल्मों से आम आदमी को नायक की तरह प्रस्तुत करने की परंपरा अवरुद्ध हुई है।(लगता है किसी साहित्यिक प्रतिभाशाली संपादक की नज़र नहीं पड़ी,वरना एक वाक्य में इत्यादि,प्रस्तुत और अवरुद्ध को ठांय कर देता,सिम्पल हिंदी के लिए) पूरी दुनिया में बच्चों के बाक्स आफिस मूल्य ने इस तरह की फिल्मों को खूब पनपने दिया। ऋतिक रोशन की कोई मिल गया और क्रिश की विराट सफलता का आधार भी बच्चे ही रहे। दरअसल आज नायक कौन हो,का मामला बाज़ार और विज्ञापन की ताकतों ने बहुत उलझा दिया है। नकली समृद्धि का हौव्वा खड़ा कर दिया है,हर छोटे-बड़े शहर में शापिंग मॉल अपने मोहक मायाजाल में मनुष्य को गैर-उपयोगी वस्तुओं को खरीदने के लिए भरमा रहे हैं और इन्हीं शक्तियों ने जीवन-मूल्यों में भी भारी परिवर्तन किया है। दूसरी ओर राजनीति में कोई आदर्श नहीं है,इसलिए नायक की आधार भूमि ही फिसलन भरी हो गई है।
हिंदी में इस तरह की नॉन-कॉन्क्लूसिव गैर-अंतिम दावों के साथ कम ही लेख खतम होते हैं। चौकसे इसी तरह हर दिन दिलचस्प सामग्री प्रस्तुत करते हैं। पढ़ने में मज़ा आता है। संपादकीय पन्नों में ये लेख नए बदलाव का रास्ता बताते हैं।
दैनिक स्तंभ
जयप्रकाश चौकसे मशहूर फिल्म समीक्षक है। मुंबई(और इंदौर)में रहते हैं। दैनिक भास्कर के लिए सिनेमा पर प्रतिदिन एक लेख परदे के पीछे / जयप्रकाश चौकसे पिछले 25 वर्षों से निरंतर लिख रहे हैं ।