झूठ बोले कौवा काटे, काले कौवे से डरियो / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 06 जनवरी 2021
मध्यप्रदेश के खरगोन, मंदसौर, आगर, देवास और इन शहरों के आसपास 162 कौवे मरे पाए गए। प्रयोगशाला ने बताया कि इन्हें एच5 एन8 नामक वायरस हुआ था। ये सारे कौवे आकाश में आवारा फिरने वाले कौवे हैं और पोल्ट्री फॉर्म में रखे कौवो में यह रोग नहीं फैला है। यह दूसरे किस्म के वायरस का प्रभाव है। पहले कोविड वायरस में अनगिनत लोगों की जान गई। कोविड का एंटी डोर वैक्सीन खोज लिया गया। अमेरिका की फ़ाइज़र प्रयोगशाला ने नोबेल पुरस्कार जीतने वाला काम किया। भारत ने अमेरिका से आयात नहीं करते हुए भारतीय प्रयोगशाला में अमेरिकन खोज से प्रेरित अपना टीका बनाया। उच्च गुणवत्ता की वैक्सीन असरदायक है। खोजकर्ता ने पहले ही बयान दिया था कि विज्ञान की खोज का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए परंतु ऐसी कोई वस्तु नहीं जिसका राजनीतिकरण भारत में किया नहीं जाता। इंग्लैंड में 90 पार लोगों को टीका पहले लगाया जा रहा है। बाद में 80 पार और इसी क्रम में नागरिकों को लगाया जाएगा। भारत में क्रम का निर्णय होने को है। न्याय की मांग है कि सबसे पहले टीका आंदोलन करने वाले किसानों को लगाया जाए।
विश्व के सारे महाकाव्य प्रलय द्वारा जीवन विनाश की बात करते हैं परंतु ऐसा लगता है कि विभिन्न प्रकार के वायरस यही काम करने वाले हैं। विज्ञान के नित नए अनुसंधान जीवन को बचा लेंगे। महान फ़िल्मकार हिचकॉक की फिल्म ‘बर्ड्स’ में एक व्यक्ति मानव पर आक्रमण करने वाले पक्षी पालता है और उन्हें एक कक्ष में कैद रखता है। फिल्म के क्लाइमेक्स में वह स्वयं ही उस कक्ष में उन पक्षियों का शिकार होता है। प्रकरण कुछ पौराणिक कथा भस्मासुर सा है।
‘संगम’ की शूटिंग पेरिस में की जा रही थी। राज कपूर देर तक सोने के आदी थे। राजेंद्र कुमार उन्हें जगाने गए। राजेंद्र कुमार ने बताया कि दोपहर के 12 बज रहे हैं। राज कपूर ने कहा कि ‘झूठ मत बोलो, अभी तो सूर्योदय हुआ है।’ राजेंद्र कुमार ने देखा कि होटल कक्ष की बालकनी में कौवे बैठे थे। उनके मुंह से बरबस निकल गया कि ‘झूठ बोलूं तो कौवा काटे’ यह घटना 1962 की है। इसके पूर्व राज कपूर विट्ठल भाई पटेल का बुंदेलखंड के लोक गीत से प्रेरित ‘मैं मायके चली जाऊंगी’ यह प्रयोग करने की बात कह चुके थे। इस घटना के 8 वर्ष पश्चात ‘बॉबी’ के गीत रचने के समय राज कपूर ने मुखड़ा बदल दिया। ‘झूठ बोले कौवा काटे, काले कौवे से डरियो’ मुखड़ा बना दिया और विट्ठल भाई पटेल के लिखे अंतरों का इस्तेमाल किया। आनंद बक्क्षी खफा रहे कि फिल्म का केवल एक गीत उनका लिखा नहीं है, उसको लिखने का अधिकार भी उनका होना चाहिए। बात इतनी बढ़ी कि राज कपूर ने सारे रिकार्डेड गीत रद्द करके अन्य संगीतकार को अनुबंधित करने की बात कह दी। लक्ष्मीकांत ने आनंद बक्षी से बात की और चाय की प्याली में आया तूफान शांत हो गया। दरअसल फिल्मी गीतों के मुखड़े ही लोगों को याद रहते हैं। अंतरे तो बिरले लोग याद रखते हैं। जब से हवाई जहाज और हेलीकॉप्टर की खोज हुई है, आकाश में उड़ने वाले परिंदे विस्मित हो गए हैं। उन्हें यह अतिक्रमण लगता है। अगर पक्षी वायुयान के पायलट कक्ष के शीशे से टकरा जाए तो दुर्घटना की आशंका बन जाती है।
सामंतवाद के दौर में बड़े लोग पतंग उड़ाते थे और कबूतरबाजी करते थे। उनके पाले हुए लड़ाकू कबूतर प्रतिद्वंद्वी के कबूतर पर आक्रमण करते थे। हजारों रुपए की शर्त लगाई जाती थीं। फिल्म ‘साहब बीवी और गुलाम’ में यह सीन है। मुर्गों की लड़ाई कराई जाती है और एक उस पर सट्टा खेला जाता है। एक फिल्म में मुर्गा लड़ाने वाले एक व्यक्ति की शक्ल तत्कालीन आतंकवादी सरगना से मिलती थी। कुछ शरीर लोगों ने उसके द्वारा वीडियो रिकॉर्डिंग करके विश्व में अस्थिरता ला दी थी। इस विषय पर मनमोहन शेट्टी ने एक मजेदार फिल्म भी बनाई थी।