जिंदगी तो नहीं / गोपाल चौधरी

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जेनेट। पूरा नाम जेनेट ली था उसका। एक दिन अचानक कनाट प्लेस के सेंट्रल पार्क में उससे मुलाकात हो गई। वह भी क्या दिन होते! तुली का इंटेर्न्शीप चल रहा होता एक इंजीन्यरिंग फ़र्म। मे। सर्दियों के दिन थे। धुंध और ठंड से भरे।

कई दिनो से तुली को कुछ करने का मन नहीं कर रहा होता! न तो इंटेर्न्शीप वाले फ़र्म में जाने का मन करता और न ही कही और ही! उस दिन सब कुछ ऐसा वैसा लगता हुआ। जैसे पहले कभी नहीं हुआ। जिंदगी बेमानी-सी लगती-लगती हुई। न ऑफिस जाने का मन करता होता और न अपने किराए के कमरे मे। एक बेड रूम का घर किराये पर ले रखा था। एक दोस्त के साथ साझीदारी में रह रहा होता। रूम पार्टनर भी अपने घर गया हुआ था।

उस दिन! कनाट प्लेस के सेंट्रल पार्क के एक बेंच पर बैठा: तुली सोच विचार में उलझा होता। क्या किया जाए? कल भी ऐसा ही हुआ था। न तो कहीं जाने का मन कर रहा होता और न ही कुछ करने का। बस कनाट सर्कल में घूमने लगा। यूंही—बिना वजह के। लेकिन क्या बिना वजह कोई चीज या घटना होती है क्या! जो अब होती!

थोड़ी पी भी रखी थी। पी ब्लाक में घूमते-घूमते तुली की नज़र प्रसिद्ध चित्रकार, एम एफ हुसैन पर पड़ी। वे इंडिया टूड़े के आर्ट गैलरी के सामने खड़े थे। अपनी पूरी सादगी के साथ। किसी चित्र प्रदर्शनी का उदघाटन करने आए लगते होते।


सर! मैं आपका बहुत बड़ा फैन हूँ। तुली ने हुसैन साहब से हाथ मिलाते हुए कहा।

और सर आपकी तरह मैं भी माधुरी दीक्षित का भी फैन हूँ। इस तरह हम दोनों प्रशंसक भाई हुए माधुरी दीक्षित के... ।

यह सुनकर हुसैन साहब हँसे। ऐसी हंसी, जिसे न तो चित्रों में कैद किया जा सकता है, न ही शब्दों में ब्यान। वे तुली को अंदर आर्ट गेलरी में ले गए। वहाँ उन्होने एक कागज पर माधुरी का रेखा चित्र बनाया और तुली का उससे नाम पूछ कर उसका नाम लिख दिया: तुली को सप्रेम—एम एफ हुसैन।

बहुत अच्छा लगा था तुली को। ऐसी खुशी का एहसास हुआ जैसा पहले कभी नहीं हुआ!

पर आज दिन कैसा भारी भारी-सा लग रहा होता। क्या किया जाय? तुली सोच विचार में लगा होता। तभी जेनेट प्लाज़ा सिनेमा तरफ से सेंट्रल पार्क आती हुई दिखी। लगभग 6 फीट लंबी, ब्लोण्ड बाल, गोरा चेहरा, लंबी नाक और नीली आंखे। तुली उसकी ओर देख ही रहा होता कि उसने पूछा—कॉफी किधर मिलेगी?


उधर। उस तरफ। मैं भी काफी पीने की सोच रहा।

तुली जेनेट के साथ हो लिया। कॉफी होम में ही जान पहचान हो गई। उसके बाद जेनेट ने किसी पार्क में बैठने का सुझाव दिया। वह अपनी किसी समस्या के बारे में तुली से राय लेना चाहती होती और शायद उसे परखना चाहती। वे जंतर मंतर के पार्क में आ बैठे।

जेनेट ने बताया: वह अमेरीकन है और अपने स्पेनिश बॉयफ्रेंड के साथ चेन्नई में रह रही है। वीजा की तारीख बढ़ाने दिल्ली आई हुई थी। पैसे की कमी के कारण रेलवे स्टेशन के लेडी वेटिंग रूम में ठहरना पड़ा उसे। वहाँ के बीट कांस्टेबल ने उसे आश्रम ले जाने का वादा किया था। वहाँ रहने की व्यवस्था करने के लिए उसका समान विदेशी पंजीकरण कार्यालय में रखा हुआ था।

तुली को अजीब-सा लगा। जैसे कहीं कुछ गड़बड़ है। कुछ नहीं बहुत गड़बड़ लगा। अगर रहने का प्रोब्ल्र्म है। तो आप मेरे स्टुडियो फ्लॅट में रह सकती हो। मैं अपने रूम पार्टनर के साथ रहता हूँ और अभी घर गया है, सो

पर वह एकाएक कैसे विश्वास कर लेती उस पर।


पर तुम क्यों मदद करना चाहते हो?

तुली कुछ भी बोल नहीं पाया। तब जेंनेट ने बोला:


आज कल लोग दो कारण से मदद करते है-पैसे और सेक्स। आई कनॉट अफोर्ड बोथ... बट सम पीपल हेल्प फॉर हेल्प शेक ...केवल मदद के लिए मदद करते है।

जेनेट कुछ देर तक चुप रही। तुली को एकटक देखती रही।


वेट। जेनेट अपने पर्स से टैरोट कार्ड निकालने लगी। कार्ड निकाल कर उसे मिलाया, ताश के पत्तों की तरह और तुली को कोई एक कार्ड चुनने को बोला। उसने एक कार्ड चुना। वह जेमिनी का चिह्न निकला-दो जुड़वा बच्चो का। जेनेट के चेहरे पर एक चमक-सी आई।


येस्स।। फिर दूसरा कार्ड चुनने को बोला। तुली ने इस बार जो कार्ड चुना उसमे सूरज, चाँद और तारों के चित्रा बने थे। येस। ई कैन ट्रस्ट यू। जेनेट ने कुछ चहकते हुए से बोला।

और वह तुली के साथ चल पड़ी। पहले लंच किया। फिर इधर उधर घूमे। थोड़ी बाते हुई। आईआईटी कैम्पस के बाहर ही तुली ने एक स्टूडियो फ्लैट किराये पर लिए हुए था। जेनेट को वहाँ ले गया। फ्लैट दिखाया। ये मेरा बेड है और ये आपका।

जेनेट खुश हो गई। रसोई भी था। पर वे बाहर ही नाश्ता और खाना खाते होते।


एंड हाउ मच आइ हैव टु पे? जेनेट के चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान फ़ैली पड़ी थी। ओनली फ्रेंड्शिप। बट आइ विल क्लीन हाउस एंड उटेन्सिल इन रिटर्न फॉर बोर्डिंग अँड लॉजिंग यू आर प्रोविडिंग... ओके... ओके... ।

जेनेट और तुली आईआईटी कैम्पस से जे एन यू आ गए। वहाँ लंच करने लगे। उसके बाद आस पास की पहाड़ियो पर घूमने निकले। घूमते-घूमते वहाँ वे एक शिला खंड पर बैठ बाते करने लगे। यू आर सो गुड। आइ लाइक यू। जेनेट ने उससे इस लहजे में कहा मानो फायर ही कर रही हो!

तुली थोड़ा भावुक हो गया और दो तीन चुंबन कर डाले। जेनेट की आंखो में आँसू आ गए। शायद खुशी के थे। फिर शिला खंड पर लेट गयी और अपने सिर को तुली के गोद में रख कर अपनी कहानी सुनाने लगी और तुली बीच-बीच में चुंबन करते जाता। जैसे वह अपनी सहमति जता रहा हो।


अब तक मेरे 13 बॉयफ्रेंड रह चुके है... पहला जब मैं 13 साल की थी...फिर दूसरा... तीसरा...पार्टी... जेंगल... न्यू यॉर्क... चौथा...पांचवा...न्यू जेरसी ...दसवां बारह... चेन्नई में ...

तुली सुन कर भी नहीं सुन रहा होता! वह तो अपनी गोद में लेटी ब्लोण्ड सुंदरी को आत्ममुग्ध-सा देखे जाता। जब वह खुश होती तो वह भी खुश होता और जब किसी से ब्रेक अप की बात करती होती, तो वह भी दुखी होता और तुली बीच-बीच में चुंबन लेना नहीं भूलता।


—हम लोग गरीब थे... तब यूरोप में रह रहे होते... निदरलैंड में ...हमारे पास हीटिंग का प्रबंध नहीं होता ...जब ठंड लगती... हम भाई बहन नाच-नाच नाच कर रात काटते... ताकि ठंड न लगे।और हम जिंदा रह सके । यह बताते हुए जेनेट की आंखे नाम हो उठी। तुली ने उस पर च्ंबनो की बौछार कर दी। उसके आंसुओं को पोछने के लिए।

उधर शाम जे एन यू की अरावली पहडितों पर उतरने लगी थी। उसके एक्स-बोयफ़्रींड्स की कतार और उनके किस्से खत्म ही नहीं हो रहे होते! हरेक से ब्रेक अप के बाद जोरों से जेनेट को चुम्मी देता और वह मस्त लगती और खुश भी। बीच-बीच में दुखी भी हो जाती। पर दुख भी तो सुख का ही हिस्सा है जिसकी बुनियाद इसी के साथ रख दी जाती है। वह कभी हँसती, कभी रोती, कभी उदास होती तो कभी खुश। अपनी तेरह पुरुष दोस्तों की दास्तान सुनाते सुनाते।

तेजी से गहराते शाम का साये। गोद में लेटी हुई जेनेट—जीवन के अप्रतिम सुख दुख में डूबी। तुली भी उसी के साथ किनारे पर बैठा जीवन सुख सरोवर में गोते लगा रहा होता। पर सीपी भी जाना था। वहाँ पुलिस वाले से जेनेट का समान और लगिज वगैरह भी लेने थे।

वो पुलिस वाला शायद विदेशी पंजीकरण कार्यालय का बीट इंचार्ज था। वह जेनेट का समान पंजीकरण कार्यालय के स्टोर रूम में रखे हुए था। जहाँ हम पहुँचे तो ऐसे मिला जैसे हमारा ही इंतजार का रहा हो और हमसे पचास तरह के सबाल करने लगा। मैं पत्रकार हूँ और एक स्थानीय पेपर में काम करता था। तब जेनेट से जान पहचान हुई। तुली ने बताया अभी कैसे मिले? पुलिस वाले ने प्रश्न दागे। अभी जे एन यू में रहता हूँ। ये लड़की मेरे एक सीनियर की कज़िन है जो विदेश से आई है। थोड़ा रूक कर फिर तुली ने कहा:


मैं इसे ले जाने आया हूँ। उसे अपने आई कार्ड दिखाते हुए बताया।

पर शायद वह पुलिस वाला जेनेट को आश्रम का झांसा दे कर फंसाना चाहत था। जेनेट थी ही इतनी सुंदर और सेक्सी! कोई भी उसे पाना चाहेगा। पर उसकी नियत ठीक नहीं लग रही होती। वह हमे जाने नहीं दे रहा था। इधर उधर की बातों में उलझाए हुए था।

फिर वह हमारे लिए चाय बनाने लग। पर चाय स्टोव पर रख कर, अचानक वह कहीं गायब हो गया। हमे थोड़ा शक होंने लगा। हमने वहाँ से निकल जाने का निर्णय लिया।

पुलिस वाले के चंगुल से जेनेट को छुड़ाने के बाद चैन मिला। हमने काफी होम में कॉफी पी और वापिस अपने स्टुडियो फ्लॅट मे।

डिनर करने के बाद हम आराम करने लगे। जेनेट गिटार बजाने लगी। प्रेम और विरह के धुनो ने मंत्र मुग्ध-सा कर दिया। उसे गले लगा कर प्यार करने की कोशिस करने लगा। पर उसने बीच में ही रोक दिया। नो। नोपस। लेटस गो टु स्लीप। गुड नाइट।

मैं अपने बेड पर लेट गया और उसकी ओर देखने लगा। जेनेट सोने की तैयारी करने लगी। पहले जीन्स उतारे...फिर टी...... केवल अंडी और-और बानियान ...अपने आप को रोक नहीं पाय... हम दोनों आलोंगन मे...फिर चुंबनो की बौछार... नो गो टु स्लीप। उसने रोक दिया।

रात के दो तीन बजे होंगे। अजीब-सी आवाज सुनाई पड़ी। मेरी नींद खुलती हुई... ओह गाड आई एएम डाइंग... हेल्प मे...जेनेट कराह रही थी। शायद उसे ठंड लग रही थी। सारे कपड़े उतार कर जो सोयी थी। कहीं कुछ हो न जाये। मैं अपनी रज़ाई को लेकर उसके-उसके साथ लेट गया। उसके ही स्लीपिंग बाग मे। और उसे गर्मी देने लगा।

साँसो से सांस मिलने लगे। देह से देह। हम दोनों उत्तेजित हो चले थे। अभी सुख सागर में प्रवेश करने ही जा रहे होते! तभी जेनेट की हिचकी सुनाई पड़ी। पहले लगा उसे षड मजा आ रह हो! पर बाद में लग वह शायद रो रही। उसे लगा कुछ गलत हो रहा है॥ उसे अपने प्रेमी की याद आने लगी रही थी। वह उसके साथ धोखा नहीं कर सकती। ...इट्स चीटिंग...आई लव हिम वह गॉड ... नो और

और तुली पीछे हट गया। पर वे दोनों एक दुसरे के आलिंगन में सोते रहे। बिना प्यार किए। पर तुली को क्या मालूम एक और प्यार उसके इस नहीं होते हुए प्यार को देख कर रूठ जाएगा।

हुआ यों की सोनी आई थी अपने सब कुछ समर्पित करने। पर जब उसने खिड़की से तुली और जेनेट, दोनों को सोये हुए देखा तो उल्टे पाँव लौट गई। सोनी तुली के साथ उसी फ़र्म में इंटेर्न्शीप कर रही होती। वह उसे प्यार करती थी। पर तुली का तो करुणा से दिल टूट जाने के बाद प्यार-व्यार से नफरत-सी हो गई लगती!

यह बात सोनी को पता था। फिर भी उसे चाहती रही। पर तुली की तरफ से कोई साकारात्म्क जवाब नहीं मिल रहा था। आखिरकार वह अपने माँ पापा के पसंद के लड़के से शादी करने को तैयार हो गयी। लेकिन शादी के पहले वह अपना सब कुछ अपने प्यार पर निछावर करना चाहती! अगर तुली नहीं करता कोई बात नहीं! वह तो करती है। शादी के पहले वह अपने अधूरे प्यार की ख़्वाहिश को पूरा करना चाहती होती। इसी इरादे वह सुबह-सुबह ही आई थी। वह वही पास ही रहती थी।

पर जब वहाँ आई, तो खिड़की से तुली एक सुंदर-सी लड़की के साथ सोये हुए दिखा। वह रोती हुए उल्टे पाँव लौट गयी। प्यार का यह कैसा मंजर था! महबूबा एक तरफा प्रेम के बावजूद उस पर अपना सब कुछ लुटाने आई। पर यह भी उसके किस्मत में न था। यह बात उसने तुली को बाद में बताई, जब उसकी शादी हो चुकी थी।

चंदा के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। जाम होठों तक आते छलक गया और तुली प्यासा का प्यासा ही रह गया।

पर जेनेट दो तीन तक तुली के साथ रही। रहने और सोने के ऐवज में वह कमरे की सफाई करती। तुली के कपड़े धोती। इसी तरह एक दो तीन गुजरे। फिर एक दिन सुबह-सुबह तुली को जागा कर उसने कहा—आई एम गोइंग ... बाए ... यू आर वेरी गुड—यू विल गेट लव ऑफ ब्यूटीफूल गाल । उसने मुझे बाइबल दिया और मैंने उसे गीता।

इससे पहले जेनेट ने एक दिन रेस्तरां में लंच करते बताया था।

तुम बहुत अच्छे हो। मैं तुमसे शादी बना कर इंडिया में ही सैटल करना चाहती थी। पर तुमने घर में मुझे ऑर्डर देते हुए कुछ मांगा था। मुझे बहुत खराब लगा और मैंने अपन फैसला बादल दिया।

एक तरह से अच्छा ही हुआ। इतनी-सी बात के लिए इतना बड़ा फ़ैसला बदल दिया। फिर तो कुछ भी हो सकता है!

पर जेनेट के जाने के दो साल बाद तक उसके विरह में तड़पता रहा। उसकी याद आ कर मुझे उदास कर जाती। दो तीन दिनो में ही उसे ऐसा लगा था जैसे उससे जन्मो का प्यार मिला हो।