ट्विंकल की सपाट बयानी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :08 जनवरी 2019
ट्विंकल खन्ना किताबें लिखती हैं और अखबार में उनका कॉलम लोकप्रिय है। विगत वर्ष उनकी किताब 'पायजामा ऑर फॉरगिविंग' को पाठकों ने पसंद किया और प्रकाशक के लिए यह किताब लाभ कमाने वाली साबित हुई। प्रकाशन और फिल्म निर्माण में यह समानता है कि दोनों ही क्षेत्रों में सफलता का प्रतिशत किसी भी वर्ष 20 से अधिक नहीं हो पाया। केवल पुस्तक प्रकाशन से मिलने वाली रॉयल्टी के दम पर परिवार का खर्च नहीं निकल सकता। हमारे स्वतंत्रता संग्राम के वर्षों में कुछ लेखकों ने रॉयल्टी से प्राप्त राशि से अपने परिवार का पालन-पोषण किया है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में लड़े उस संग्राम में समाज का हर वर्ग अपनी ऊर्जा के शिखर पर पहुंच गया था। अगर भारतवर्ष एक फिल्म है तो स्वतंत्रता संग्राम के दशक फिल्म में रचे आदर्श स्वप्न दृश्य की तरह माना जा सकता है।
ट्विंकल खन्ना ने स्पष्ट किया कि किसी एक किताब से नहीं वरन अनेक किताबों से मनुष्य प्रभावित और प्रेरित होता है। उनसे एक घिसा-पिटा और बेजान प्रश्न पूछा गया कि उनकी प्रेरणा कौन है। अंग्रेजी भाषा में 'म्यूज' प्रेरणा का समानार्थी नहीं वरन कुछ और भी है। ट्विंकल खन्ना ने जवाब दिया है कि उनकी प्रेरणा जब कहीं और भी चली जाती है तब भी वे लिखती हैं। वे अपने से दूर भागती प्रेरणा का कहीं से भी अपहरण कर लेती हैं। सृजन में प्रेरणा का शिगूफा रचा गया है। क्या दफ्तर काम करने या सुलगती सरहदों की रक्षा करने या घर के चौके में भोजन पकाती महिला की कोई प्रेरणा होती है? क्या वॉशरूम जाने के लिए प्रेरणा की आवश्यकता होती है? सार यह यह कि लेखन एक सहज कार्य है और सांस लेने की तरह किया जाता है। रांगेय राघव प्रतिदिन अलसभोर में लिखने बैठते थे। अगर कोई विचार नहीं आता तो वे कोरे कागज पर 'राम' बार-बार लिखते और कभी-कभी कोई चित्र बनाने की चेष्टा करते थे, जबकि उन्हें चित्रकारी का कोई ज्ञान नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि एलिस मुनरो की तरह नहीं लिख पाना उन्हें सालता है।
उनके कॉलम को पढ़कर यह लगता है कि पीजी वुडहाउस भले ही उनकी 'प्रेरणा' या मनपसंद लेखक न हो परंतु पाठक के लिए वे वुडहाउस की तरह प्रभाव उत्पन्न करती हैं। संभवत: विट के कारण इस तरह की बात मन में आती है। वर्जिनिया वूल्फ का उदाहरण देते हुए वे फरमाती हैं कि लेखक का एक निजी कमरा होना चाहिए परंतु ट्विंकल खन्ना अपनी बैठक के एक कोने में लिखते समय हेडफोन धारण कर लेती हैं, ताकि उनके बच्चों द्वारा किया जा रहा शोर-शराबा उन्हें परेशान नहीं करे। गोयाकि तमाम बाहरी शोर से मुक्त होने पर ही भीतर उत्पन्न आवाजें आप सुन पाते हैं। शोर भरे जीवन में सन्नाटा खोजा जा सकता है और उसके पलने पर झूलते हुए नगमे गुनगुनाए जा सकते हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि विचार प्रक्रिया का मंत्र यह है कि चीजों की तरह विचारों को भी उलट-पलट कर देखना चाहिए कि उसका सिर कहां और पैर कहां है। केवल मारे हुए बकरे या बकरी को गोश्त की दुकान में पैर ऊपर और सिर नीचे की ओर रखकर टांगा जाता है। विचारों को उलट-पुलट करते रहने से भी किसी नए विचार का जन्म हो सकता है। नितांत विचारहीनता भी भीतर संगीत लहरी को जन्म देती है जैसे एक धुन अपने बजाए जाने के बरसों बाद भी अवचेतन में गूंजती है। क्या सृजनधर्मी कसाई होता है और सृजन बूचड़खाना है? यह काम स्वयं की शल्य क्रिया की तरह भी माना जा सकता है।
ट्विंकल खन्ना का मनपसंद कार्य अपने बगीचे में पौधे में आई अनावश्यक बढ़त की काट-छांट करना है। बगीचा वह रसायनशाला है जहां शांति पाने के लिए निरंतर प्रयोग किए जा सकते हैं। महानगरों के बहुमंजिलों में भी टैरेस गार्डन बनाए जाते हैं। बैठक कक्ष में रखे गमलों में प्लास्टिक के फूल होते हैं, क्योंकि सूर्य किरणों के अभाव में कुछ खिल नहीं सकता। सृजन क्षेत्र में कुछ समय बांझपन का होता है जिसे 'राइटर्स ब्लॉक' कहा जाता है। ट्विंकल खन्ना कहती हैं कि कॉलम भेजने का निश्चित समय होता है जिसकी खातिर हर 'ब्लॉक' को तोड़ना पड़ता है। प्राय: बांझपन एक गहरी साजिश होती है। मर्द की कमतरी के कारण भी औरतों को बांझ करार दिया जाता है। सृजन क्षेत्र का बांझपन एक सक्रिय आलस्य से भी तोड़ा जा सकता है। कुछ न करते-करते भी कुछ हो जाता है। बांझपन एक आलस्य है। महान लेखक हेमिंग्वे ने स्पेन के गृह युद्ध में भाग लिया था, जबकि वे स्पेन के नागरिक नहीं थे। उनका कहना था कि स्पेनिश भाषा में सबसे अधिक अपशब्द हैं। इनके उच्चारण में एक अजीब-सा माधुर्य है। किसी भी व्यक्ति के पास चार या पांच ही अपशब्द होते हैं, जिन्हें वह दोहराता है।
ट्विंकल खन्ना किसी नियम से बंधीं नहीं हैं और अपने परिवार में नियम के आविष्कार के प्रति आशावादी भी नहीं हैं। ट्विंकल के राजनीतिक आदर्श भी अपने पति से अलग हैं परंतु सफल दांपत्य का आधार वैचारिक भिन्नता ही होता है। ट्विंकल खन्ना के कॉलम के सारे पात्र काल्पनिक है यहां तक कि जब वे मां जिक्र करती हैं तब यकीनन वह पात्र डिंपल खन्ना से जुदा है। ट्विंकल खन्ना अपने घर के बाहर यह लिखवा सकती है कि इस घर में रहने वाली सभी पात्र काल्पनिक हैं।