जापो / रामस्वरूप किसान

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म्हैं परलीका सूं नोहर, बस में रोज आणो-जाणो कंरू। दिनगै नौ वाळी में जावूं अर आथण पांच वाळी में बावडूं़। अै दोनूं बसां ई टेम री पाबंद। घर सूं दफ्तर अर दफ्तर सूं घरां टेम सिर पुगा द्यै।
सात साल रै लाम्बै अरसै में अै दोनूं बसां म्हारी इत्ती सैंदी हुगी कै म्हैं दूर सूं ई आंरो धर्राट पिछाण ल्यूं। संजोग सूं ड्राईवर-कंडक्टर ई सागी है। फगत सवारियां बदळती रैवै। बाकी सगळो सागी। बस रै मांय लिख्योड़ी इबारतां, ड्राईवर रै सिर पर हींडतो लंगूर, साम्हीं टंग्योड़ी हनुमानजी री मूरत अर सात साल सूं म्हैं, सागी ई हां।
पण आं दिनां म्हैं सागी कोनी रैयो। म्हनै लागै म्हैं दो जीवां हूं। म्हारो पग भारी है। दिन कद टळ्या याद कोनी। जापो कद हुसी ठा कोनी। पण हूं आसाबंद। कहाणी हुसीÓक निबंध पतो कोनी।
म्हैं तो कहाणी जामणी चावूं। पण पैलां के ठा लागै। सोचÓर थोड़ो ई जामीज्यै। आ तो कुदरत रै हाथ में है। कई बर लिखारो कहाणी री कल्पना करै। सोचै, पेट मांय कहाणी पाकै है। नौ म्हीना तांई उण रो पूरो उणियारो बीं री आंख्यां आगै रैवै। उण रो खान-पान, साज-सिणगार, अर पैरावो-उढावो बीं रै मगज में गेड़ा काटतो रैवै। पण जद जापो हुवै तो कान खुसÓर हाथां मेें आयज्यै। कल्पना रा सगळा फळ होणी रै झंखेडै़ झड़ ज्यावै। अर संस्मरण जाम बैठै। कै फेर निबंध।
अर कई भोळा लिखारा तो लिंग सम्भाळै ई कोनी। आखी ऊमर निबंध नै कहाणी ई मानता रैवै। बींयां तो ठीक ई है। सामाज मांय नारी रै सम्मान रो ईं सूं बेसी तरीको कांईं हो सकै।
पुलिंग नै स्त्रीलिंग मानणो भोत बड़ी बात है। पण कई कुचमादी पाठक अर अड़बंगी समीक्षक बां नै असलियत बतायÓर सरेआम फीका कर नाखै। पण ओ काम आछो कानी।
कहाणी रै भुुळावै जे कण ई निबंध जाम ई दियो तो के अपराध है? अर फेर, बींयां देखां तो आपणै समाज में छोरै री कीमत छोरी सूं बेसी है।
पण फेर ई म्हैं तो छोरी ई जामणी चावूं। जे कुदरतन छोरो हो ई ज्यै तो ओळमो ना देइयो। हां, इत्तो बिसवास अवस दिरावूं कै छोरै नै छोरी कोनी बतावूं। जिद्दी कोनी करूं। म्हनै लिंग पिछाणनो आवै।
हां तो म्हैं कष्टï में हूंं। जापो होवण वाळो है। देखो छोरी हुवैÓक छोरो। हां इत्तो भरोसो और दिरावूं कै जे छोरो ई होग्यो तो छोरी सूं कम नीं हुसी। जियां कै हिंदी रै डॉ. रघुवीरसिंह रो 'ताजÓ नांव रो छोरो। जे म्हारलौ रघुवीरसिंह जी वाळै सूं चौथाई ई हुग्यो तो ई म्हैं म्हारी जीत मानस्यूं।
पण, बुरी क्यूं चींतां। छोरी ई हुसी।
तो म्हारै पीड़ सरू हुगी है।
अेक दिन बस में अेक जोड़ो चढ्यो। जुवान जोड़ो। स्यात लारलै दिनां ईं बणी हुसी आ जोड़ी। बां दोनुंवां नै अेक ई सीट लाधगी। दो सवारियांळी। म्हारै बगल वाळी सीट। अर बै बैठग्या। दोनुंवां जेब सूं रूमाल काढ्या। पसीनो पूंछ्यो। मोट्यार खड़्यो हुयो अर गोडै साÓरै पड़ी बैग म्याळी में मेÓली। बीं री बीनणी झांकी रो सीसो खोलण लागी। कंवळै हाथां ताबै कोनी आयो। मोट्यार खोल दियो। बा बारै झांकण लागगी। लारी चाल पड़ी। मोट्यार-लुगाई गल्लां लागग्या। बै हरख सूं पाटै हा। बात-बात पर लुगाई बत्तीसी दिखावै ही। मोट्यार रै चैÓरै पर गुमेज हो। रूं-रूं सूं मरदानगी फूटै ही। लुगाई रो रूप ई आखी लारी रो ध्यान खींचै हो। बां दोनुवां नै ठा हो कै कोई न कोई भ्यानै हरेक आंख बंारै चैÓरै सूं गुजरै। पण बै किण नै ई बाळ बरोबर ई नीं समझै हा। इण टेम बांनै घडग़ी जकी बाड़ में बडग़ी। दो जोध जुवान खुल्ला बतळावै हा। लुगाई नै गुमेेज हो कै आखी लारी में उण रै मरद जिसो मरद नीं अर मोट्यार नै भरोसो हो कै उणरी लुगाई जिसी लुगाई पड़ी ई कठै है।
पण होणी रै हजार हाथ हुवै। जवानी रै धधकतै खीरां पर कंडक्टर री हथाळी टिकगी। मरद साथै बो छोटी-सीÓक मजाक कर बैठ्यो। पुरुष-प्रधान सामाज में लुगाई थकां मरद साथै मजाक? अर बा ई दाम्पत्य रै पैलै पड़ाव में। अब तेरा बधैÓक मेरा। कंडक्टर कसूतो फसग्यो। लारो छुटावणो मुस्कल हुग्यो। मरद सौ आखड़ा-बाखड़ा कैया। बांह तकात चढाली। कंडक्टर नीची घूण घाल्यां सुणतो रैयो। जुवान जीतग्यो। कंडक्टर हारग्यो। जुवान री जीत बीनणी रै विसवास नै पोखण लागगी। बीं रै चैÓरै पर चौगणी रुणक आयगी। बै हांसता-हांसता आगलै अड्डïै उतरग्या। लारी चाल पड़ी। म्हैं बारी साÓरै बैठ्यो हो। जनानी-मरदानी हांसी रो अेक जबरो भतूळियो लारी रै धर्राट में रळग्यो।
परलीको आयग्यो। म्हैं उतरग्यो। अर घरां जायÓर बो हांसी रो भतूळियो डायरी में नोट कर लियो। सिरनांवो दियो- मोट्यार री जीत में लुगाई री बल्ले-बल्ले।
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नौ वाळी बस। परलीका स्यूं चढ्यो। छीड़ ही। सीट मिलगी। अर संजोग इसो बैठ्यो कै बो ई सागी जोड़ो आज नोहर कानी जावै। फरक इत्तो ई कै आज बै तीन वाळी अर म्हैं दो वाळी सीट पर बैठ्यो हो। पण दोनूं सीटां ही अगल-बगल में ई। अर बै तीन वाळी पर अेकला ई बैठ्या हा।
बां म्हनै पिछाण्यो कोनी। अर पिछाणै ई क्यामी हा बापड़ा। म्हारै में पिछाणण वाळी चीज ई के ही? उण दिन बै तो हीरो-हिरोइण हा आखी बस रा। म्हैं तो फगत दरसक हो। दरसक नै कुण पिछाणै। दिखाणियै नै ई पिछाणै जमानो तो।
बस आप री रफ्तार सूं चालै ही। म्हारै दिमाग में बीं दिन वाळी रील चालै ही। बै दोनूं गुरबत करै हा। करै ई बिच्यारा। नुंवां-नुंवां है।
अड्डो आयो। बस थमी। अेक जिनानी सवारी चढी। बीं रै साथै कोई मोट्यार कोनी हो। बा अेकली ई ही। हाथ रो झोळो ऊंचो मेलÓर बां रै बरोबर बैठगी। बां काणै कोइयै देख्यो। बीं रा मैला गाबा देखÓर थोड़ा भेळा-भेळा हुया। पण लुगाई बा ई गुमेजण ही। तानो मार बैठी-
'इसा रहीस हो तो घरू साधन लेयÓर चालता।Ó
सुणतां ईं तेल रा-सा छींटा लाग्या। मोट्यार कीं नीं बोल्यो। तानै रै जैÓर नै पचाग्यो। पण उण री बीनणी नागण ज्यूं फुंकारी। अर सणै जूतियां लुगाई पर चढगी। सबदां री दो ई हथ्थळ में लुगाई नै दाब ली। पूरी बस रो ध्यान आप कानी खींच लियो। पण मोट्यार फीको हुग्यो। उण रो पाणी उतरग्यो। ज्यूं-ज्यूं लोगां री दीठ उण पर पड़ी, उण री नाड़ नीची हुगी। पसीनो आयग्यो। अर थूक सूकग्यो। बो आपरी बीनणी कानी आंख काढण लाग्यो। जाड़ पीसण लाग्यो। अर जद बै बस सूं ऊतर्या, म्हनै धीमै धर्राट में मरद री ललकार सुणीजी-
'स्यान री तूड़ी कर दी रांड...।Ó
म्हैं बस सूं बारै मूं काढÓर देख्यो। बा आंख पूंछती बगै ही। म्हैं डायरी काढÓर मरद री ललकार अर लुगाई रा आंसू नोट कर लिया। अर सिरनांवो दे दियो, लुगाई री जीत में मरद री हाय-हाय।
आं दोनूं घटनावां रै असर सूं जापो टेम सूं पैलां ई हुग्यो। कहाणी जामी है। जकी रै माथै पर लिख्योड़ो है- मोट्यार लुगाई सूं भोत दूबळो हुवै।