ज़रूरत / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

सूर्योदय के समय एक लोमड़ी ने अपनी परछाई देखकर कहा, "मुझे आज दोपहर के खाने के लिए एक ऊँट की ज़रूरत होगी।"

उसने सारी सुबह ऊँटों की तलाश में बिता दी। दोपहर को उसकी नज़र फिर अपनी परछाई पर पड़ी तो उसने कहा, "मेरे लिए तो चूहा ही काफी होगा।"