ज़ोया फैक्टर : क्रिकेट केंद्रित फिल्म / जयप्रकाश चौकसे

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ज़ोया फैक्टर : क्रिकेट केंद्रित फिल्म
प्रकाशन तिथि :24 जनवरी 2018

अनुजा चौहान का उपन्यास 'द ज़ोया फैक्टर' 2008 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास की नायिका खेल पत्रकार है। उसके बारे में यह धारणा फैल जाती है कि अगर वह क्रिकेट टीम के साथ जाती है तो भारतीय क्रिकेट टीम जीत जाती है गोयाकि वह टीम के लिए भाग्यशाली है। टीम के युवा कप्तान और पत्रकार की कुछ मुलाकातें होती हैं और वे एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं। कथा में महत्वपूर्ण मोड़ तब आता है जब युवा कप्तान एक निर्णायक मैच के पहले ज़ोया को अपने घर वापस जाने का आग्रह करता है। उसका विचार है कि टीम की प्रतिभा और मेहनत को श्रेय नहीं देकर लोग इस बहुप्रचारित भाग्यशाली महिला की मैच में मौजूदगी को महत्व दे रहे हैं। ज़ोया अपने घर आती है तो हजारों क्रिकेटप्रेमी उसका घर घेर लेते हैं तथा उसे वापस जाने को कहते हैं ताकि भारतीय टीम जीत जाए। यह कथा अंधविश्वास पर प्रहार करती है। प्रतिभा और परिश्रम के मूल्यों को स्थापित करती है।

इस उपन्यास के फिल्मांकन के अधिकार पूजा और उनकी बहन भारती शेट्‌टी ने खरीदे थे। इन बहनों के पास ध्यानचंद बायोपिक के अधिकार भी हैं। इनके पिता मनमोहन शेट्‌टी फिल्म उद्योग में स्थापित व्यक्ति हैं। शेट्‌टी का इमेजिका थीम पार्क भारत में अनूठा स्थान माना जाता है। वे एडलैब्स के संस्थापक रहे हैं, जिसे रिलायन्स एंटरटेनमेंट कम्पनी ने खरीदा है। संस्था फिल्म निर्माण व वितरण के कार्यों में सक्रिय है। बहरहाल, खबर है कि मलयालम भाषा में बनने वाली फिल्मों के सुपरसितारा ममूटी के पुत्र दुलकर सलमान और सोनम कपूर 'ज़ोया फैक्टर' में अभिनय करने वाले हैं और फॉक्स स्टार स्टूडियोज़ फिल्म का निर्माण करने जा रहे हैं। अप्रैल में इसकी शूटिंग संभव है।

इस उपन्यास को फिल्माना महंगा काम है, क्योंकि इसमें प्रस्तुत भारतीय क्रिकेट टीम अनेक देशों में खेलती है और खेल के साथ ही रिश्ते भी बनते-बिगड़ते हैं। इसमें क्रिकेट खेलने वाले देशों के कुछ खिलाड़ियों की सेवा भी लेनी पड़ेगी। खिलाड़ियों की डेट्स मिलना भी कठिन है, क्योंकि अब क्रिकेट बारहमासी हो गया है। विराट कोहली और अनुष्का शर्मा की प्रेम-कहानी पर भी फिल्म बन सकती है।

क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल माना जाता है। संभवत: इसमें भाग्य महत्वपूर्ण घटक है। धोनी पर फिल्म बन चुकी है। क्रिकेट और फिल्में दोनों ही भारत में अत्यंत लोकप्रिय खेल हैं। क्रिकेट खिलाड़ियों को खूब धन मिलता है। साथ ही विज्ञापन फिल्मों में भी काम करने के अवसर मिलते हैं। खबर है कि विराट कोहली की सालाना आय पांच करोड़ रुपए है। गुजश्ता दौर में क्रिकेट खिलाड़ी को प्रतिदिन तीन सौ रुपए भत्ता मिलता था परंतु अब तो बात करोड़ों तक पहुंच गई है। आईपीएल क्रिकेट तमाशे ने खिलाड़ियों की आय आसमान पर पहुंचा दी है।

यह खबर भी है कि क्रिकेट खिलाड़ियों को भी अंधविश्वास होता है और वे ही कपड़े धुलवाने के बाद हर मैच में पहनना चाहते हैं, जिसे पहनकर उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया हो। अपनी कैप के नीचे काले या लाल रंग की पट्‌टी बांधते हैं। एक क्रिकेट कप्तान ने तो जीतने के बाद अपनी कुलदेवी के मंदिर में पाड़े की बली दी थी। नजारा जेपी दत्ता की कुछ फिल्मों की तरह रहा होगा। अंधविश्वास का धर्म के साथ जोड़ा जाना खतरनाक है। अगर हम धर्म को भवन मान लें तो उसके तलघर में अंधविश्वास एवं कुरीतियों की चीलें लटकी होती हैं और रात के समय वे भवन के हर कोने पर कब्जा जमा लेती हैं। जिस व्यक्ति ने दिन के उजाले में इस धर्म-भवन को देखा है, वह इसे उजास से भरा ताजा हवाओं से घिरा मानते हैं और जिन्होंने इस भवन में रात को अंधविश्वास की चीलों को मंडराते देखा है, उनके हृदय में डर का बैठ जाता है और धर्म की व्याख्या में चूक हो जाती है।

आरती शेट्‌टी से ज्ञात हुआ कि फिल्म का बजट 16 करोड़ रुपए है और प्रिंट-प्रचार में चार करोड़ लगेंगे। मलयालम सुपर सितारे के पुत्र के नायक होने के कारण दक्षिण भारत में फिल्म को बेहतर अवसर हैं। फिल्म अंधविश्वास के खिलाफ आवाज उठाती है परंतु अवाम सदियों से अंधविश्वास पाले हुए है। अत: उन्हें इस तरह की फिल्म में रुचि होगी - यह बताना कठिन है परंतु संभवत: उनका क्रिकेट प्रेम फिल्म को सफल बना देगा। आज दक्षिण भारत में फिल्मों का व्यवसाय शेष भारत से अधिक होता है। फिल्मकार शंकर और रजनीकांत की फिल्म '2.0' अकल्पनीय धन में बेची गई है।

एसएस राजामौली की 'बाहुबली' की सफलता ने रजनीकांत और शंकर के सामने चुनौती खड़ी कर दी है और दशकों से दक्षिण भारत की फिल्मों के शहंशाह रजनीकांत के लिए अपना ताज बचाना कठिन हो रहा है। उनकी फिल्म '2.0' में अक्षय कुमार महत्वपूर्ण भूमिका कर रहे हैं। अंत: पूजा एवं आरती शेट्‌टी तथा अनुजा चौहान दक्षिण अफ्रीका की तरह तेज पिच पर खेलने जा रहे हैं।