जाने भी दो यारो से अनुपम खेर का गायब होना / नवल किशोर व्यास

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जाने भी दो यारो से अनुपम खेर का गायब होना

हिन्दी सिनेमा पर बहुत सी किताबें लिख चुके जय अर्जुन सिंह ने जाने भी दो यारो पर लिखी अपनी एक किताब में ये बताया कि इस फिल्म में अभिनय करने वाले गुणी लोगो में से एक अनुपम खेर भी थे। फिल्म में डिस्को किलर नाम के साइको का एक बेहद दिलचस्प किरदार अनुपम खेर के हिस्से में आया। उस समय तक अनुपम को सारांश नही मिली थी और ये उनकी पहली फिल्म होने जा रही थी। शूटिंग करते हुए बाकी सभी अभिनेताओं को अनुपम से रश्क हो गया। इतना खूबसूरती से डवलप किया हुआ किरदार जिसमे अभिनेता के हिस्से में बहुत कुछ आया था और अनुपम खेर उम्दा नही तो कम से कम इतना बुरा अभिनेता भी नही था। सबको यही लग रहा था कि फिल्म रिलीज के बाद इसी रोल की सबसे ज्यादा चर्चा होने वाली है।

अब देखिए किस्मत की मार। फिल्म तीन घण्टे से ज्यादा की बन गई और उस समय तीन घण्टे से ज्यादा बनी फिल्म पर टैक्स ज्यादा लगता था। मुफलिसी में बनी फिल्म ये अतिरिक्त टैक्स वहन करने को तैयार नही थी और नतीजा ये हुआ कि फिल्म की लम्बाई कम करने के लिए डिस्को किलर का पूरा ट्रेक ही उडा दिया गया। अनुपम खेर फिल्म में एक सिंगल फ्रेम में नजर नही आये। हां, पुल कंस्ट्रक्शन वाले सीन में पंकज कपूर से बात करते हुए मजदूर का वॉयसओवर अनुपम खेर का है। सभी को ईर्ष्या दिला रहे अनुपम खेर अचानक दया का पात्र बन गए। नये कलाकार के साथ ऐसा मजाक होना किसे अच्छा लगेगा। अब उस दुख की भी कल्पना कर लीजिये कि अगर महेश भट्ट सारांश नही बनाते या अंतिम समय में संजीव कुमार की जगह अनुपम खेर को नही लेते और अनुपम खेर काम न मिलने से मायूस होकर वापिस अपने घर शिमला लौट आते और अपने नाती-पोती के साथ आज टीवी पर जाने भी दो यारों देख रहे होते।

एक तथ्य ये भी है कि जब सत्तासीनों के कुछ निर्णयों और कुछ में रखी चुप्पी के विरोध में जब कुंदन शाह ने अपना राष्ट्रीय पुरस्कार वापिस करने की घोषणा की तो इन पुरस्कार वापिस कर रहे सभी कलाकारों और साहित्य से जुड़े लोगों का विरोध अनुपम खेर भी कर रहे थे। इसी अनुपम खेर की एक समय कुंदन शाह एक अनोखे किरदार में प्रस्तुत करने वाले थे। शायद अनुपम इस पर कुछ न बोले पर मन के किसी कोने में थोड़ा अफसोस तो होता ही होगा। इतनी तो उम्मीद की ही जा सकती है। ऐसा होना लाजिमी भी है।