डैनी डेंजोंग्पा की वापसी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 17 जून 2013
६५ वर्षीय डैनी डेंजोंग्पा को सलमान खान ने इस वर्ष फरवरी में अपनी फिल्म 'मेंटल' में खलनायक की भूमिका के लिए अनुबंधित किया। विगत अनेक वर्षों से उन्हें फिल्म उद्योग लगभग भुला चुका था। वे शारीरिक तौर पर आज भी 30 वर्ष के युवा की तरह हैं, क्योंकि कसरत करना, टेबल टेनिस खेलना उन्होंने कभी नहीं छोड़ा। इस खबर के जारी होते ही कुछ और निर्माता उनसे बात कर रहे हैं। इस तरह डैनी की दूसरी पारी शुरू हो रही है। आज मनोरंजन जगत में अनेक वृद्ध कलाकार पहली फसल के बाद दूसरी फसल काट रहे हैं। ज्ञातव्य है कि कपास चुन लिए जाने के बाद खेतों में उसके डंठल काटे नहीं जाते, क्योंकि कुछ समय बाद फिर कपास उग आती है और इस फसल के बाद फसल की गुणवत्ता ऐसी होती है कि यह पहली फसल से अधिक दामों में बेची जाती है। कुछ क्षेत्रों में इसे सेमल कपास कहते हैं और इसके बने मुलायम तकियों का इस्तेमाल करने पर गर्दन एवं रीढ़ की हड्डी में रोग नहीं होता। अमिताभ बच्चन जितने व्यस्त दूसरी पारी में रहे, वह पहली पारी से अधिक है और मेहनताना भी करोड़ों में है। इसी तरह ऋषि कपूर भी अब अत्यंत व्यस्त हैं।
25 मार्च १९४८ को सिक्किम के भूटिया क्षेत्र में पैदा होने वाले डैनी का जन्म नाम शिरिंग फिन्टसो है और नाम के कठिन उच्चारण के कारण उन्होंने डैनी डेंजोंग्पा नाम रखा और डेंजोंग्पा रखकर अपने जन्मस्थान की गरिमा को भी कायम रखा। वे भारतीय फौज के प्रशिक्षण में श्रेष्ठ कैडेट घोषित हुए, परंतु अभिनय के प्रति गहरा रुझान होने के कारण उन्होंने पुणे संस्थान में दाखिला लिया और सहपाठियों को लगा कि शक्ल-सूरत से सिक्किमी के होने के कारण उसे सीमित भूमिकाएं ही मिल सकती हैं। संभवत: सुरक्षा गार्ड की, परंतु डैनी के आत्मविश्वास को तोडऩा संभव नहीं था, वह अपने जन्मस्थान के पर्वतों की तरह अटल था। जया बच्चन उनकी सहपाठी थीं।
गुलजार ने तपन सिन्हा की 'अपन जन' को 'मेरे अपने' के नाम से बनाते समय डैनी को महत्वपूर्ण भूमिका दी। मीना कुमारी केंद्रीय पात्र थीं। समाज और परिवार द्वारा बहिष्कृत बूढ़ी ने अपनी ममता से दो युवा दलों की लड़ाई को रोका और शांति स्थापित की। धीरे-धीरे डैनी को आम दर्शक का स्नेह और स्वीकृति मिल गई तथा उन्होंने अनेक फिल्मों में अविस्मरणीय काम किया। वे अपने प्रारंभिक दौर से ही अमिताभ बच्चन, जया और रोमेश शर्मा के गहरे मित्र रहे हैं। उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ अनेक फिल्में अभिनीत की। उस दौर में किम नामक अभिनेत्री से उनकी अंतरंगता भी थी और उन्होंने एक फिल्म निर्देशित भी की है।
फिरोज खान की 'धर्मात्मा' को दिए गए समय के कारण वे रमेश सिप्पी द्वारा दी गई गब्बर सिंह की (शोले) भूमिका नहीं कर पाए वरना उनका कॅरियर किसी और दिशा में चला जाता। बात निर्णय की नहीं, समर्पण की है। वे फिरोज खान को दिया गया समय कैसे खारिज करते।
डैनी का विवाह सिक्किम के एक अत्यंत श्रेष्ठी परिवार की कन्या से हुआ, जिनकी हैसियत राजकुमारी की थी। डैनी ने अपने परिवार की निजता की रक्षा मुस्तैदी से की। डैनी ने फिल्म से कमाए रुपए को सिक्किम में उद्योग में लगाया। उनके द्वारा स्थापित शराब का कारखाना सुचारू रूप से चल रहा है और गंगटोक में उनका एक शानदार होटल भी है।
यह बात कम ही लोगों को ज्ञात है कि उन्होंने अमेरिकन शिखर-सितारे ब्रेड पिट के साथ 'सेवन ईअर्स इन तिब्बत' नामक फिल्म में काम किया है। उनकी दोस्ती ब्रेड पिट से भी है और अमिताभ बच्चन से भी है। सन् २००३ में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है। फिल्म उद्योग में सक्रिय रहते हुए भी डैनी ने कभी दावतें कबूल नहीं की। अपनी सफलता का डंका नहीं पीटा और अपनी निजता की रक्षा करते हुए शांत जीवन जिया। आज बाजार और प्रचार की ताकतें युवा वय को प्रचारित कर उसे बेच भी रही हैं, परंतु सभी क्षेत्रों में बुजुर्ग ही छाए हुए हैं। दरअसल, उम्र एक छलावा है, मनुष्य अपने मन और सोच की उम्र का होता है।