जिंदगी इम्तिहान लेती है / जयप्रकाश चौकसे

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जिंदगी इम्तिहान लेती है
प्रकाशन तिथि : 05 अप्रैल 2020


कोरोना कालखंड में सभी समूहों पर दबाव और दायित्व है। डॉक्टर जूझ रहे हैं और पुलिस मुस्तैदी से काम कर रही है। पुलिस विभाग में वेतन कम है और काम कभी घटता नहीं। वे अपने परिवार के साथ तीज-त्योहार भी नहीं मना पाते। शोभायात्रा और शवयात्रा के समय भी पुलिस को बंदोबस्त रखना होता है। हमारा समाज पुलिस को यथेष्ट सम्मान नहीं देता। नेताओं के दबाव के कारण पुलिस अपना काम नहीं कर पाती। नुक्कड़ में और मोहल्लों के असामाजिक लोगों को नेताओं का प्रश्रय प्राप्त है। टूटी हुई व्यवस्था का दागदार चेहरा पुलिस को बना दिया जाता है। सुलगती सरहदों पर तैनात सेना को सम्मान दिया जाता है, परंतु देश की भीतरी व्यवस्था के लिए काम करने वाली पुलिस को हेय नजर से देखा जाता है। गुलामी के दौर में अंग्रेज हाकिम के हुक्म पर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वालों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं, आजादी के बाद उन्हीं लोगों को पुलिस सलाम करती है।

प्राय: पुलिस पर रिश्वतखोर होने का इल्जाम लगाया जाता है, परंतु सारे विभाग ही रिश्वत लेते हैं। अफसर से मिलने के लिए उसके अर्दली को भी पैसे देने पड़ते हैं। आला अफसर के बिगड़ैल बच्चों से भी पुलिस अपमानित होती है। कोरोना में रकम जमा करने का काम भी पुलिस कर रही है, परंतु विधायक-सांसद-मंत्री इस फंड में रकम नहीं दे रहे हैं।

सिनेमा में भी पुलिस वाले का पात्र गढ़ा गया है। सलीम-जावेद की ‘जंजीर’ व ‘दीवार’ में पुलिस वाला अपने परिवार के साथ किए गए अन्याय का बदला लेता है, परंतु सच्चा सामाजिक आक्रोश गोविंद निहलानी की ओमपुरी अभिनीत ‘अर्धसत्य’ में प्रस्तुत किया गया है। प्रकाश झा की फिल्म ‘गंगाजल’ में पुलिस अफसर के पात्र को अजय देवगन ने बड़े प्रभावोत्पादक ढंग से अभिनीत किया। गोविंद निहलानी की फिल्म ‘देव’ में ओम पुरी और अमिताभ बच्चन ने पुलिस अफसरों की भूमिकाएं अभिनीत की थीं।

वी. शांताराम की 1940 में बनी फिल्म ‘आदमी’ एक पुलिस वाले और एक तवायफ की प्रेम कथा प्रस्तुत करती है। तीन दशक बाद विदेशी फिल्म ‘इरमा-लॉ-डूज’ में भी इसी तरह की प्रेम कथा प्रस्तुत की गई थी, जिसका चरबा शम्मी कपूर निर्देशित ‘मनोरंजन’ में प्रस्तुत किया गया था। अबरार अल्वी के विटी संवाद के कारण फिल्म यादगार बन गई। राहुल देव बर्मन ने माधुर्य रचा था। इस फिल्म का गीत ‘गोयाकि चुनांचे… कितना प्यारा वादा है….’ लोकप्रिय हुआ था।

अनियंत्रित जुनूनी भीड़ पर लाठी चार्ज या गोली मारने का आदेश देने वाले अफसर को प्राय: जांच कमीशन के सामने प्रस्तुत होना पड़ता है। के. भाग्यराज की फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ में अमिताभ बच्चन ने कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसर की भूमिका अभिनीत की थी। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन की दोहरी भूमिका थी। अमिताभ बच्चन ही कर्तव्यनिष्ठ पुलिस अफसर के उम्रदराज पिता की भूमिका में अरसे पहले अपनी पत्नी के साथ हुए दुष्कर्म करने वालों को दंडित करता है। सारा सच जानने के बाद पुलिस अफसर अपना पद त्याग करके अपने पिता की सहायता करना चाहता है। तीन शेर वाला राष्ट्रीय चिह्न पुलिस धारण करती है। पुलिस को रिश्ते-नातों से ऊपर उठकर अपना कर्तव्य निभाना होता है।

पुलिस वाला कुरुक्षेत्र में खड़े अर्जुन की तरह है जिसे श्री कृष्ण समझाते हैं कि उसे सत्ता और न्याय के लिए अपने स्वजनों के खिलाफ युद्ध करना होगा। महिला पुलिस पात्रों वाली फिल्में भी बनी हैं। तब्बू अभिनीत ‘दृश्यम’ और रानी मुखर्जी अभिनीत ‘मर्दानी’ यादगार फिल्में हैं। सिंघम शृंखला भी सफल रही है। ‘ईश्वर’ नामक मर्मस्पर्शी फिल्म में काम करने वाली विजया शांति ने पुलिस अफसर की भूमिका का निर्वाह किया है। पूरन चंद राव की फिल्म ‘अंधा कानून’ में एक महिला के साथ दुष्कर्म हुआ था। उस महिला की पुत्री पुिलस अफसर बनकर अपराधियों को दंडित करना चाहती है। कानून के हाथ लंबे हैं, परंतु पहुंच सीमित है। अतः रजनीकांत अभिनीत भाई का पात्र अपने ढंग से अपराधियों को दंडित करता है। कोरोना कालखंड में पुलिस विभाग पूरी क्षमता से अपना काम कर रहा है। सच तो यह है कि सभी समुदाय सहायता का कार्य कर रहे हैं। इंदौर के आनंद मोहन माथुर ने कलेक्टर की सहमति से भगत सिंह ब्रिगेड के सदस्यों द्वारा लगभग 1000 परिवारों को गेहूं, चावल और दाल मुहैया कराई है। उनका कहना है कि अपने लंबे कॅरियर में उन्होंने ऐसा समय नहीं देखा, जब रेल और न्यायालय बंद कर दिए गए हों। अमेरिका में सबसे अधिक लोगों की मृत्यु की आशंका है। सभी लोग अपनी बंद रखी कारों के इंजन कुछ समय चलाते हैं ताकि बैटरीज काम करती रहे। सारे देश की बत्ती गुल रखने पर बिजली के ग्रिड बिगड़ने की आशंका एक मंत्री ने जाहिर की है। इस संकट काल में यह तय करना कठिन है कि सही क्या है, परंतु दया करने पर कोई विवाद नहीं है।