ट्रैक्टर के सामने रोड रोलर‘ हमसे ना जीता कोई’ / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 07 जनवरी 2021
श्री एच.के.नंदा ने रूस के सहयोग से भारत में एस्कॉर्ट ट्रैक्टर कंपनी की स्थापना की। भाखड़ा नांगल बांध बन जाने से पानी उपलब्ध हो गया और पंजाब में किसान वर्ष में तीन फसल उपजाने लगे। भारत सपनों का देश बनने लगा। मशीन कभी अकेली नहीं आती। उसके साथ ही जीवन शैली में भी परिवर्तन होता है। शहर, गांव में घुसने लगते हैं और कहीं-कहीं अतिक्रमण भी होने लगता है। रणधीर कपूर और अमजद खान अभिनीत फिल्म ‘हमसे ना जीता कोई’ में गांव के लोग किसी तरह धन एकत्रित करते हैं। गांव में रणधीर कपूर और अमजद अभिनीत पात्र की ईमानदारी के सब कायल रहे। अत: उन्हें ट्रैक्टर खरीदने शहर भेजा जाता है। एक ठग उनके पैसे चोरी करके भागता है और दोनों उसका पीछा करते हैं। कुछ रोचक घटनाएं होती हैं। वे अपना पैसा वापस प्राप्त करके ट्रैक्टर खरीदने में सफल होते हैं। गांव में ट्रैक्टर आते ही किसान अधिक धन उपजाने में सफल होते हैं।
एचके नंदा द्वारा स्थापित एस्कॉर्ट ट्रैक्टर का एकाधिकार कुछ समय चला। अन्य कंपनियां भी ट्रैक्टर निर्माण क्षेत्र में आ गईं। उस दौर में व्यवस्था ने भी ट्रैक्टर निर्माण पर कोई कर नहीं लादा। उस दौर में रूस में बनी वस्तुएं अमेरिका में बनी वस्तुओं से सस्ती और टिकाऊ मानी जाती थीं। रूस के विघटन के बाद, वे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी मात खाने लगे। साम्राज्यवादी एवं सामंतवादी प्रवृत्तियां कभी पूरी तरह समाप्त नहीं होतीं। उन्हें एक स्थान पर दफ्न किया जाता है तो वे कुछ समय पश्चात अन्य स्थान पर प्रकट हो जाती है। अनाज उगाने में बड़ा परिश्रम करना पड़ता है। लुटेरे मुखौटे बदलकर किसान का गल्ला लूटने आ जाते हैं। मशीन के दो स्वरूप हैं ट्रैक्टर और बुल्डोज़र जिसे कहीं-कहीं रोड रोलर कहा जाता है। ट्रैक्टर निर्माण करता है परंतु गलत हाथों में पड़ा रोड रोलर सड़क का निर्माण नहीं करते हुए तोड़-फोड़ के काम में भी लाया जाता है। बहराल मुद्दे की बात यह कि एक व्यक्ति तीर्थ यात्रा पर जाने के पहले अपना धन तीन लोगों को देकर जाता है। लंबी तीर्थ यात्रा से लौटकर वह हिसाब मांगता है जैसा कि पहले से ही तय पाया गया था। एक व्यक्ति अपने व्यवसाय का ब्यौरा देता है। उसे व्यवसाय में घाटा हुआ है। दूसरे को आंशिक लाभ मिलता है। तीसरे ने धन को हिफाज़त से रखने के लिए उसे धरती में गाड़ दिया था। अत: वह, धन जस का तस उसे लौटा देता है। धन देना वाला इस तीसरे आदमी से नाराज़ होता है। घाटा लगने वाले से भी वह नाराज़ नहीं है। उस दौर में सिक्के को टैलेंट कहते थे। प्रतिभा का इस्तेमाल नहीं करना अनुचित ठहराया जाता है। प्रतिभा का उपयोग करते हुए, उसे निरंतर मांझना होता है। प्रतिभा कोई दैवीय देन नहीं है। मनुष्य स्वयं उसका उपार्जन करता है। और निरंतर उसे मांझकर बेहतर बनाता है।
बहरहाल आज पंजाब के हड़ताल करने वाले लोग ट्रैक्टर रैली निकाल रहे हैं। दमन की शक्तियां रोड रोलर चलाती हैं। अतः देखना है कि ट्रैक्टर बनाम रोड रोलर जंग कैसा रहता है। शैलेंद्र की गैर फिल्मी रचना इस तरह है, ‘यह कैसी आज़ादी है, वही ढांक के तीन पात है, बर्बादी है। तुम किसान मजदूर पर गोली चलवाओ और पहनकर खद्दर देशभक्त कहलाओ।