जया बच्चन और माटी का कर्ज / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जया बच्चन और माटी का कर्ज
प्रकाशन तिथि : 09 अप्रैल 2021


आज जया भादुड़ी बच्चन का जन्मदिन है। अमिताभ बच्चन और परिवार ने उन्हें शुभकामना संदेश भेजे होंगे। क्या बंगाल के नागरिकों के शुभकामना संदेश मतों में बदलेंगे? नोट-वोट, जातिवाद मतदाता को प्रभावित करते रहे हैं। जन्मदिन पर प्रचार जारी रखा जाएगा। ज्ञातव्य है कि जया भादुड़ी का जन्म जबलपुर में हुआ था, भेड़ाघाट के जलप्रपात का वेग, जया के विचारों में रहा है। पत्रकार पिता ने भोपाल में बहुत वर्ष काम किया। जया की इच्छा के अनुरूप उन्हें पूना फिल्म संस्थान में अभिनय प्रशिक्षण के लिए भेजा गया। संस्थान का वह सुनहरा दौर था।

पूना संस्थान में छात्रों को लघु फिल्में बनाने को कहा जाता था। थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल भी किया जाता था। जबलपुर में ही जन्मे, जया और मदन बावरिया सहपाठी थे। मदन को इतना अधिक मधुमेह था कि उसे दिन में दो बार इंसुलिन लेना पड़ता था। जया भादुड़ी और मदन के पास फिल्म नहीं थी। एक बंगाली अध्यापक ने जया भादुड़ी अभिनीत फिल्म बनाई और लेखक-निर्देशक का श्रेय मदन बावरिया को दिया। ‘सुमन’ नामक फिल्म श्रेष्ठतम घोषित की गई। ताराचंद बड़जात्या ने ‘सुमन’ देखकर ही ‘उपहार’ नामक फिल्म जया भादुड़ी को दी। ऋषिकेश मुखर्जी ने ही अमिताभ बच्चन और जया का परिचय करवाया। लगभग 3 वर्ष चले प्रेम संबंध के बाद दोनों परिवारों के आशीर्वाद से विवाह संपन्न हुआ। लगभग एक दर्जन असफल फिल्मों के बाद सलीम-जावेद और प्रकाश मेहरा की ‘जंजीर’ अमिताभ की पहली सफल फिल्म रही।

अमिताभ बच्चन के विवाह के बाद मुखर्जी ने दोनों को ‘अभिमान’ में प्रस्तुत किया। श्वेता और अभिषेक के जन्म के बाद जया बच्चन ने अभिनय प्रस्ताव स्वीकार नहीं किए। गोविंद निहलानी की ‘हजार चौरासी की मां’ में अभिनय किया। भला मां और ममता का संबंध कैसे टूट सकता है?

ऋषिकेश मुखर्जी ने जया भादुड़ी को गुलजार की लिखी ‘गुड्डी’ में प्रस्तुत किया। फिल्मकार एच.एस. रवैल की पत्नी अंजना रवैल ने ‘गुड्डी’ कथा विचार गुलजार को सुनाया था। ‘गुड्डी’ की सफलता के बाद रमेश बहल ने जया बच्चन और रणधीर कपूर अभिनीत ‘जवानी दीवानी’ बनाई। पंचम ने संगीत रचा था। जया ने ही अमिताभ बच्चन से रमेश बहल की ‘कसमे वादे’ अभिनीत करने को कहा था। रमेश बहल के लिए अमिताभ बच्चन ने 3 फिल्मों में अभिनय किया। जाने कहां से अमिताभ जया के विवाहित जीवन में एक रेखा उभर आई। इसे जानने के बाद भी जया बच्चन ने अपने परिवार का पूरा ख्याल रखा। उन्होंने गृहस्थी की चाबियों का गुच्छा संभाले रखा। गौरतलब है कि जया बच्चन और संजीव कुमार ने विविध रिश्ते, परदे पर अभिनीत किए हैं।

गुलजार की ‘परिचय’ में ‘जया बच्चन’ संजीव कुमार की पुत्री के रूप में सामने आईं। रमेश सिप्पी की शोले में जया बच्चन, संजीव कुमार की युवा विधवा बहू की भूमिका में हैं। यश चोपड़ा की ‘सिलसिला’ में रेखा ने संजीव की पत्नी की भूमिका करते हुए अपनी छुपी हुई इच्छाओं को प्रस्तुत किया। इस अभद्रता को दर्शकों ने नापसंद किया।

बंगाल, भारत का अविभाज्य हिस्सा होते हुए भी अपनी स्वतंत्र सांस्कृतिक पहचान बनाए रखता है। सारे प्रदेश यही करते हैं परंतु छद्म आधुनिकता और आर्थिक दबाव में अन्य प्रांत बहुत बदले हैं। बंगाल का मिट्टी पकड़, जुझारूपन उसे विशेषता देता है, टिके रहने में मदद करता है। रवींद्रनाथ टैगोर, काजी नजरुल इस्लाम, सत्यजीत रॉय, शरत बाबू इत्यादि अनेक लोग योगदान देते रहे हैं। बिमल रॉय के साथी मुंबई में अपना बंगाली टोला बनाने में सफल रहे। मिट्टी के कुल्हड़ में शहद मिश्रित दूध मिलाने से मिष्टी बनती है, परंतु मिष्टी बहुत प्रदेशों में बनती है। बंगाल में बनी मिष्टी का कुछ अलग स्वाद है। जया बच्चन अपने व्यक्तित्व की धूल झाड़ते हुए, माटी का कर्ज उतारने का प्रयास कर रही हैं, यह सब जय पराजय से अलग बात है।