झाड़ी / हेमन्त शेष
Gadya Kosh से
झाड़ी भू-दृश्य का वह हिस्सा है जिसके होने से चित्रकारों को लेंडस्केप बनाने में बड़ी मदद मिलती है. झाड़ी दरअसल उलझी हुई वह वनस्पति है- जो पेड़ होने से रह गई है, हालांकि पेड़ बनने की कोशिश में लगी झाड़ियाँ भी देखी जा सकती हैं- खास तौर गाँवों में, जहाँ वैसे उन्हें कोई नहीं पूछता, केवल पेशाब आदि करने के लिए जिनकी ओट ली जाती है. कई बार झाड़ी जल भी जाती है, अगर वह सूखी हो, और कोई बीड़ी-वीड़ी पी कर उस पर फेंक दे. हमारे निर्मल जी ने संभवतः ऐसी ही किसी झाड़ी को जलते हुए देखा होगा!
अगर आप असली झाड़ी खरीदना चाहें तो सस्ती पड़ेगी, पर झाड़ी की पेंटिंग खरीदना बहुत महंगा है, तब तो और भी, अगर वह हुसैन जैसे किसी आदमी ने बनाई हो!