जीवन-दर्पण हैं ये कविताएँ / कविता भट्ट
यादों की दस्तक (काव्य-संग्रह), कवयित्री शशि देवली, प्रकाशक रावत डिजिटल, उ0प्र0, प्रथम संस्करण 2021, मूल्य रु0 200, पृष्ठ 134 आईएसबीएन 978-81-948944-7-6
उत्तराखण्ड के सुदूर चमोली जनपद के पहाड़ी अंचल में बसा गोपेश्वर न केवल पर्यटन, अपितु साहित्य के मानचित्र पर भी अपने हस्ताक्षर अंकित कर चुका है। कवयित्री शशि देवली की सामयिक व सशक्त लेखनी इसी कथ्य और तथ्य को सिद्ध करती है। आपके द्वारा रचित काव्य-संग्रह यादों की दस्तक, मेरे हाथों में है; सुखद है कि इस संग्रह में संगृहीत आपकी इन उत्कृष्ट रचनाओं से साक्षात्कार का अवसर प्राप्त हुआ। आपका इतने सुदूर पहाड़ी क्षेत्र में रहते हुए भी साहित्य की मुख्य धारा में जुड़े रहना तथा समर्पण भाव के साथ इसकी सेवा करना अत्यंत उल्लेखनीय है। धवल हिमशिखरों से उद्गमित आपकी काव्यसरिता आज पाठक-जगत् की पिपासा को शान्त कर रही है।
शशि जी की इन रचनाओं में सामयिक विद्रूपताओं को चित्रित करने के साथ ही प्रेम और मोहपाश की सुन्दरता भी है। एक ओर आपकी कविताओं में मदमाती पवन की सुगन्ध का आभास है, तो दूसरी ओर जीवन के कटुसत्य का चित्रण भी है। आपने जीवन में पग-पग पर जिन अनुभवों को एकत्र किया, उसे काव्य रूप में शब्दचित्रों में ढाल दिया। यह एक सफल और अनुभवी रचनाकार ही कर सकता है। जीवन के अनोखे व्यावहारिक तथा सामाजिक अनुभवों को लेखनी से पिरोकर प्रस्तुत करना निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। नारी मन के सहज भाव यथा- प्रेम, पीड़ा तथा सामाजिक दृष्टिकोण व हीनभाव के प्रति आक्रोश आपकी कविताओं में पाठक को झकझोर कर रख देता है। ये कविताएँ पाठक को चिंतन और मनन की ओर उन्मुख करती हैं। हम सभी जीवन के किसी न किसी मोड़ पर जिन अनुभूतियों से दो-चार होते हैं; वे सभी आपकी लेखनी के माध्यम से ‘यादों की दस्तक‘ में अत्यंत भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत हुई हैं।
यद्यपि सम्पूर्ण संग्रह में सभी एक से बढ़कर एक रचनाएँ संगृहीत की गई हैं; तथापि विशेषतः प्रेम को समर्पित रचनाओं में- मेरे ख़त उनके ख़्याल, प्यासी रूह, गीत, चलते-चलते, अज़नबी की तरह, चाहत इबादत है, अधूरा सफ़र, हम-तुम तथा मैं चाँदनी में नहाकर आई हूँ इत्यादि रचनाएँ भाव-विभोर कर देती हैं। देशभक्ति की अनेक रचनाएँ जैसे- इतिहास रचा लेंगे, मातृभूमि जुल्म अब न सहेगी, वृक्ष वसुंधरा, शहीद, मैं हिंदुस्तान लिखूँगी तथा फिर एक भारत निर्माण हो इत्यादि ओजपूर्ण हैं। सामाजिक विषयों पर शशि जी ने बड़े साहसिक ढंग से अनेक कविताओं जैसे- बेमकसद सफ़र, लक्ष्मी, वो शहर तथा खू़बसूरत इत्यादि के माध्यम से समाज में फैली विद्रूपताओं और समस्याओं को मँजे हुए ढंग से चित्रित किया है। पाठक भाव-सरिता में आप्लावित होकर काव्य-रस को बूँद-बूँद आस्वादित करता है। नारी मन के सहज भाव -जिद्दी, कब मिलेगा, बचपन का टूटना तथा ये आखिरी मौसम आदि कविताओं में बड़ी सुन्दरता के साथ उकेरे गए हैं। वैराग्य से ओत-प्रोत कविता संन्यास, जाना ही होगा, सात समन्दर पार तथा आँखें नहीं रोतीं इत्यादि रचनाओं का भाव-विन्यास विशेष रूप से प्रभावित करता है। प्राकृतिक सुन्दरता को प्रस्तुत करती रचनाएँ -सर्दी तथा पीत फागुन आदि रचनाओं में प्रकृति के अद्भुत सौन्दर्य को प्रस्तुत किया गया है। आशा और सकारात्मकता से परिपूर्ण कविताएँ जैसे- नवगीत, ओढ़नी सुनहरी है, हौसला आबाद रखना तथा खुशियाँ लुटाते हैं आदि रचनाओं को पढ़ने का आनन्द ही अलग है। सार-संक्षेप यही है कि जीवन दर्पण हैं शशि जी कृत ये कविताएँ।
शशि जी कृत प्रस्तुत काव्य-संग्रह यादों की दस्तक को पढ़ना सुखद है और यह संग्रहणीय काव्य-कृति है। मेरी ऐसी आशा और दृढ़ विश्वास है कि निश्चित रूप से निर्बाध सृजनशीलता आपके रचना संसार में निरन्तर अभिवृद्धि करेगी।
(हरियाणा प्रदीप 6 अगस्त 2021 में प्रकाशित)