जयललिता का अखिल भारतीय महत्व / जयप्रकाश चौकसे

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जयललिता का अखिल भारतीय महत्व
प्रकाशन तिथि :06 दिसम्बर 2016


भारत में मात्र नौ हजार एकल सिनेमा है, जिसमें से अधिकतर दक्षिण भारत में हैं, जबकि जनसंख्या उत्तर भारत की अधिक है। दक्षिण की राजनीति भी शेष भारत से अलग प्रकार की है। दक्षिण के फिल्म सितारे वहां की राजनीति में भाग हमेशा लेते रहे हैं। इस लेख के लिखे जाने तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की हालत गंभीर बताई जा रही थी और अनगिनत लोग उनके पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना कर रहे थे। राष्ट्र और प्रांत की सरकारें यह अवश्य जानती होंगी कि उनकी मृत्यु होने पर दक्षिण भारत में अनेक लोग आत्महत्या कर सकते हैं। दक्षिण भारत में सबसे अधिक मंदिर भी हैं। दक्षिण के लोग अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति के मामले में देश के अन्य क्षेत्रों से अलग हैं। उनका मूड एक छोर से दूसरे छोर की ओर एक ही क्षण में चला जाता है।

रजनीकांत की लोकप्रियता मुंबई के किसी भी सितारे से अधिक है। हमारा कोई खान या कपूर सितारा रजनीकांत की तरह लोकप्रिय नहीं है। वहां सितारों के प्रति लगभग पागलपन की हद तक जुनून है। एक दौर में रजनीकांत अपनी पत्नी को तलाक देने का विचार मात्र कर रहे थे कि उनके अनगिनत प्रशंसक आत्मदाह के लिए तत्पर हो गए थे। अपने शिखर दिनों में अमिताभ बच्चन की लोकप्रियता से कहीं अधिक लोकप्रियता रजनीकांत की रही है। अगर रजनीकांत राजनीति में आने की घोषणा करें तो उनके विरुद्ध चुनाव लड़ने का साहस कोई नहीं कर सकता। यूं तो पूरा भारत ही मूर्ति पूजा करता है परंतु दक्षिण में भावना की तीव्रता का अनुमान लगाना कठिन है। जयललिता सचमुच 'अम्मा' की तरह पूजी जाती हैं। दक्षिण भारत में चुनाव के समय नेताओं के कटआउट इतने ऊंचे बनाए जाते हैं कि लैंडिंग के लिए नीचे उतरते हवाई जहाज से देखना एक अलग किस्म का अनुभव होता है। दक्षिण में मुंबई की तरह गगनचुंबी इमारतें अपेक्षाकृत कम हैं परंतु नेता के कटआउट लगभग गगनचुंबी ही होते हैं। वहां नेताओं को देवताअों की तरह पूजा जाता है। दक्षिण भारत का रहन-सहन भी अत्यंत सादगीपूर्ण होता है। वहां के लोग दिखावा पसंद नहीं करते।

द्रवि़ड संस्कृति की पहचान आर्य संस्कृति की तरह पश्चिमोन्मुखी नहीं है। वहां के लोगों को अपनी संस्कृति पर गर्व है और यह महज नारेबाजी तक सीमित नहीं है। वहां के लोगों के लिए कल्पना यथार्थ पर भारी पड़ती है। शास्त्रीय नृत्य व संगीत को पसंद करने वालों की संख्या फिल्म पसंद करने वालों से अधिक है। शास्त्रीय नृत्य समारोह के टिकिट बहुत महंगे दाम में बिकते हैं।

भ्रष्टाचार और संस्कारहीनता की जिन उत्तंुग लहरों से हम प्रभावित हुए हैं, उन लहरों ने दक्षिण को कम ही प्रभावित किया है। जिस धर्म आधारित राजनीति का तांडव हम अपने यहां देखते हैं, उससे दक्षिण भारत कम प्रभावित है। वहां धर्म को लेकर स्वांग और नौटंकी नहीं की जाती। अपने अत्यंत आधुनिक दफ्तर में काम करने वाला व्यक्ति, अपने घर में केले के पत्ते पर परोसा हुआ भोजन करता है। उन्होंने छद्‌म आधुनिकता की लहरों से अपने घरों को बचाकर रखा है। यह भी गौरतलब है कि 'बाहुबली' की अगली कड़ी का बजट तीन सौ करोड़ रुपए हैं। दक्षिण के फिल्म स्टुडियो विशाल हैं और उनके उपकरण भी आधुनिक है। मुंबई में फिल्म स्टुडियो की संख्या निरंतर घट रही है और उनके आकार भी अपेक्षाकृत छोटे हैं। भव्यता के प्रति दक्षिण में गहरा प्रेम है।

गौरतलब है कि विगत अनेक दशकों से दक्षिण भारत से ही नायिकाएं आई हैं और मुंबई में वे शिखर सितारा रही हैं। वैजयंतीमाला, पद्‌मिनी से लेकर जयाप्रदा, हेमामालिनी एवं श्रीदेवी तक महिला सितारों में दक्षिण का ही प्रभुत्व रहा है परंतु दक्षिण से आए पुरुष सितारे कभी शिखर सितारे नहीं रह पाए। कमल हासन अत्यंत प्रतिभाशाली है परंतु वे कभी मुंबइया फिल्म उद्योग में शिखर सितारा नहीं बन पाए। रजनीकांत की भी एकल सितारा मुंबइया फिल्में बहुत सफल नहीं रही है। यह संभव है कि नृत्यकला दक्षिण में दिन-प्रतिदिन के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण रही है, इसलिए वहां से आईं नायिकाओं ने मुंबई में शिखर स्थान प्राप्त हुआ। बहरहाल, जयललिता के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना सभी जगह की जा रही है। उनकी मृत्यु की आशंका मात्र से दिल्ली की राजनीति में भी भारी उथल-पुथल मच रही है। जयललिता की श्वांस की डोर से कई कठपुतलियो का जीवन जुड़ा है।