जवरीमल्ल पारख
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जवरीमल्ल पारख

जन्म | 8 अगस्त 1952 |
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जन्म स्थान | जोधपुर (राजस्थान) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
भूमण्डलीकरण और सिनेमा में समसामयिक यथार्थ (2021); हिन्दी सिनेमा में बदलते यथार्थ की अभिव्यक्ति (2021); साझा संस्कृति, साम्प्रदायिक आतंकवाद और हिन्दी सिनेमा (2012); हिन्दी सिनेमा का समाजशास्त्र (2006); लोकप्रिय सिनेमा और सामाजिक यथार्थ (2001); आधुनिक साहित्य मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन (2007); संस्कृति और समीक्षा के सवाल (1995); न कविता का वैचारिक परिप्रेक्ष्य (1991); साहित्य इतिहास, काव्य परंपरा और लोकतांत्रिक दृष्टि (2021) । जनसंचार माध्यम और सांस्कृतिक विमर्श (2010); जनसंचार माध्यमों का राजनीतिक चरित्र (2006); जनसंचार के सामाजिक संदर्भ (2001); जनसंचार माध्यमों का वैचारिक परिप्रेक्ष्य (2000); जनसंचार माध्यमों का सामाजिक चरित्र (1996)। | |
विविध | |
साहित्य, सिनेमा और मीडिया पर आलोचनात्मक लेख, पटकथाएँ भी लिखीं। इन किताबों का अनुवाद किया -- हिंदुस्तानी सिनेमा और संगीत : अशरफ़ अज़ीज़ (2021); अस्तित्ववाद और मानववाद : ज्यां पाल सार्त्र (1997); प्रौढ़ साक्षरता : मुक्ति की सांस्कृतिक कार्रवाई : पाउलो फ्रेरे (1997)। पुरस्कार : इग्नू के शैक्षिक वीडियो कार्यक्रम 'पल-पल परिवर्तित प्रकृति वेश' को यूजीसी-सीइसी का विषय विशेषज्ञ पुरस्कार (1995); प्रोफेसर कुंवरपाल सिंह स्मृति सम्मान (2015); घासीराम वर्मा साहित्य पुरस्कार की घोषणा (2019) । | |
जीवन परिचय | |
जवरीमल्ल पारख / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
संस्मरण
- युद्ध और आम आदमी / जवरीमल्ल पारख
- जिन्हें नाज़ है हिन्द पर / जवरीमल्ल पारख
- प्रेम विवाह रोकने के लिए कानून के मायने / जवरीमल्ल पारख
- एटम बम और मौजूदा दौर में विज्ञान की भूमिका / जवरीमल्ल पारख
- क्या ख़तरे में है आज़ादी, लोकतंत्र और संविधान? / जवरीमल्ल पारख
- ‘जवान’: मसाला फ़िल्म में हमारे समय का यथार्थ / जवरीमल्ल पारख
- वहीदा रहमान को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार / जवरीमल्ल पारख
- गांधी नहीं देखते थे सिनेमा, पर उनके विचारों से फ़िल्में प्रभावित / जवरीमल्ल पारख
- ढाई आखर : सिनेमा की एक अर्थवान भाषा / जवरीमल्ल पारख
- फ़िल्म ‘गुठली-लड्डू’ के बहाने बच्चों से सम्वाद / जवरीमल्ल पारख
- शिक्षा संस्थानों का भ्रष्टीकरण और पाठ्यक्रमों का सांप्रदायीकरण / जवरीमल्ल पारख