जेल / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
जब भी किसी व्यक्ति को जेल जाते देखो, अपने दिल पर हाथ रखो और बोलो - "जरूर यह एक सँकरी जेल छोड़कर जा रहा है।"
और जब किसी आदमी को नशे की हालत में देखो, दिल पर हाथ रखकर बोलो - "जरूर यह आदमी ऐसी चीज से भाग रहा है जो अभी भी बदसूरत है।"