जानवर के लिए क्या रोना / दीपक मशाल
Gadya Kosh से
मोटरसाइकल सड़क किनारे खड़ी करते वक़्त उसने जानबूझकर उसका अगला पहिया सोये हुए कुत्ते के पैर पर चढ़ा दिया। बेजुबाँ जानवर दर्द से बिलबिलाउठा और कईं-कईं करता हुआ उठा खड़ा हुआ। मोटरसाइकल पर पीछे बैठे उसके दोस्त से ये सहन ना हुआ। उसकी आँखें उस मासूम जानवर के लिए भीग गईं। उसने इस कृत्य के लिए निर्दयी मित्र को डांटा तो जवाब मिला, “अरे। जानवर के लिए क्या रोना?”
अचानक, पीछे से आ रही एक-और तेज़ रफ़्तार मोटरसाइकल का हैंडल उसकी अंगुली से टकराता हुआ निकल गया। तुरन्त ही वह उस कुत्ते से भीअधिक विदारक आवाज़ में चीख उठा और अपना हाथ पकड़कर जहाँ का तहाँ बैठ गया।
दिलासा देने के लिए दोस्त हालाँकि उसके कन्धे पर झुक गया था लेकिन होठों पर हठात् उभर आई मुस्कान को वह न रोक न सका।