जानवर आदमी से ज्यादा वफादार है / जयप्रकाश चौकसे

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जानवर आदमी से ज्यादा वफादार है
प्रकाशन तिथि : 28 नवम्बर 2021


जॉन अब्राहम और उनके कुछ मित्रों ने जानवरों की सुरक्षा के लिए एक संस्था स्थापित की है। यह संस्था काफी सक्रिय रहती है और सूचना मिलते ही जानवरों की सुरक्षा के लिए तत्पर रहती है। वे बीमार पशुओं का इलाज भी करवाते हैं। जॉन फिल्म निर्माण में पूंजी लगाते हैं। उन्होंने आयुष्मान खुराना, यामी गौतम और अन्नू कपूर अभिनीत ‘विकी डोनर’ बनाई और ‘मद्रास कैफे’ में भी राजीव गांधी की हत्या के षड्यंत्र का खुलासा इतनी विश्वसनीयता से किया है कि फिल्म ऐतिहासिक दस्तावेज से बन पड़ी है।

‘चिल्लर पार्टी’ नामक फिल्म में एक रहवासी क्षेत्र के बालक खेलते हैं। एक दिन एक कुत्ता वहां आता है। बच्चों और कुत्ते के बीच दोस्ती का रिश्ता कायम होता है। उस परिसर में एक अनपढ़ अनाथ बालक भी कहीं से आ जाता है। उसे सोसाइटी के लोगों द्वारा कारों को धोने का जिम्मा दिया जाता है। दरअसल कुत्ता इसी अनाथ बालक के साथ परिसर में आया था। बच्चे अपने टिफिन से कुछ भोजन कुत्ते को देते हैं। उन्हीं दिनों एक नेताजी शहर के आवारा पशुओं को पकड़ने का मुहिम चलाते हैं। जिन पालतू कुत्तों की गले में पट्टा होता है उस कुत्ते को पकड़ा नहीं जाता। गोयाकि चमड़े का पट्टा कुत्ते को पहचान व सुरक्षा प्रदान करता है। बच्चे अपने कुत्ते के लिए भी पट्टा ले आते हैं। नेताजी के आदेश पर शहर की सफाई के लिए आवारा पशुओं को हटाना आवश्यक है। इस फिल्म में बच्चों और मंत्री जी के बीच आयोजित विवाद का टेलीविजन पर प्रसारण होता है। मंत्री जी का कथन है कि बच्चों को अपने पाठ्यक्रम पर ही ध्यान देना चाहिए। बच्चे पाठ्यक्रम की पुस्तकों से पशु संरक्षण के महत्व को रेखांकित करने वाले वाक्य सुना कर यह सिद्ध कर देते हैं कि जानवरों के प्रति करुणा मनुष्य का कर्तव्य है।

ज्ञातव्य है कि अमेरिका में ‘एनिमल स्टूडियो’ नामक संस्था में फिल्म की पटकथा के अनुरूप जानवर प्रशिक्षित किए जाते हैं। कुछ कुत्ते इतने खतरनाक होते हैं कि मनुष्य को मार सकते हैं। इन्हें पालने वाले इन कुत्तों के मुंह पर लोहे की जाली लगा देते हैं ताकि वह खा पी सकें परंतु मनुष्य को हानि नहीं पहुंचा पाएं।

अक्षय कुमार और सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत फिल्म ‘हॉलीडे’ में नायक अपनी बहन का दुपट्टा अपने कुत्ते को सुंघाता है। कुछ आतंकवादियों ने नायक और उसके दोस्तों के रिश्तेदारों का अपहरण कर लिया है। कुत्ता दुपट्‌टा सूंघकर नायक को आतंकवादियों के अड्डे तक ले जाता है। पुलिस विभाग में प्रशिक्षित कुत्ते रखे जाते हैं। कुत्ता वफादार प्राणी माना जाता है।

ज्ञातव्य है कि स्पेन में बुलफाइट के खेल के साथ ही एक और खेल जुड़ा है। जिसमें एक प्रशिक्षित सांड लाल कपड़े पर आक्रमण करता है। मनुष्य सांड के सामने लाल कपड़ा रखता है और जानवर के निकट आते ही वह कपड़े को अपने शरीर से दूर करके स्वयं को बचाता है और सांड को छकाता है। खिलाड़ी के पास लाल कपड़े के साथ ही एक भाला भी होता है। दूसरे खेल में सांड एक गली में दौड़ते हैं और मनुष्य स्वयं को बचाने के लिए ऊंचाई पर बने दर्शक दीर्घा में जाने का प्रयास करते हैं। अभय देओल, ऋतिक रोशन और फरहान अख्तर अभिनीत फिल्म ‘जिंदगी ना मिलेगी दोबारा’ में तीन मित्र यूरोप के दौरे पर जाते हैं। वह छुट्टियां मना रहे हैं। इस फिल्म में सांड की दौड़ का सीन है। फिल्म के अंत में नायक अपने उस पिता से मिलता है, जिसने उसकी मां को एक दशक पूर्व छोड़ दिया था। नसीरुद्दीन अभिनीत यह पात्र एक प्रसिद्ध चित्रकार है। उनका स्पष्टीकरण है कि चित्रकारी में ही उनके जीवन की सार्थकता थी और विवाहित जीवन रुकावट बन रहा था। पुत्र कहता है कि पिता ने सब कुछ अपनी सहूलियत के लिए किया और अपने स्वार्थ को भी एक दार्शनिक और सर्जन कार्य बताने का छल कर रहे हैं।