जेम्स बॉन्ड : शीत युद्ध की संतान / जयप्रकाश चौकसे

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जेम्स बॉन्ड : शीत युद्ध की संतान
प्रकाशन तिथि :07 नवम्बर 2015


निर्देशक सैममेंडिस की नई फिल्म जेम्स बॉन्ड फिल्म शृंखला की नवीनतम कड़ी है। इयन फ्लेमिंग ने पहले एक सामाजिक उपन्यास लिखा था 'लव ऑफ फिलिप' जिसकी असफलता के बाद उन्होंने जेम्स बॉन्ड नामक चरित्र की रचना की, जो इंग्लैंड की गुप्तचर संस्था का साहसी जासूस है। दरअसल, जेम्स बॉन्ड पूंजीवादी देशों और सोवियत रूस के बीच दूसरे विश्व युद्ध के बाद के शीत युद्ध का परिणाम है। पूंजीवाद और साम्यवाद के राजनीतिक दर्शन के द्वंद्व का परिणाम है। जेम्स बॉन्ड साम्यवादी विचारधारा को खलनायक मानता है और उनके जासूस तंत्र को समाप्त करना चाहता है अमेरिका की सीआईए और रूस की केजीबी जासूसी एजेंसियों ने जगह-जगह अपने एजेंट नियुक्त किए थे और एक-दूसरे के राज जानने का प्रयास करते थे। पश्चिमी पूंजीवाद का जेम्स बॉन्ड, खिलंदड़ और लम्पट है। प्राय: शत्रु देश की सुंदर कन्याएं उससे प्रेम करती हैं। वह रहस्य से अधिक रोमांस में रुचि रखता है। पूंजीवाद के प्रशंसकों को विकृत आनंद मिलता है कि उनका एजेंट 007 जेम्स बॉन्ड दुश्मन राष्ट्रों की कन्याओं के साथ हमबिस्तर होता है। दरअसल, सदियों से युद्ध के पश्चात पराजित देश की नारियों का िचरहरण उनकी जमीन पर अपने देश के झंडे के फहराने की तरह का कार्य माना जाता है। यह पौरुष दंभ की प्रवृत्ति का परिणाम है। याद आती है पाकिस्तान की शायरा सारा शगुप्ता की कुछ पंक्तियां 'औरत का बदन ही उसका वतन नहीं होता, वह कुछ और भी है, मर्दानगी का परचम लिए घूमने वालों, औरत जमीन ही नहीं कुछ और भी है।' सआदत हसन मंटो की 'ठंडा गोश्त' या 'खोल दो' हवस के शिकार, पौरुष दम्भ से ग्रसित मनुष्य के जानवरों से बदतर होने की कहानियां हैं।

बहरहाल, जेम्स बॉन्ड शृंखला की पहली फिल्म 'डॉक्टर नो' थी और उसमें स्कॉटलैंड के अभिनेता शॉन कॉनेरी ने इस भूमिका को ऐसे अंदाज में अभिनीत किया कि मनोरंजन जगत में बॉन्ड एक बिकाऊ ब्रैंड बन गया और एक नए फॉर्मूले का उदय हुआ, जिसमें नशीले लोकेशन, सेक्सी लड़कियां, उत्तेजक कार चेज़ के दृश्य का समावेश होता था। ब्रैंड इतना सफल हुआ कि उसका बजट बढ़ता गया और जेम्स बॉन्ड के उपयोग के लिए हथियारों से लदी कारें तथा मारक हथियारों को फैक्ट्री में विशेष ऑर्डर पर बनाया गया। कुछ फिल्मों में सीधे रूस पर आक्रमण हैं जैसे 'फ्राम रशिया विद लव।' इस शृंखला की 'डायमंड फॉर एवर' के प्रारंभिक पृष्ठों में पूंजीवादी देशों की अर्थनीतियों और गरीब देशों की खनिज संपदा के खनन अधिकार के लिए प्रयुक्त गैर-कानूनी बातों का पर्दाफाश किया गया।

बहरहाल, अभिनेता शॉन कॉनेरी ने इस सफल शृंखला को छोड़कर करोड़ों रुपए के मेहनताने को इसलिए ठुकराया कि बतौर अभिनेता उनका विकास रुक गया था। अन्य अभिनेताओं के साथ शृंखला जारी रही और मूल के लेखक फ्लेमिंग के लिखे उपन्यासों पर फिल्में बनाने के बाद भी जेम्स बॉन्ड फिल्मंे बनती रहीं और पटकथा लेखक तयशुदा फॉर्मूले में नए लोकेशन, युद्ध के नए पैंतरों को डालते रहे। मसलन बॉन्ड सीरीज की नई कृति का प्रारंभ ही मैक्सिको के अजीबोगरीब उत्सव 'डे ऑफ डेड' से प्रारंभ होती है। यह संभव है कि जेम्स बॉन्ड की फिल्में बनाने वाले पहले विश्व का भूगोल उठाकर अनछुई लोकेशन खोजते हैं, फिर उसके गिर्द कथा का ताना-बना बुनते हैं। सिनेमा संसार का भूगोल हमेशा यथार्थ से अलग रहा है। एक फिल्म में एक नाव आगे जा रही है और दूसरे शॉट में विश्व के सबसे बड़े जलप्रपात नियाग्रा का दृश्य है और संपादन से ऐसा प्रभाव पैदा किया गया है मानो वह नाव उसी अोर बढ़ रही है, जबकि नाव के दृश्य अन्य नदी में शूट किए गए हैं। जेम्स बॉन्ड के विभागाध्यक्ष पहले एक पुरुष थे, बाद की फिल्मों में यह भूमिका एक वृद्ध महिला को दी गई है। इस नई फिल्म में विभागाध्यक्ष जेम्स बॉन्ड अन्य एजेंट्स को कहती हैं कि शत्रु समझकर अंधाधुंध गोलीबारी करें। विश्वास होने के बाद ही हथियार उठाएं। जेम्स बॉन्ड प्रारंभ से ही विद्रोही है और विभाग के आदेशों की हमेशा अवहेलना करता है। वह कहता है कि शत्रु की जांच में गंवाया समय महंगा पड़ सकता है, क्योंकि हमारे काम में यह खतरा नहीं उठाया जा सकता। इस काम में निर्दोष की जान जाए तो जाए। वह उस अतार्किक एवंअमानवीय सिद्धांत को मानता है कि हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। इसी सुविधाजनक बात को नेता भी भुनाते हैं और अपने अंधे कार्यों का बचाव करते हैं, जबकि गांधीजी ने कहा था कि आंख के बदले आंख का तरीका संसार को अंधा बना देगा। सार यह है कि जेम्स बॉन्ड पूंजीवादी व्यवस्था का प्रतिक्रियावादी नायक है। नई बॉन्ड फिल्म में दोनों पक्षों के बीच डिजिटल वॉर है।

कई दशक पूर्व 'थर्ड मैन' के लिए लोकेशन देखने गए लोगों ने इटली के गांव में एक छोटे रेस्त्रां में किसी व्यक्ति को कोई धुन बजाते सुना, जिसके गिर्द 'थर्ड मैन' बनाई गई। उसी धुन को आधुनिक वाद्य यंत्रों पर बजाकर जेम्स बॉन्ड की सिग्नेचर धुन बनाई गई है। फिल्मोंके इस तरह के नायक अराजकता का प्रचार करते हैं। अराजकता का बीहड़ बॉक्स ऑफिस पर सफल होता है।