जीवित्पुत्रिका का व्रत / गणेश जी बागी
Gadya Kosh से
रामखेलावन उदास मन से घर लौट आया और चौकी पर लेट गया, उसकी पत्नी कमला धीरे से बोली "क्या हुआ जी, आज वाहन नहीं चल रहें हैं क्या, क्यों लौट आये ? नहीं ऐसी कोई बात नहीं, मैं तो काम पर भी गया था, पर ठीकेदार ने आज काम बंद कर दिया है, कह रहा है कि आज "मजदूर दिवस" है, यदि आज काम कराया तो श्रम विभाग वाले जुर्माना लगा देंगे, गाड़ी भाड़ा भी लग गया और काम भी नहीं मिला, दिन में तो काम चल जायेगा पर रात में बच्चों को क्या खिलाया जायेगा ? राम खेलावन की आँखे यह कहते हुए भीग गई। कमला समझाती हुई बोली, ऐ जी आप उदास ना होइए, किसी तरह दिन के खाने से दो रोटी बचाकर मैं बच्चो को खिला दूंगी और हम दोनों जन समझ लेंगे कि आज *जीवित्पुत्रिका का व्रत है।
- जीवित्पुत्रिका का व्रत - अपने बच्चो की सलामती हेतु उत्तर भारत में मनाये जाने वाला एक व्रत जिसमे बगैर अन्न जल ग्रहण किये हुए ईश्वर की उपासना कि जाती है।