जूता चल रहा है, गालियों की बौछार है / जयप्रकाश चौकसे
जूता चल रहा है, गालियों की बौछार है
प्रकाशन तिथि : 15 अप्रैल 2009
सोहा अली अभिनीत ‘99’ नामक फिल्म के निर्देशक कृष्णा डीके ने नायिका की माता शर्मिला टैगोर को शूटिंग पर आमंत्रित किया। उस दिन पटकथा के अनुसार सोहा को एक दृश्य में गालियां देनी थीं। चतुर निर्देशक को यह गलतफहमी थी कि सेंसर बोर्ड की अध्यक्ष और नायिका की माता शर्मिला टैगोर के सामने दृश्य शूट करने से उन्हें सेंसर में सहायता मिलेगी, परंतु शर्मिला आईं और अपनी बेटी की कुशलक्षेम पूछकर सो गई। निरीह-नादान फिल्मकार को नहीं मालूम की फिल्म रीजनल अफसर और विशेषज्ञ देखते हैं तथा चेयरमैन के पास केवल भारी विवाद वाले मामले ही जाते हैं।
यह मामूली प्रकरण गौरतलब इसलिए हो गया कि इस चुनावी दौर में गालियों से भी अधिक अभद्रता का प्रदर्शन हो रहा है। आजकल राजनीति में अभद्रता लोकप्रियता पाने का सबसे सहज मार्ग हो गया है। यह बात अलग है कि इस तरह अर्जित लोकप्रियता मीडिया की सुर्खी तो बनती है, परंतु वोटों में परिवर्तित नहीं होती। इसकी प्रमुख वजह यही है कि अवाम अनुभवी और पारखी है। चह चटखारे लेकर तमाशा देखते हुए भी अपने मत का अवमूल्यन नहीं करता। राजनीति के दंगल में यह सब इसलिए हो रहा है कि अधिकांश नेताओं के पास कहने के लिए कोई ठोस बात नहीं है। नीतियों के लिय युद्ध नहीं करते हुए अधिकांश नेता, अपी बदनीयत को ही उजागर कर रहे हैं।
भारतीय सिनेमा में धमेंद्र पहले सितारे थे जिन्होनें ‘कुत्ते-कमीने, मैं तेरा खून जी जाउंगा’ जैसे संवाद बोले। इन्हीं संवादों ने उन्हें हाशिए में फैंक दिया। क्रोध या आहत होने पर अभिव्यक्त करने के कई तरीके हैं, परंतु अपशब्द से केवल हताशा जाहिर होती है।
आजकल टेलीविजन पर गाली देने वाले दृश्यों में मूल ध्वनि को हटाकर ‘बीप-बीप नाम अस्पष्ट ध्वनि का इस्तेमाल होता है। यह भी संभव है कि सीरियल में पात्र गाली देने के दृश्य में ‘बीप-बीप ही बोलें। यही काम नेता भी कर सकते हैं। यह अजीब दौर है कि इसमें जूते चल रहे हैं, जूता फैंकना शीघ्र ही लोकप्रिय हो जाएगा। इस तरह हम राष्टी्य जीवन को फार्स में बदल देंगें, उसकी नौटंकी बना देंगें।
बहरहाल सिनेमा में पात्र संवाद अदायगी के समय बोलते-बोलते गाली के स्थान पर आकर खामोश हो जाता है और बिना दिए ही गाली दिए बिना ही गाली का प्रभाव प्राप्त हो जाता है। फिल्मकार इम्त्यिाज अली की बेहद मनोरंजक फिल्म ‘जब वी मेट’ में शाहिद करीना कपूर से कहता है कि अपने बेवफा प्रेमी को फोन पर जमकर गालियां दो। यह दृश्य फिल्मकार ने इतनी खूबसूरती से गढा है कि करीना द्वारा दी गई गालियों पर सिनेमाघरों में दर्शक तालियां बजाते हैं और महिला दर्शकों को भी बुरा नहीं लगा।
फिल्मकार ने इस दृश्य के बीज मध्यांतर के पहले ही डाल दिए थे जब करीना नैराश्य से घिरे शाहिद को बेवफा प्रेमिका की तस्वीर फाडकर फ्लश करने को कहती है। जाहिर है कि गालियों के मामले में फिल्मकार नेताओं से ज्यादा चतुर हैं।