जीवनदाता / एस. मनोज

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"हेलो, हेलो! हम अभय बाजि रहल छी। अहाँ श्यामे जी बाजै छियैक?"

"हँ, हँ! श्याम बाजि रहल छी। की बात अभय?"

"हमर भाइ आनंद बड़ सिरीयस भ'गेल छै। हम ओकरा ल' क' डा. रमेश जीक क्लीनिक पर छियैक।"

"आहि रौ बाप! आनंद के की भ' गेलैक?"

"चारि दिन पहिने ओकर पेट खराप भेल रहैक। फेर ओ शूल भ' गेलै आ पैखानामे खून खसै लागलै।"

"आहि रौ बाप! तहन की सभ कैलियै?"

"ई सभ खिस्सा बादमे कहब। एखन जे काज अछि से कहै छी।"

"हँ, हँ! वैह कहू।"

"एखन आनंद सिरीयस अछि आ डाक्टर साहेबक कहनाय छनि जे रोगीकें खूनक कमी भ'गेल छैक। ओकरा जल्दी सँ खून नहि चढ़ायल जयतै त' खतरा छैक।" चिंतित आ फिरिसान भेल अभय फोन पर बाजल।

फोन पर दोसर दिस सँ श्याम जी बजलाह-"आनंद तुरंते एतेक सिरीयस कोना भ' गलैक? अच्छा हम की करी से न बताबू?"

अभय-"भाइ अहाँ एक-दू यूनिट खूनक व्यवस्था करबा दियौक।"

श्याम-"अच्छा फोन राखू। हम कने कालमे कोनो न कोनो जोगार लगाबै छी।"

कने कालक बाद श्याम अभयकें फोन कयलनि-"हेलो अभय!"

अभय-"हँ।"

श्याम-"हम दू तीन गोटकें पठा देने छिय। जानते छहो जे गाममे अभियो बेसी लोक अपन ब्लड ग्रुपक जाँच नहि करबैने रहैत छैक। तों हुनका ब्लड ग्रुपक जाँच करबाक'एक-दू यूनिट, जे डाक्टर कहथुन से खून ल' लिह'। आ हमहूँ कने कालमे आबि रहल छिअ।"

कनिये कालक बाद श्याम जीक फोनक रिंग बाज'लागलै त श्याम आशंका सँ भरि उठलाह। आहि रौ बाप! आब की भ' गेलैक। फेर अपना आपकें मजगूत करैत फोन रिसीव कयलनि-"हँ अभय, सभ नीक ने?"

"हँ भाइ, तेहन बेसी सिरीयस नहि छैक। मुदा?"

श्याम-"मुदा की?"

अभय-"अहाँ जतेक गोटेकें पठैने रहियै, ओ तीनू गोटें अयलाह, मुदा किनको ब्लड ग्रुप आनंदक ग्रुप सँ नहि मिललै आ डाक्टर साहेबक कहनाइ छनि जे सेम ग्रुपक खून चाही। तें सँ भाइ किछु आओर लोकक जोहै पड़त, निहोरा करै पड़त।"

"आनंदक कौन ग्रुप छै से बताब' ," पूछलनि श्याम।

अभय-"बी.पॉजिटिव।"

श्याम-"अच्छा, अच्छा! अहाँ पाजिटिव रहू। हम आनंद लेल आओर लोककें ताकै छी आ जल्दिये आबै छी।"

फेर श्याम किछु लोककें फोन कर'लगलाह आ डा. रमेशक क्लीनिक पर आब' ल आग्रह कर'लगलाह। आ फेर घंटा भरिक भीतरे स्वयं डा. रमेशक क्लीनिक पर जुमि गेलाह। क्लीनिककें रिसेप्शन काउंटर पर जाक' पुछलनि-"एतय एकटा रोगी छैक। रोगीक नाम आनंद आ ओकर गाम वासुदेवपुर छैक, किमहर छैक।"

कम्पाउण्डर-"जहि पेसेंट कें खून चढबैक ज़रूरति छैक, वैह?"

श्याम-"हँ, हँ।"

कम्पाउंडर-"इमरजेंसी वार्ड। रूम नं। एक सय एक।"

एक सय एक सुनते श्याम आ संगमे गेल संगी विश्वनाथ आगू बढ़ि गेलाह। कमराक गेट पर पहुँचलाह त'देखैत छथि जे आनंदकें पानि चढ़ि रहल छैक आ अभय बड़ चिन्तित बैसल छैक। श्याम कोठरीक भीतर जा क' मद्धिम स्वरमे पुछलनि-"आनंद, आनंद। ई की भ गेलै रे?"

अभय-"एखन ई की बाजत। निस्तेज भ'गेल छैक। पानि त' चढ़ि रहल छैक, मुदा..."

श्याम-"मुदा की? खूनेक न ज़रूरति छैक। सभ भ' जयतै। अहाँ नरभस नहि होइयौ। आओर लोक आबि रहल छैक। चलू ताधरि हम आ विश्वनाथ अपन खूनक जाँच कराबियै।"

विश्वनाथ-"अहाँ कथी ल'जाँच करैबै? अहाँ स्वयं लो बी.पीक पेसेंट छियै। खून निकालला सँ अहाँकें किछु भ' जायत तखन? चलू हम अपन जाँच कराबियै।"

अभय-"चलू न दूनू गोटें। दूनू गोटें जाँच करा लेबै आ जिनका सँ ग्रुप मिल जयतै, वैह एक यूनिट खून द' देबै।"

तीनू गोटें ब्लड जाँच बला कोठरी दिस बढ़ि गेला। ओतय बेरा बेरी सँ श्याम जी आ विश्वनाथक ब्लड निकालल गेलै आ ओकर जाँच कयल गेलैक। श्यामक ग्रुप सँ आनंदक ग्रुप मिल गेलैक।

कम्पाउंडर श्याम जी सँ बाजल-"अहाँ ओहि कोठरी दिस चलियौ। अहाँ सँ एक यूनिट ब्लड निकालल जयतै।"

श्याम जीक संगी विश्वनाथ कने चिन्तित भ' गेलाह आ बजलाह-"हिनकर बी. पी. लो रहै छैक। खून निकालला सँ किछु दिक्कतों होयतै?"

कम्पाउंडर विश्वनाथ दिस घूरैत बाजलै-"नहि, कोनो दिक्कत नहि होमक चाही।"

विश्वनाथ हुनकर खून निकालैमे किछु आओर प्रतिकार करैत बाजल-"हमरा जानतबें हिनकर खून निकालनाय नीक नै। बेमार लोकक खून निकालला सँ हुनक समस्या बढ़ि सकैछ।"

अभय असमंजस में परल रहै। एक दिस जीवन मृत्युक बीच डोलैत भाइ आ दोसर दिस भाइक प्राण रक्षा लेल दोसक जीवनकें संकटमे देनाय। ओ भाइ लेल खून लिय चाहै, मुदा किछु बाजि नहि पाबै।

समयक ज़रूरति बूझि श्याम जी बजलाह-" यौ कम्पाउंडर साहेब, हमर खून निकालू आ आनंदक जिनगी बचाउ। '

विश्वनाथ फेर आग्रह करैत बाजल-"जँ अहाँक किछु भ' जायत तखन?"

श्याम-"तखन देखल जयतै। तखन आओर लोक सभ हमरो जान बचा लेत। यौ कम्पाउंडर साहेब अहाँ अपन काज जल्दी-जल्दी करू।"

कम्पाउंडर श्याम जीकें दोसर कोठरीमे ल'गेलै आ बेड पर सुताकें खून निकाल' लगलै। कनिये कालमे एक यूनिट खून निकलि गेलै। खून निकाललाक बाद श्याम जीक फलक रस पिलायल गेलै आ एकटा गाड़ीमे बैसाकें हुनक घर पहुँचा देल गेलै। खून देला सँ श्याम जीकें कोनो खास दिक्कत नहि भेलैक। दू-चारि दिन कने कमजोरी रहलै आ फेर सभ सामान्य भ' गेलैक।

ओमहर श्याम जीकें खून काज कयलकै। आनंदकें खून चढ़ैयलाक बाद ओ शनैः-शनैः नीक भ' गेलैक। वैह एक यूनिट खून ओकर जान बचा लेलकैक।

समय साल बीतल गेलैक। आनंद मेडिकल इन्ट्रेंस परीक्षा पास क' बी.एच.यू.मे नाम लिखा लेलकैक। समयक संग ओकर पढ़ाइ चलैत रहलै आ ओ आनंद सँ डॉक्टर आनंद बनि गेलैक।

आनंद अपन डाक्टरीक पढ़ाइ पूरा कयलाक बाद जखन गाम अयलै त'अपन भाइ सँ बाजलैक-"भैया हम श्याम भैया सँ भेंट कर' चाहैत छियै। चलू न हुनका घर चलिकें हुनक आशीर्वाद ल' आबियै।"

भाइक गप्प सुनि अभय प्रसन्न भेलैक आ श्याम जी एतय जायकें योजना बनि गेलैक।

अगिला दिन दूनू भाइ श्याम जी एतय पहुँचि गेलाह। आनंद श्याम जीक चरणस्पर्श कय हुनक बगल में बैस गेलैक।

कुशल छेम पूछलाक बाद अभय श्याम जी सँ पूछलकै-"एकरा चिह्नलियै?"

श्याम जी कने काल आनंदक मुँह ताकैत रहला आ बजलाह-" अहाँक छोटका भाइ आनंद छिकै की? '

अभय मुस्काइत बाजल-"अहाँ त' एकदम्मे चीह्न गेलियै।"

श्याम-"बेसी दिन पर देखलियै तें सँ चीह्नै में कने देरी भ'गेलैक। जहिया देखने रहियै तहिया बच्चा रहै आ आब सियान भ' गेलैक।"

अभय-"हँ भाइ, अंतिम बेर जहिया अहाँ देखने रहियै, तहिया ई पेसेंट रहै आ आब डाक्टर भ' गेलैक।"

श्याम जी प्रफुल्लित होयत बाजलाह-"वाह वाह! डाक्टरी बला पढ़ाइ पूरा भ' गेलैक।"

आनंद-"हँ भैया।"

श्याम-"बनारसमे डाक्टरी बला पढ़ाइ करै रहै से त'जानैत रहियै, मुदा पढ़ाइ पूरा भ' गेलैक से नहि जानैत रहियै।"

आनंद-"भैया हमर पढ़ाइ पूरा भ'गेलैक आ काल्हिये बनारस सँ अइलियै। बनारसेमे रहियै त' मोने मोन सोचने रहियै, जखन गाम जइबै तखन जा क' अपने सँ आशीर्वाद लेबै।"

आगू बाजैमे आनंद कनि भावुक भ गेलैक। लागलै आँखि सँ नोर खसि पड़तै। खखास क'कें फेर स' बाजल-"हमर ई जिनगी अहैंक देल छैक। हमरा नसमे बहैत खून अहींक खून थिक। अहींक देल जीवन पर आय हम डाक्टर बनि गेलियै।"

बाजैमे जहिना-जहिना आनंद भावविह्वल भेल गेलैक, तहिना-तहिना श्याम जीक रोम-रोम प्रफुल्लित होयत गेलैक। ओ आनंदकें करेजमे सटा लेलका आ बाजलाह-"भाइ, आइ हमर आत्मा तृप्त भ'गेलैक। जँ छोटका भाइ जेठका भाइक प्रति अहिना स्नेह राखै त' सभ ठाम आनंदे आनंद रहतै।"

आनंद बाजल-"खाली छोटके आ जेठके भाइक गप्प नहि छैक भाइ साहेब। अहाँ हमरा लेल जीवनदाता छियैक।"