जुद्ध / रामस्वरूप किसान
मानकी गई तो चांदी री बींटी सारू पण सूत इसी बैठी कै सोनै रा झुमका मार ल्यायी। सुनार भरोसो करतै थकां टूमा रो डबड़ो उण रै आगै धर दियो अर बोल्यो, 'छांट ले इण में कई भांत री बींटी है।' छोरी निजर चुरा'र अेक जोड़ी झुमकां री उचका ली। अर डबडै़ में खाली हाथ मारण लागगी। पछै दो-तीन बींटी हथेळी पर धर'र 'अै नमूना तो म्हारै पसंद कोनी। कदे फेर आयस्यूं' कैंवतै थकां उण बींटी पाछी ई डबड़ै में गेर दी।
सुनार डबड़ो जड़'र सागी जगां धर दियो। उण नै भणक ई नीं लागी कै छोरी कद मांकर उण री आंख्यां में धूड़ गेरगी।
बींयां तो बो भोत चोघो हो। पण आज कीं ऊंतावळ में हो। उण नै भोत ई जरूरी काम सारू बजार जावणो हो। इण काम रो खिंचाव डबडै़ रै खिंचाव सूं कई गुणा बेसी हो। ईं सारू टूमां रै डबडै़ नै बो दूसर नीं सम्हाळ सक्यो अर दुकान मंगळ कर'र बजार चल्यो गयो।
मानकी रो घर सुनारां रै घर सूं घणो दूर कोनी हो। पण इण टेम मानकी सारू सौ कोस। क्यूं कै उण रै दिल में अेक न्यारी ई भांत रो भूचाळ हो। डर अर खुसी रो भेळो भूचाळ। अै दोनूं भाव जद किणी पर सवार हुवै तो भोत ई अजीब स्थिति हुज्यै। आं दोनूं भावां सूं उपजेड़ी स्थिति नै जे अेक नांव देवां तो बो है- 'आकळ-बाकळ' कै 'रै'क-बै'क'। बा रै'क-बै'क-सी हुगी। उण री चाल बदळगी। पग टेकणा कठैई चावै अर टिकै कठैई। बा भोत ऊंतावळी चालै पण खुद नै लारै खिंचीजती फील करै। इण भांत खींचताण में कद घर आयग्यो, उण नै ठा ई नीं लाग्यो।
घरां मां डांगरां नै नीरै ही अर बाबो खेत गयोड़ो हो। उण मांची पर पसर'र अेक लांबी अंगाड़ी भरी। हाथां री कांगसी जोड़'र आंगळ्यां रा कटका काढ्या। दो-अेक लांबा सांस मार्या। मन पर सवार दोगलो भाव अेकूको बण'र खुसी में बदळग्यो। डर उण रै नेडै़-तेड़ै ई नीं हो। मन में लाडू-सा फूटण लाग्या। चोली में दाब्योड़ी झुमका री जोड़ी रड़काई तो अेडी सूं चोटी तांईं खुसी रो करंट-सो आयग्यो। अर इण रै साथै ई मीठै सपना री रील-सी चालगी- उण रो बींद उण नै लेवण आयोड़ो है। सिंझ्या बाखळ में साळां साथै दारू रा पैग लगावै। बा मोद में मदमावती उण रै च्यारूंमेर ठुमकती फिरै। उण रै ठुमकणै में ई अेक भासा है। गुमेजभरी भासा। जकी नै बींद बापड़ो के समझै। अर उण रै नीं समझणै नै ई बा अेक जबरो मजो मानै। इण बगत इण मजै रै नसै में धुत है बा। अर इणी खुमारी में दिनगै बींद साथै सासरै जावै। सिणगार रै रूप में गरीब बाप री घाल्योड़ी बै ई सागी चांदी री दो-तीन टूम। पण उण रै भीतर खुसी रो अेक तूफान है। ओ तूफान बींद साथै सेज पर फूटै। बींद लेधे पीळै काना नै चूमै। माना रो आपो पसरै।
'थे के समझ राख्यो है म्हारै बाप नै। अै म्हारै बाप आप री कमाई सूं कराया है।'
इण सपनै साथै बा अचाणचक खड़ी हुयी अर पेसाब रै ओळावै पखानै में बडग़ी। अठै मां-बाप सूं छानै उण चोली में हाथ घाल'र झुमका काढ्या। पळपळांवतै झुमकां पर निजर पड़तां ई आंख चुंधियागी। काळजै में खुसी री डीक उठी। पण दूजै ई पल बा धोळी हुगी। मूं पर दुवाड़ फिरग्यो। खुसी री जगां उचाट झांपली। कारण, कै दोनू झुमका न्यारी-न्यारी भांत रा।
'आ के होयी!'
उण सिसकारो मार्यो।
'अब के करां। अै तो ल्याया न ल्याया होग्या। अब आं झुमकां रो सैट किंयां बणै। ऊंतवळ में अेक झुमको दूसरी जोड़ी रो आयग्यो।'
बा पाछी ई निसांसी होय'र मांची पर पडग़ी। सगळी खुसी खाक में रळगी। कात्यो-कतायो कपास हुग्यो।
सुनार बजार सूं मोडै़ आयो। रात नै दुकान मंगळ रैयी। दिनगै उठ'र खोली। भारा-झाड़ी कर'र गद्दी पर बैठ्यो। टूमां रो डबड़ो सम्हाळ्यो तो ध्यान धोळा हुग्या। अेक जोड़ी झुमका गायब। अर ऊपर सूं अचंभो ओ कै जकी जोड़ी बची ही बा ई बेमेळ। बो माथो पकड़'र सोचण लागग्यो। का'ल रै ग्राहकां पर दीठ गेरण लागग्यो। पण बात बैठी कोनी। बिनां देख्यां किण पर सक करै। जिका ढूक्या सगळां पर सक गयो। जकै रो धन जा, उण रो सौ जगां मन जा। बो कीं नीं कर सक्यो। पंपोळ'र रैयग्यो। सगळै घरगां मिल'र गिरगराट बांट लियो।
बींयां किरोड़पति हो। के समझै हो दस हजार फुलड़ी नै। सोच्यो- किणी बीजै नै बाढ'र पूरा कर लेस्यां। म्हारो के लेयग्यो। आप रो ई लेग्यो है। आं रो ई सिर अर आं री ई मोगरी। आखै दिन कूटां हां भुगदड़ां नै। सोनो देद्यां तो सोनो अर रांग देद्यां तो सोनो। आं भावूं तो अेक है। बा तो म्हारै पर है कै के देवां।
आ सोच'र संतोस कर लियो सुनार।
पण दूजी कानी मानकी रो संतोस भंग हुग्यो। दस हजार रो सोनो उण भावूं टकै रो हुग्यो। उण री दीठ में सोनै रो मौल रिपियां में नीं झुमकां में हो। बेमेळ झुमकां री जोड़ी उण रै जी रो जंजाळ बणगी। कांईं करै आं झुमकां रो बा? सिर में ल्यै के बेमेळ झुमका।
सारी रात आंख्यां मांकर काढ दी। पसवाड़ा फोरतां-फोरतां आखती हुगी। सारी रात घड़ा-मंडी चालती रैयी। सेवट मांची रै उठाण बा अेक फैसलै पर पूगी। अटल फैसलै पर। भावूं कीं हुवै झुमकां रो सैट बणावणो है। मर सकूं। पूठा कोनी द्यूं। चोरटी कुहा सकूं। जेळ जा सकूं। बेजती सैय सकूं। मार खा सकूं। पण अबकाळै बींद साम्हीं झुमका पै'र'र ई पेस होवणो है। .....पांच हाथ लांबी देही पर सोनै री तीब ई कोनी। बास री सगळी टींगर्यां पीळी होयी फिरै। म्हैं के मोरड़ी रै भाटो मार दियो। गरीब हां तो के हुग्यो। जी तो म्हारै ई है। बिसो ई जिसो अमीरां रै। मेरो के जी कोनी करै पै'रण-ओढण नै। अर बाबो बापड़ो करावै किंयां। चौधरियां रो चौथियो। चौधरी चूसग्या बाबै नै। हाड-हाड छोड्या है कसाइयां। ...धरती उल्ट-पुल्ट होज्यै भावूं, झुमकां रो सैट बणावणो है।
बा सिखर दोपारै सुनार री दुकान पर भळै पूगी।
'भिया, अेक बींटी तो दे ई दे। का'ल तो ईंयां ईं टाळ कर दी।'
'हां लेज्या बाई। लै छांट ले।'
बो ई सागी डबड़ो आगै सरका दियो।
मानकी डबडै़ नै फिरोळ'र पचास रिपियां री अेक चांदी री बींटी खरीद'र खड़ी हुगी।
सुनार डबड़ै नै संम्भाळ्यो तो उण रा तिराण फाटग्या। अचम्भै रो ठिकाणो नीं रैयो। उण री आंख्यां आगै डबड़ै में पड़्या बेमेळ झुमका मेळ खांवतै झुमकां में बदळग्या।
ओ जादू किंयां हुयो? पण सुनार पलक झपकतांईं ताड़ग्यो। उण लफ'र मानकी रो हाथ पकड़ लियो।
'झुमका तेरै कन्नै है। थूं का'ल दो भांत रा चोर लेयगी अर आज अेक भांत रा कर लिया।'
मानकी झटको मार'र हाथ छुटागी। अर आंख काढती बोली-'थनै घणी आवै के। बतावूं के दो भांत'र अेक भांत रा। मूं फोड़ द्यूंगी भैण.. कमीण रो। थनै ठा है थूं किण रो हाथ पकड़्यो है। नतीजो जाणै के जिनानी रो हाथ पकड़ण रो। थूं तो झुमकां नै ई रोवै। हंसली दीयां पैंडो कोनी छुटैलो। ...तेरै बाप चोर्या है झुमका। सरम कोनी आवै थनै। ग्राहक रै चोरी सिर लगावै। ...लै लेले मेरी तलासी।'
बा हाथ ऊंचा कर'र ठरकै सूं बोली।
सुनार धूजण लागग्यो। बो तलासी नीं लेय सक्यो। अर मानकी शेरणी ज्यूं दहाड़ती बारै निकळगी।
सुनार आंगणै में जाय'र माथो पकड़ लियो।
'मादर... टींगरी भोत लुच्ची है। दो बर चकमो देयगी। अर पकड़ नीं सक्यो। जिनानैपणै रो फाइदो उठागी रंडकी।'
'थे जी टिकावो। आ चोरी म्हैं कढा स्यूं।'
जोड़ायत बोली।
'थूं कीकर कढासी?'
'हां, म्हैं कढास्यूं। म्हनै अटकळ है। लुगाई री रग लुगाई जाणै। मर्द तो फगत हाथ पकड़णो जाणै। थानै ठा है, लुगाई रो हाथ पकड़्यां टूम कढावणी तो दूर, घर आळी कढ सकै।'
'थूं कढा लेयी तो। मुसाणां गयोड़ी लकड़ी कद ई पाछी आवै?'
सुनार सिसकारो मार'र पाछो ई दुकान में चल्यो गयो।
मानकी घरां जाय'र मां सूं छानै साळ में बड़'र झुमका काना में घाल्या। सीसै साम्हीं जाय'र खड़ी हुई तो बाग-बाग हुगी। खुद रै ई हाथां खुद री पीठ थपथपाई। गोरी गालां पर सोनै रै झुमकां रो परस पाय'र उण रो रूं-रूं खिल उठ्यो। फुटरापो चौगणो हुग्यो। बा आप रै रूप नै खुद पीवण लागी। पण तिरस नीं बुझै। पीयै जित्ती ई बधै। छेकड़ मां रै डर सूं दर्पण सूं हटी अर झुमका काढ'र पाछा ई चोली में दाब लिया। क्यूं कै अै झुमका तो सासरै सारू चुराइज्या। आप रै बींद नै रिझावण सारू सासरै में पै'रसी अै झुमका। ईं वास्तै मां सूं लुकोय'र पेटी में धर दिया।
आज माना रो बींद आवण वाळो है। उण री खुसी रो पार नीं है। आ खुसी अेकलै बींद रै आवण री नीं है। बींद अर झुमकां री रळी-मळी खुसी है आ। बींद सारू झुमका अर झुमकां सारू बींद। दोनूं अेक-दूजै रा पूरक है माना री दीठ में।
नीं तो अेकलो बींद तो सदा ई आंवतो। बा सामान्य रैंवती। पण आज बींद रै साथै झुमकां रो जोग बैठ्यो है। उण रो अेक पग टिकै तो अेक टिकै ई कोनी। मैलखोरियो रगड़-रगड़ पगथळ्यां जीभ सरीखी कर राखी है। नुंईं नकोर चूंडियां सूं भरी दोनूं हाथां री कळाई पळका मारै। आज सासरै रो सगळो सिणगार दुकान सूं खरीद'र ल्यायी है। नुंईं चोली, नुंवो कच्छो, नुंईं जुराब, नुंईं चप्पल। इण रै अलावा पोडर, सुर्खी अर अेक पत्तो बिंदलियां रो। अर मैंदी तो रात ई लगा ली ही। इण सगळै तामझाम रै पाछै झुमकां री सगति काम करै। आं सगळै कामां रा प्रेरक झुमका ई तो है।
सासरै री इण त्यारी में अेक काम सारू उण नै दरजी कनै जावणो पड़्यो। बावड़ती बेळा गेलै में सुनारी मिलगी। बा माना रो सिर पळूंसतै थकां बोली-'बेटी मानां, का'ल थारै काकै झूठो ई सक करतै थकां थानै बुरो-भलो कैयो। बै तो बावळा है। रीस ना मानी बेटा। मायत मान'र माफ कर दे ई।'
'ना काकी। म्हारै तो कतैई रीस कोनी। म्हैं तो मायत ई मानूं बांनै।'
'हां बेटा... थूं तो सोळवों सोनो है। थारै पर तो गूंग में ई सक कर्यो।... पण अेक बात है बेटा, म्हारो सोनो चोरण आळी स्यावै कोनी। म्हीनै रै भीतर-भीतर उण रो चूड़ो फूटैगो। आ म्हारी हाय है। अर अेक बात और, कै म्हारी हाय कदे खाली नीं गई। अेक म्हीनै रै भीतर-भीतर ... हां, देख लेई थूं।'
माना रै काळजै में गदीड़ बाज्यो। अेडी सूं उठ्यो पीड़ रो बुलबुलो चोटी में जाय'र फूटयो। लाग्यो जाणै काळजो खींच'र बारै काढ लियो कण ई। उण रो चै'रो गैइजग्यो। कल्लो सूखग्यो। भीतर पाणी मांगग्यो। पण बा मांग नीं सकी। आखै डील रो सत निकळग्यो। उण नै लाग्यो जाणै बा पड़ सकै। इण सारू बा घणी देर कोनी थमी अर खुद रै डील नै सम्भाळण रो जतन करती घर कानी चाल पड़ी। आखै गेलै सुनारी रा बोल 'म्हीनै रै भीतर-भीतर चूड़ो फूटैगो' उण रै काना में गूंजता रैया। काळजै नै सालता रैया। अर उण रा होठ हालता रैया-'सो कीं सह सकूं। पण आ नीं सह सकूं। चूड़ै खातर ई तो झुमका है। बो नीं बच्यो तो आग लगावूं झुमकां रै। हे भगवान, म्हारै बींद नै सलामत राखी। उण रै फूल री छड़ी ई नीं लागै। लोह रा झुमका पै'र सकूं पण बींद री आंगळी किचर्योड़ी ई नीं देख सकूं। हे रामजी! उण कळजीभी री हाय टाळी। म्हैं आज ई बांरा झुमका पाछा बाळ देस्यूं।'
सुनारी रो तीर माना रो काळजो बींधग्यो। बा जुद्ध हारगी। सगळा हथियार गेर'र समर्पण कर दियो। क्यूंकै सुनारी जुद्ध रै सगळै नेमा नैं छेकतै थकां अेक इसो खतरनाक हथियार उण पर चला दियो जकै रो सामणो बा कर नीं सकी।
चालाक सुनारी अश्वथामा हतो री भांत जाळी सबदां रो प्रयोग कर'र द्रोण रूपी माना नै निहत्थी कर दी। बा घायल जोधा री भांत लडख़ड़ांवती-लडख़ड़ांवती घरां पूगी। पेटी खोल'र झुमका काढ्या। बां पर अेक घिरणा भरी दीठ नाख'र गूंजै में घाल लिया। अर बां ई पगां सुनारां रै घर कानी चाल पड़ी। बा'योड़ै केसां सूं अेक लट फंट'र उण रै लीलाड़ पर हींडै ही।